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Land For Job Scam:सीबीआई की पूछताछ से मुश्किल में तेजस्वी, कानून के जानकार बता रहे उनके सामने क्या है चारा

जमीन के बदले नौकरी घोटाले मामले में सीबीआई की टीम तेजस्वी यादव को पूछताछ के लिए बुलायी (CBI interrogated Tejashwi Yadav) थी. सीबीआई के पास जो तथ्य है उसमें नौकरी के नाम पर ली गई जमीन के कागजात और नई दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी में स्थित चार मंजिला मकान है. इसी मकान में ए के इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्टर्ड कार्यालय है. लंबे समय तक तेजस्वी यादव इस कम्पनी के निदेशक रहे हैं. सीबीआई इसी को आधार बनाकर तेजस्वी यादव से पूछताछ कर रही है.

तेजस्वी
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Published : Mar 25, 2023, 9:01 PM IST

पटनाः रेलवे में नौकरी के नाम पर जमीन लेने मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नामजद आरोपी नहीं हैं, इसके बावजूद सीबीआई पूछताछ के लिए बुलायी थी. सीबीआई तेजस्वी यादव से ये जानना चाहती थी कि ए के इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड में आप किस हैसियत से निदेशक थे. क्या ये मकान आपकी है या आपके पिता लालू प्रसाद यादव की तरफ से दी गयी थी. इन्हीं चंद सवालों का जवाब खंगालने के लिए तेजस्वी यादव से पूछताछ की गयी थी.

इसे भी पढ़ेंः Land For Job Scam : तेजस्वी से CBI दफ्तर में पूछताछ, मीसा भारती से ED ने किए सवाल-जवाब

तेजस्वी यादव के सामने तीन विकल्पः सीबीआई के पूर्व अधिकारी और बिहार के डीजीपी अभयानंद की मानें तो तेजस्वी यादव के सामने तीन विकल्प हैं. यदि वे स्वीकार करते हैं कि अमुक बंगला मेरा है तो सीबीआई आरोपी बना देगी. यदि वो इस बंगले से कोई ताल्लुक नहीं होने के हवाला देते हैं तो बंगले को ईडी जांच के दायरे ला सकती है. और यदि वो चुप रह जाते हैं तो सीबीआई इनकी संलिप्तता की पुष्टि कर जांच के दायरे को बढ़ा सकती है. मतलब किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को सीबीआई के समझ ये साबित करना ही होगा कि इन जमीनों और मकानों से उनका कोई संबंध नहीं है.

चार्जशीट में डाल सकती है नामः कभी चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील प्रदीप कुमार तिवारी का भी मानना है कि किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को सीबीआई के सवालों को तथ्यों के साथ जवाब देना ही होगा. यदि वे ऐसा करने में असफल होते हैं तो सीबीआई चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम डाल सकती है. पीके तिवारी की मानें तो सीबीआई अनुसंधान के दौरान तार जुड़ने पर किसी को भी लपेट सकती है और तथ्य नहीं पाये जाने पर राहत भी दे सकती है. उन्होंने बताया कि यदि सीबीआई चार्जशीट में नाम नहीं भी देती है तो भी ट्रायल के दौरान तेजस्वी यादव को कोर्ट बतौर गवाह बुला सकती है.

तेजस्वी पर शिकंजा कस चुका हैः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय की मानें तो तेजस्वी पर इस मामले में शिकंजा कस चुका है. तेजस्वी यादव से सीबीआई इसलिए पूछताछ कर रही है कि क्योंकि दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित बंगला में ए के इंफोसिस्टम के निदेशक थे. सरकार में आने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा तो जरूर दे दिया लेकिन उसी बंगले में रह रहे थे. इस मामले में नौकरी पाने वाले, रेलवे के जीएम, मुख्य कार्मिक पदाधिकारी और लालू परिवार के खिलाफ मामला चल रहा है. इसके अलावा लालू प्रसाद के घर छापेमारी ईडी ने करीब एक करोड़ रुपये कैश, जेवरात और डॉलर बरामद किया था.

पूरक चार्जशीट दायर करने की तैयारीः सीबीआई और ईडी ये स्थापित करने में लगी है कि रेलवे में नौकरी के नाम पर लिए गए पैसे से अवैध तरीके से चल अचल सम्पत्ति अर्जित की गयी है. इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने के बाद सीबीआई अनुसंधान का दायरा बढ़ा दी है. अब तक प्राप्त साक्ष्य को पुख्ता करने के लिए सीबीआई जांच के दायरे में तेजस्वी यादव को ला दी है. सूत्रों की मानें तो ट्रायल से पहले सीबीआई पूरक चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है. इस मामले में सीबीआई के साथ साथ ईडी की जांच भी एक अलग स्वरूप में है. दोनों जांच से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि तेजस्वी यादव की राहें आसान नहीं है.

"किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को सीबीआई के सवालों को तथ्यों के साथ जवाब देना ही होगा. यदि वे ऐसा करने में असफल होते हैं तो सीबीआई चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम डाल सकती है"- प्रदीप कुमार तिवारी, वकील

पटनाः रेलवे में नौकरी के नाम पर जमीन लेने मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नामजद आरोपी नहीं हैं, इसके बावजूद सीबीआई पूछताछ के लिए बुलायी थी. सीबीआई तेजस्वी यादव से ये जानना चाहती थी कि ए के इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड में आप किस हैसियत से निदेशक थे. क्या ये मकान आपकी है या आपके पिता लालू प्रसाद यादव की तरफ से दी गयी थी. इन्हीं चंद सवालों का जवाब खंगालने के लिए तेजस्वी यादव से पूछताछ की गयी थी.

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तेजस्वी यादव के सामने तीन विकल्पः सीबीआई के पूर्व अधिकारी और बिहार के डीजीपी अभयानंद की मानें तो तेजस्वी यादव के सामने तीन विकल्प हैं. यदि वे स्वीकार करते हैं कि अमुक बंगला मेरा है तो सीबीआई आरोपी बना देगी. यदि वो इस बंगले से कोई ताल्लुक नहीं होने के हवाला देते हैं तो बंगले को ईडी जांच के दायरे ला सकती है. और यदि वो चुप रह जाते हैं तो सीबीआई इनकी संलिप्तता की पुष्टि कर जांच के दायरे को बढ़ा सकती है. मतलब किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को सीबीआई के समझ ये साबित करना ही होगा कि इन जमीनों और मकानों से उनका कोई संबंध नहीं है.

चार्जशीट में डाल सकती है नामः कभी चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव की पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील प्रदीप कुमार तिवारी का भी मानना है कि किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को सीबीआई के सवालों को तथ्यों के साथ जवाब देना ही होगा. यदि वे ऐसा करने में असफल होते हैं तो सीबीआई चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम डाल सकती है. पीके तिवारी की मानें तो सीबीआई अनुसंधान के दौरान तार जुड़ने पर किसी को भी लपेट सकती है और तथ्य नहीं पाये जाने पर राहत भी दे सकती है. उन्होंने बताया कि यदि सीबीआई चार्जशीट में नाम नहीं भी देती है तो भी ट्रायल के दौरान तेजस्वी यादव को कोर्ट बतौर गवाह बुला सकती है.

तेजस्वी पर शिकंजा कस चुका हैः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय की मानें तो तेजस्वी पर इस मामले में शिकंजा कस चुका है. तेजस्वी यादव से सीबीआई इसलिए पूछताछ कर रही है कि क्योंकि दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित बंगला में ए के इंफोसिस्टम के निदेशक थे. सरकार में आने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा तो जरूर दे दिया लेकिन उसी बंगले में रह रहे थे. इस मामले में नौकरी पाने वाले, रेलवे के जीएम, मुख्य कार्मिक पदाधिकारी और लालू परिवार के खिलाफ मामला चल रहा है. इसके अलावा लालू प्रसाद के घर छापेमारी ईडी ने करीब एक करोड़ रुपये कैश, जेवरात और डॉलर बरामद किया था.

पूरक चार्जशीट दायर करने की तैयारीः सीबीआई और ईडी ये स्थापित करने में लगी है कि रेलवे में नौकरी के नाम पर लिए गए पैसे से अवैध तरीके से चल अचल सम्पत्ति अर्जित की गयी है. इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने के बाद सीबीआई अनुसंधान का दायरा बढ़ा दी है. अब तक प्राप्त साक्ष्य को पुख्ता करने के लिए सीबीआई जांच के दायरे में तेजस्वी यादव को ला दी है. सूत्रों की मानें तो ट्रायल से पहले सीबीआई पूरक चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है. इस मामले में सीबीआई के साथ साथ ईडी की जांच भी एक अलग स्वरूप में है. दोनों जांच से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि तेजस्वी यादव की राहें आसान नहीं है.

"किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को सीबीआई के सवालों को तथ्यों के साथ जवाब देना ही होगा. यदि वे ऐसा करने में असफल होते हैं तो सीबीआई चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम डाल सकती है"- प्रदीप कुमार तिवारी, वकील

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