पटना: बिहार सरकार में छोटे बिजलीघरों को बंद करने की तैयारी है. सूबे को लंबे अरसे से बिजली देने वाले 2 यूनिट NTPC बंद करने की ओर कदम बढ़ा चुका है. कांटी और बरौनी प्लांट बंद करने से बिहार में बिजली की समस्या और भी ज्यादा गहरा जाएगी. इस मुद्दे को लेकर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने नीतीश (Nitish Kumar) और केंद्र की एनडीए सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि डबल इंजन से बिहार को ट्रिपल नुकसान हो रहा है.
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बिहार की दो बिजली इकाइयों कांटी और बरौनी थर्मल प्लांट से प्रदेश को 330 मेगावाट बिजली की सप्लाई होती है. इसके बंद हो जाने के बाद बिजली का संकट बढ़ जाएगा. इस बात को लेकर अब सियासत भी तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर बिहार सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और लिखा कि "बिहार में बिजली दर देश में सबसे अधिक होने के बावजूद सरकार की नाकामियों के चलते आगामी दिनों में बिजली संकट गहराएगा. डबल इंजन सरकार कांटी और बरौनी के बिजलीघर भी बंद कर रही है. डबल इंजन सरकार से बिहार को ट्रिपल नुकसान हो रहा है और हर क्षेत्र में ट्रबल ही ट्रबल."
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बिहार में बिजली दर देश में सबसे अधिक होने के बावजूद सरकार की नाकामियों के चलते आगामी दिनों में बिजली संकट गहराएगा। डबल इंजन सरकार कांटी और बरौनी के बिजलीघर भी बंद कर रही है।
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डबल इंजन सरकार से बिहार को ट्रिपल नुकसान हो रहा है और हर क्षेत्र में ट्रबल ही ट्रबल।
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डबल इंजन सरकार से बिहार को ट्रिपल नुकसान हो रहा है और हर क्षेत्र में ट्रबल ही ट्रबल।
इनके बंद होने की वजह के बारे में एनटीपीसी के अधिकारियों ने बताया कि पुरानी इकाई होने के चलते बिजली उत्पादन में कोयला अधिक लग रहा था. इसके साथ ही बिजली की उत्पादन लागत भी बढ़ती जा रही थी. और तो और इन प्लांट से प्रदूषण भी ज्यादा फैल रहा था. यही वजह है कि इन दोनों इकाइयों को बंद करने का फैसला किया गया है.
कांटी बिजलीघर की शुरूआत 1985 में हुई थी. 2005 में जब नीतीश सत्ता में आए तो उन्होंने कांटी बिजली घर की मरम्मत के लिए थर्मल पावर को आर्थिक मदद दी थी. 2013 में कांटी की पहली यूनिट शुरू हुई इसके अगले साल ही दूसरी यूनिट पर भी बिजली का उत्पादन शुरू होने लगा. तब से कांटी बिजली घर से बिहार को 220 मेगावाट बिजली की सप्लाई हो रही थी.
NTPC बरौनी की यूनिट को भी बंद करेगा. बरौनी में 110 मेगावाट की दो इकाइयों का मॉर्डनाइजेशन किया जाना है. इसमें 581 करोड़ रुपए खर्च होंगे. यहां बिजली का उत्पादन साल 2015 के बाद से शुरू है. इसके बंद होने के पीछे इस यूनिट से महंगी दरों में सप्लाई की बात बताई जा रही है. हालाकि कोयला की कमी भी इन थर्मल पावर के बंद होने की बड़ी वजह हो सकते हैं.
गौरतलब है कि बिहार ने कांटी से बिजली लेना बंद कर दिया है, इस बारे में बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ( Energy Minister Vijendra Yadav ) कहा था कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है. इस मामले में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ही कुछ बताएंगे क्योंकि बिहार सरकार ने एनटीपीसी को बिजलीघर दे दिया है.
बिहार को बिजली की किल्लत हो सकती है? इस सवाल पर मंत्री विजेंद्र यादव का कहना है कि बिजली बाजार से खरीदी जाएगी. ऐसे बिहार में नवीनगर की नई इकाई भी जल्द चालू हो रही है तो उससे बिहार को बिजली मिलने वाली है.