पटनाः राज्य के नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. 25 फरवरी से बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े करीब 40 हजार शिक्षक भी हड़ताल पर चले जाएंगे. इसके आह्वान को लेकर सोमवार को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने मशाल जुलूस निकालते हुए 25 फरवरी से सभी हाई स्कूलों में तालाबंदी करने की घोषणा की. प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की हड़ताल के बाद अब हाई स्कूलों में तालाबंदी कर शिक्षक अपनी मांग को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं.
परिवार के साथ धरना देंगे शिक्षक
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति की आपात बैठक में हुए फैसले की जानकारी दी. इस बाबत समिति के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ने बताया कि 27 फरवरी को प्रखंड मुख्यालयों पर हड़ताली शिक्षक अपने पूरे परिवार के साथ धरना देंगे. 1 मार्च को राज्य के सभी विधायकों के क्षेत्रीय आवास पर हड़ताली शिक्षक धरना देंगे और अपना मांग पत्र सौंपेंग. मनोज कुमार ने बताया कि 5 मार्च को बिहार के सभी जिलों के मुख्यालय पर हड़ताली शिक्षक अपनी मांगों के समर्थन में आक्रोश मार्च निकालेंगे और जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे.
भूख हड़ताल करेंगे शिक्षक
मनोज कुमार ने बताया कि जिले में 26 फरवरी से गर्दनीबाग धरना स्थल पर जिले के 2 बर्खास्त शिक्षकों की बर्खास्तगी वापस लेने और जितने भी शिक्षकों पर एफआईआर हुआ है, उसे वापस लेने को लेकर क्रमवार हड़ताली शिक्षक भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षकों की बर्खास्तगी और एफआईआर की कार्रवाई वापस नहीं ली जाती तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा. बैठक में समिति के संयोजक ब्रजनंदन शर्मा और आनंद कौशल सिंह समेत कई शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी उपस्थित रहें.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मई 2019 में बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार की अपील मंजूर कर ली थी.
समान काम के लिये समान वेतन नहीं
समान कार्य के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने 11 याचिकाएं दायर की थी. इस मामले में केंद्र सरकार समर्थन भी मिला था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के आधार पर समान वेतन नहीं मिलेगा.
बिहार सरकार को मिला केंद्र का साथ
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36 पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा.