पटना: बिहार में नीतीश सरकार के खिलाफ लोक शिक्षकों ने एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है. इसी कड़ी में मंगलवार को अपनी मांगों के समर्थन में पटना के इनकम टैक्स चौराहे के पास शिक्षक प्रदर्शन करते नजर आए. शिक्षकों ने बताया कि उनकी नियुक्ति तत्कालीन राबड़ी सरकार के कार्यकाल में हुई थी, लेकिन नीतीश सरकार ने उन्हें तीन साल बाद ही हटा दिया. इसके बाद आज तक इन सभी 15 हजार लोक शिक्षकों को समायोजीत नहीं किया गया है.
इनकम टैक्स चौराहे पर शिक्षकों का प्रदर्शन
पटना के इनकम टैक्स चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने बताया कि हमारी नियुक्ति सारी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद की गई थी. इसके बावजूद हमें तीन साल बाद ही हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि इसके बाद से अब तक की कई बार हमने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आवेदन दिया, लेकिन आज तक मुख्यमंत्री ने हमसे मुलाकात करना जरुरी नहीं समझा. शिक्षकों ने बताया कि इस विधानसभा चुनाव के दौरान यह वादा किया गया कि हम सभी को कृषि विभाग में समायोजित कर लिया जाएगा. लेकिन वर्तमान हालात में सरकार की ओर से किये गए वादे झूठे निकले हैं.
कृषि विभाग में समायोजित करने की मांग
पटना के इनकम टैक्स चौराहे के पास बिहार के 38 जिलों से आए शिक्षकों ने प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि 2006 में 22 हजार के करीब शिक्षकों को काम से हटाया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी, जहां से भी कोई लाभ नहीं हुआ. इस दौरान नीतीश सरकार ने लगभग सात हजार शिक्षकों को फिर से बहाल कर दिया, लेकिन समान अनुभव होने के बाद भी 15 हजार शिक्षकों के भविष्य को सरकार ने अंधेरे में डाल दिया गया है. प्रदर्शन कर रहे लोग लोक शिक्षकों ने नीतीश सरकार से मांग करते हुए बाकी बचे 15 हजार लोक शिक्षकों को कृषि विभाग में समायोजित करने की मांग की.