पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के 100 वर्ष पूरे होने पर राज्य के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. इसके साथ ही इस साल मार्च में विधानसभा के अंदर हुई घटना को लेकर राज्य सरकार पर तंज भी कसा. उन्होंने कहा कि ये ऐतिहासिक दिवस वर्तमान सरकार को जन सरोकार से विमुख होने, जनहित की तिलांजलि देने और जनता को दरकिनार और उत्पीड़ित करने पर आत्मअवलोकन के लिए बाध्य करेगा और लोकतंत्र से 'लोक' और जनप्रतिनिधि को गौण करने और अफसरों को भ्रष्टाचार और अत्याचार करने की स्वछंदता देने की नीति के लिए आत्मग्लानि का अनुभव करवाएगा.
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तेजस्वी यादव ने कहा कि 23 मार्च 2021 के काले अध्याय की पटकथा लिखने के लिए और बिहार में लोकतंत्र के मंदिर के गौरवशाली इतिहास को कलंकित करने के लिए बिहार विधानसभा और इसे अतुलनीय गौरव दिलाने वाले महापुरुषों की आत्म अहंकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कभी क्षमा नहीं करेगी.
तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के लिए शनिवार को मुंगेर रवाना हुए हैं. मुंगेर रवाना होने से पहले उन्होंने बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष की शुभकामनाएं दी हैं. आपको बता दें कि बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन विधानसभा परिसर में हो रहा है. जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल होंगे. इसके लिए भव्य तैयारी हो रही है. कार्यक्रम की पूरी तैयारी विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Speaker Vijay Sinha) की देखरेख में हो रही है.
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विधानसभा भवन अपने पीछे 100 साल की उपलब्धियों का बड़ा इतिहास संजोए हुए हैं. ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम के 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में घोषणा के बाद 22 मार्च 2012 को बंगाल से अलग होकर बिहार और उड़ीसा राज्य अस्तित्व में आया था. सर चार्ल्स स्टुअर्ट बेली पहले उप राज्यपाल बने थे. नए राज्य के विधायी प्राधिकार के रूप में 43 सदस्य विधान परिषद का गठन किया गया था. इसमें 24 सदस्य निर्वाचित और 19 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते थे, यही परिषद संख्या बल में बढ़ते घटते हुए 243 सदस्यों के साथ आज बिहार विधानसभा के रूप में हम लोगों के सामने हैं. हालांकि, इस बीच उड़ीसा अलग हुआ और फिर झारखंड भी अलग हो गया.
उड़ीसा से अलग होने के बाद 1937 में बिहार विधानसभा के गठन के लिए चुनाव हुआ. 20 जुलाई 1937 को डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में पहली सरकार बनी. 22 जुलाई को दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन हुआ. 25 जुलाई 1937 को रामदयालु सिंह बिहार विधानसभा के पहले अध्यक्ष निर्वाचित हुए. आजादी के बाद 1952 में पहले विधानसभा कार्यकाल में 331 सदस्य सभा कक्ष में बैठा करते थे. 1977 में जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में विधानसभा सदस्यों की संख्या 324 हो गई और एक मनोनीत सदस्य भी होते थे, लेकिन 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 हो गई, जो आज भी है.