पटना: पटना सिटी में बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि लोग अपने घरों में दुबक कर रहने को मजबूर हैं. एक तरफ जहां कोरोना के खौफ से लोग कहीं बाहर भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ लोग बंदरों के भय से अपने घरों की छत पर नहीं जा पा रहे हैं. लोगों की दिनचर्या लोहे के ग्रिल के अंदर कैद होकर रह गई है. बंदरों से बचाव के लिए खिड़की से लेकर दरवाजे और छत तक पर लोग जाली और ग्रील लगा कर रहने को मजबूर हैं.
'डंडा लेकर जाते हैं बाजार'
बंदरों के आतंक से परेशान स्थानीय लोगों ने कहा कि चौक थाना क्षेत्र के एक किलोमीटर तक बन्दरो का कब्जा है. हम लोग सब्जी मंडी, फल मंडी, बैंक, बाजार जाने के लिये डंडे का इस्तेमाल करते हैं. बंदरों का आतंका इतना बढ़ गया है कि चौक थाना पुलिस भी इससे परेशान है. बंदरों की दहशत इस कदर बढ़ गई है कि लोगों के अपने घर ही पिंजड़े बन गए हैं. लोग अपने घरों के ग्रिल के अंदर कैद होकर रह गए हैं. खिड़की से लेकर दरवाजे और छत तक पर जाली और ग्रिल लगवाने को लेकर दो से पांच लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन बंदरों के आतंक से निजात दिलाने में जिला प्रशासन भी फेल है. इस वजह से बच्चे भी घर में कैद रहने को लाचार हैं.
'पर्यटक भी रहते हैं परेशान'
स्थानीय लोगों का कहना है कि बंदरों के आतंक से केवल यहां के स्थानीय नहीं बल्कि पर्यटक भी काफी परेशन रहते हैं. लोगों का कहना है कि गुरुगोविंद सिंह जी महाराज की जन्मस्थली होने के कारण यहां पर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. कई पर्यटकों को बंदरों ने घायल भी कर दिया था. महिलाओं ने बताया कि दरवाजा खुला पाकर बंदरों का झुंड रसोई में आ जाता है. रसोई से पूरा बना-बनाया खाना लेकर फरार हो जाता है. यहां तक कि फ्रिज खोलकर बंदर पानी की बोतल तक लेकर भाग जाते हैं. जिला प्रशासन से कई बार इस मामले में हल निकालने की गुहार लगाई. बावजूद जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है.