पटना: बिहार में हर साल गर्मी के मौसम में मासूमों की मौत होती है. चमकी बुखार और कुपोषण से संबंधित कई बीमारियां इस दौरान बच्चों में देखने को मिलती है. ऐसे में इस साल राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर दिनेश्वर प्रसाद ने इन बीमारियों से निपटने के लिए 6 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम का गठन किया है. यह टीम मुजफ्फरपुर और वैशाली जिला में जाकर उन क्षेत्रों में शोध करेगी. जहां चमकी बुखार की घटनाएं काफी सामने आती हैं.
मासूमों को बचाने की मुहिम
टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ अरविंद चौरसिया ने बताया कि महाविद्यालय के प्राचार्य के निर्देशन में 6 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है. जो मुजफ्फरपुर और वैशाली जिले में जाकर जांच करेगी. एईएस प्रभावित इलाके में 0 से 10 वर्ष के बच्चों के बीच शोध किया जायेगा और जानने की कोशिश की जायेगी कि कि आखिर इन इलाको में चमकी बुखार की घटनाएं और कुपोषण से संबंधित अन्य संक्रमण की बीमारियों की घटनाएं सबसे अधिक क्यों सामने आती है.
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टीम का गठन
6 सदस्यीय टीम प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी. और आयुर्वेदिक विधि से इन बीमारियों से बच्चों का बचाव कैसे किया जाय इस पर भी मंथन किया जायेगा.साथ ही आयुर्वेद में दवा है 'स्वर्णप्रास' इसका खुराक बच्चों को दिया जाएगा और फिर इन बच्चों के हेल्थ की मॉनिटरिंग की जाएगी. इसके अलावा इन बच्चों के माता-पिता को भी जागरूक किया जाएगा कि बच्चों को उचित पोषण आहार कराएं.
आयुर्वेद कॉलेज के 6 सदस्य करेंगे जांच
आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ दिनेश प्रसाद ने बताया कि कई दिनों से वह चमकी बुखार और कुपोषण संबंधित अन्य बीमारियों पर शोध के लिए विचार कर रहे थे. उन्होंने बताया कि राज्य आयुष समिति ने एक मीटिंग की थी और उस मीटिंग में यह चर्चा हुई थी कि राज्य में आयुष परीक्षेत्र से जुड़े लोग अपने विधा में काम करें और प्रदेश में कुपोषण से मुक्ति की दिशा में पहल करें. जिसके बाद उन्होंने 6 सदस्य टीम का गठन किया है.
प्रभावित इलाकों का शोध
यह टीम एईएस प्रभावित इलाकों में जाकर सर्वे करेगी और उस इलाके में पूर्व में जो सर्वे हुआ है उसका मिलान करेगी. उसके बाद स्वर्णप्राश दवा का 6 खुराक बच्चों को दिया जाएगा और महीने में एक खुराक दिया जाएगा. 6 महीने बाद फिर से सभी बच्चों के हेल्थ कंडीशन की मॉनिटरिंग की जाएगी और देखा जाएगा कि यह दवा कितना कारगर रहा है.