पटना: बिहार में करीब 20 साल से बेपटरी शिक्षकों की इनसर्विस ट्रेनिंग की व्यवस्था को लेकर शिक्षा विभाग एक बार फिर गंभीर नजर आ रही है. विभाग ने सेवाकालीन ट्रेनिंग के लिए नीति बनाने का फैसला किया है. इसके लिए दो अलग-अलग कमिटी बनाई गई हैं. जो नीति का ड्राफ्ट तैयार करेगी.
सेवाकालीन ट्रेनिंग की व्यवस्था
शिक्षा विभाग ने बिहार के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे सभी शिक्षकों की सेवाकालीन ट्रेनिंग की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है. इसके लिए स्पष्ट और व्यवहारिक नीति बनाने का फैसला किया गया है. ट्रेनिंग का जिम्मा शिक्षा विभाग का शोध और प्रशिक्षण निदेशालय निभाएगा.
कमिटी बनाने की अधिसूचना जारी
शोध प्रशिक्षण निदेशक डॉक्टर विनोदानंद झा के हस्ताक्षर से शिक्षकों की सेवा कालीन प्रशिक्षण की नीति बनाने के लिए दो अलग-अलग कमिटी बनाए जाने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. दोनों कमिटी को 27 दिसंबर तक सभी हित धारकों से व्यापक विचार-विमर्श कर प्रशिक्षण नीतीश कुमार को सौंपने का निर्देश दिया गया है.
शिक्षा विभाग ने की पहल
दरअसल शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण की व्यवस्था पहले बेहतर तरीके से होती थी. लेकिन शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के खस्ताहाल के कारण व्यवस्था गड़बड़ हो गई थी. अब एक बार फिर से शिक्षकों की इन सर्विस ट्रेनिंग को पटरी पर लाने के लिए शिक्षा विभाग ने पहल की है.
कक्षा 9 से 12 तक के लिए गठित कमेटी के सदस्य
- राकेश कुमार, प्राचार्य भागलपुर सीटीई
- ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी, डीन आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय
- प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय
- प्रोफेसर कौशल किशोर, डीन एसबी विश्वविद्यालय गया
- डॉक्टर रमेश झा, सहायक शिक्षक बांका
कक्षा एक से आठ तक के लिए गठित कमेटी के सदस्य
- इम्तियाज अहमद, प्राचार्य सीटीई तुर्की
- सेवानिवृत्त प्राचार्य, विजय कुमार झा
- तेज नारायण प्रसाद, व्याख्याता एससीईआरटी
- रिटायर प्राचार्य सुभाष चंद्र झा, सीटीई तुर्की
- मनोज त्रिपाठी, शिक्षक बड़हरा
- कृत प्रसाद, प्राचार्य मध्य विद्यालय चंडी नालंदा