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पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन, शराब ढूंढने के फरमान को वापस लेने की मांग

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Published : Jan 30, 2022, 5:20 PM IST

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा आदेश के प्रति जारी होने के विरोध में बिहार के तमाम शिक्षक आक्रोशित होकर आदेश के प्रति को जलाकर विरोध जता रहे हैं. इनका साफ कहना है कि बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) को सख्ती से लागू कराना पुलिस-प्रशासन का काम है, इसमें हमें क्यों घसीटा जा रहा है.

पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन
पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन

पटना: बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) को सख्ती से लागू कराने के लिए शिक्षा विभाग का नया फरमान (Bihar Education Department Notification) आया है. जिसके बाद से शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है. इस आदेश के खिलाफ राजधानी पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन (Teachers protest in Patna) हुआ है. मसौढ़ी में शिक्षक संघ के बैनर तले मौजूद शिक्षकों ने न केवल शिक्षा मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की बल्कि इस दौरान आदेश की प्रतियां भी जलाई.

ये भी पढ़ें: शराब ढूंढने के फरमान पर NDA में तकरार.. BJP नेता ने कहा -'शिक्षकों से क्या-क्या करवाएगी सरकार'

प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने कहा कि इस आदेश से उनके लिए परेशानी खड़ी हो गई है. शिक्षकों का कहना है कि अगर वे लोग शराब तस्करों की खबर देते हैं, तो जाहिर तौर पर उनकी जान को खतरा भी हो सकता है. लिहाजा शिक्षा विभाग इस आदेश को फौरन वापस ले. इनका साफ कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश तुगलकी फरमान है. शराब माफियाओं से भिड़ने के लिए पुलिस तंत्र फेल है, इसलिए अब शिक्षकों को आगे बढ़ा दिया गया है.

बता दें कि बिहार में शिक्षकों को नई जिम्मेदारी दी गई है. गुरुजी अब सिर्फ बच्चों के शिक्षा-दीक्षा का ही ख्याल नहीं रखेंगे, बल्कि शराब पीने और पिलानेवालों पर नकेल भी कसेंगे. स्कूल में शराबी ना पहुंचें, इसका ख्याल भी उन्हें रखना होगा. जानकारी दें कि बिहार के स्कूलों में शराब की गतिविधि देखने को मिलती रहती है. इस बात को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी (Bihar Education Department Notification) किया है. निर्देश पत्र के अनुसार अब शिक्षक शराबियों को पकड़ेंगे. स्कूल में शराब का सेवन ना हो, इसका ख्याल भी रखेंगे.

उधर, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ समेत कई शिक्षक संघ इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि सरकार का यह तुगलकी फरमान है. यह फरमान शिक्षा का अधिकार कानून का उल्लंघन करता है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फरमान से लोगों में गलत संदेश जाएगा कि हम सरकार की मुखबिरी करते हैं. इसके गलत मायने निकाले जाएंगे और नतीजे गलत सामने आ सकते हैं.

ये भी पढ़ें: शिक्षा विभाग के फरमान से शिक्षक परेशान, कहा- आदेश है तो मानना ही पड़ेगा, लेकिन...

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पटना: बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) को सख्ती से लागू कराने के लिए शिक्षा विभाग का नया फरमान (Bihar Education Department Notification) आया है. जिसके बाद से शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है. इस आदेश के खिलाफ राजधानी पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन (Teachers protest in Patna) हुआ है. मसौढ़ी में शिक्षक संघ के बैनर तले मौजूद शिक्षकों ने न केवल शिक्षा मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की बल्कि इस दौरान आदेश की प्रतियां भी जलाई.

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प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने कहा कि इस आदेश से उनके लिए परेशानी खड़ी हो गई है. शिक्षकों का कहना है कि अगर वे लोग शराब तस्करों की खबर देते हैं, तो जाहिर तौर पर उनकी जान को खतरा भी हो सकता है. लिहाजा शिक्षा विभाग इस आदेश को फौरन वापस ले. इनका साफ कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश तुगलकी फरमान है. शराब माफियाओं से भिड़ने के लिए पुलिस तंत्र फेल है, इसलिए अब शिक्षकों को आगे बढ़ा दिया गया है.

बता दें कि बिहार में शिक्षकों को नई जिम्मेदारी दी गई है. गुरुजी अब सिर्फ बच्चों के शिक्षा-दीक्षा का ही ख्याल नहीं रखेंगे, बल्कि शराब पीने और पिलानेवालों पर नकेल भी कसेंगे. स्कूल में शराबी ना पहुंचें, इसका ख्याल भी उन्हें रखना होगा. जानकारी दें कि बिहार के स्कूलों में शराब की गतिविधि देखने को मिलती रहती है. इस बात को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी (Bihar Education Department Notification) किया है. निर्देश पत्र के अनुसार अब शिक्षक शराबियों को पकड़ेंगे. स्कूल में शराब का सेवन ना हो, इसका ख्याल भी रखेंगे.

उधर, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ समेत कई शिक्षक संघ इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि सरकार का यह तुगलकी फरमान है. यह फरमान शिक्षा का अधिकार कानून का उल्लंघन करता है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फरमान से लोगों में गलत संदेश जाएगा कि हम सरकार की मुखबिरी करते हैं. इसके गलत मायने निकाले जाएंगे और नतीजे गलत सामने आ सकते हैं.

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