पटना: बिहार राज्य के टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम (State President TET Teachers Association Amit Vikram) ने लोक शिकायत निवारण में परिवाद दायर किया है. प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों को जल्द से जल्द पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाने की मांग की है.
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संघ ने किया परिवाद दायर - टीईटी शिक्षक संघ की ओर से परिवाद में विभाग से अनुरोध किया गया है कि राशि के बदले पूर्व की भांति छात्र-छात्राओं को पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएं. इस संबंध में सुझाव दिया गया कि पुस्तकों का मुद्रण जनवरी माह में ही करवा लिया जाए और फरवरी में सभी जिलों को भेज दिया जाए. क्योंकि उसके बाद मार्च तक सभी विद्यालयों में पहुंच जाए.
उन्होंने कहा कि किताबों के बदले डायरेक्ट पैसे ट्रांसफर करने की व्यवस्था की गई है, उससे कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. अभिभावक उन पैसों के इंतजार में खुद से किताबें नहीं खरीदते हैं. पैसे आने में अक्सर पांच से छह महीने विलंब हो जाता है. इन छह महीनों तक बिना पाठ्य पुस्तकों के बच्चों को पढ़ाना अपने आप में चुनौतीपूर्ण और कठिन कार्य है. बच्चों के परिजनों के खाते में जब पैसा आता है उसी वक्त उस पैसे से किताबें ना खरीद किसी अन्य कार्य में लगा दिया जाता है. ऐसे में गुणवत्ता वाली शिक्षा देना शिक्षकों के लिए असंभव कार्य हो चुका है.
उन्होंने कहा कि नया सत्र शुरू हो उस समय सभी छात्र छात्राओं को किताबें उपलब्ध करवा दी जाए. वर्तमान में जो व्यवस्था लागू है वह पूरी तरह से गलत है. व्यवस्था को बिगाडने वाली है. शिक्षा के अधिकार कानून(Right To Education To Children In Bihar) के तहत सभी प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त की पुस्तकें उपलब्ध करवाने का प्रावधान है. इसके लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में समग्र शिक्षा अभियान के तहत 520 करोड का आवंटन भी है. लेकिन अभी तक यह राशि छात्रों के खातों में ट्रांसफर नहीं हो सकी है. पिछले साल भी राशि ट्रांसफर सितंबर के महीने में हो पाया. पिछले 2 सालों में पाठ्य पुस्तकों के क्रय करने का 20% प्रतिशत से भी कम रहा है.
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सुनवाई की तिथि बदली- संघ की ओर से दायर परिवाद की सुनवाई 16 अप्रैल को होनी थी, लेकिन किसी कारणवश उस दिन सुनवाई को स्थगित कर दिया गया. अगली तारीख 24 अप्रैल तय कर दिया गया है. संघ का कहना है कि वर्तमान में शिक्षा विभाग के द्वारा पैसे देने वाली व्यवस्था को बंद कर पुनः पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करना चाहिए. अन्यथा इस मामले में मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी जाकर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे.
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