पटना: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इन दिनों एक्शन मोड में हैं. शिक्षा विभाग के निर्देशों से शिक्षकों में रोष है. अब शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर निर्देशित किया है कि सरकार ने किसी शिक्षक संघ को मानता नहीं दी है. ऐसे में कोई शिक्षक संघ का निर्माण नहीं करेंगे, ना ही किसी संघ से जुड़ेंगे. यदि वह ऐसा करते हैं तो उन पर कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस निर्देश को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है और अब इस मामले को लेकर संघ भारत के राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखने की तैयारी में है.
शिक्षक संघ चीफ जस्टिस और राष्ट्रपति को लिखेगा पत्र: प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कस्टोडियन सुप्रीम कोर्ट होता है. ऐसे में इस निर्णय के खिलाफ वह पत्र लिख रहे हैं और इसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, राष्ट्रपति, बिहार के गवर्नर और बिहार के मुख्यमंत्री को भेजेंगे. संघ उन्हें बताया कि कैसे शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा हनन किया जा रहा है और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आपकी ओर से पहल की जाए.
"शिक्षक संघ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, राष्ट्रपति, गवर्नर और बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र भेजेगा. कैसे शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा हनन किया जा रहा है और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आपकी ओर से पहल की जाए. संघ को सरकार ने 8 सितंबर 1949 से मान्यता दी. सरकार की विभिन्न कमेटी या है उसमें संघ के पदाधिकारी मेंबर हैं. यह फैसला सरकार का समझ से परे है."-मनोज कुमार सिंह, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
'शिक्षकों को प्रताड़ित कर रहे हैं अधिकारी' : मनोज कुमार सिंह ने कहा कि सभी शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन भांति भांति के फरमान जारी कर शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों को प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं. इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर होगा. यदि शिक्षक ही अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं करेंगे तो वह बच्चों को क्या शिक्षा देंगे. बच्चों को सिर्फ पढ़ना ही शिक्षक का काम नहीं है, बल्कि शिक्षक का काम बच्चों का बेहतर चरित्र निर्माण और उनके व्यक्तित्व का बेहतर निर्माण भी है.
शिक्षक संघ को सरकार ने दी है मान्यता: उन्होंने कहा कि उनके संघ को सरकार ने 8 सितंबर 1949 से मान्यता दी हुई है. पूर्व में यह बिहार शिक्षक संघ का लेकिन बाद में इसका नाम परिवर्तित करके बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ किया गया. सरकार की विभिन्न कमेटी या है उसमें संघ के पदाधिकारी मेंबर हैं. चाहे मिड डे मील योजना की क्रियान्वयन की कमेटी हो या 5 सितंबर को उत्कृष्ट शिक्षक चुन्नी और उन्हें पुरस्कृत करने की कमेटी हो और अन्य कमिटियां हो जो शिक्षा से जुड़ी हुई है सभी में संघ के पदाधिकारी सदस्य हैं.
फरमान से संघ नाराज: मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इन सभी स्थितियों के बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से यह पत्र कैसे जारी हो गया कि बिहार में किसी शिक्षक संघ को मानता नहीं है. वह समझ नहीं पा रहे हैं. उनके पास तमाम साक्ष्य हैं. आईएएस अधिकारी ऐसा निर्णय ले रहे हैं. उन्होंने शिक्षा विभाग को बेहतर तरीके से जाना नहीं है और पढ़ा नहीं है. संघ सिर्फ शिक्षकों के वेतन बढ़ोतरी और उनके अधिकारों के लिए ही नहीं लड़ता है बल्कि संघ की पहल पर शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में काफी नवाचार हुए हैं.
आईएएस एसोसिएशन है तो शिक्षक संघ क्यों नहीं: मनोज कुमार सिंह ने कहा कि जिस अधिकारी ने यह निर्देश जारी किया है उन लोगों का भी एक संघ है. आईएएस एसोसिएशन बने हुए हैं. बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का संघ बना हुआ है. आईएएस अधिकारियों और तमाम प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पत्नियों का भी अपना-अपना एक अलग संघ बना हुआ है. ऐसे में कोई शिक्षक कैसे किसी संघ से नहीं जुड़ सकता और कोई शिक्षक क्यों संगठन नहीं बन सकता है, यह फैसला सरकार का समझ से परे है.
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