पटना : बिहार सरकार ने कैबिनेट से नई शिक्षक नियमावली को मंजूरी दे दी है. लेकिन इस शिक्षक नियमावली से शिक्षक अभ्यर्थियों और शिक्षकों में काफी रोष उत्पन्न हो गया है. चाहे शिक्षक अभ्यर्थी हो या फिर एसटीइटी उत्तीर्ण शिक्षक, दोनों डिमांड कर रहे हैं कि वह दोबारा से कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं देंगे और नियमावली में इसको लेकर बदलाव किया जाए नहीं तो आने वाले दिनों में सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे और पूरे प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था ठप कर देंगे. जो टीईटी पास शिक्षक हैं, उनका कहना है कि वह जल्द इस नई नियमावली की प्रति सभी जिलों में प्रखंड स्तर पर जलाएंगे और इस नियमावली का विरोध करेंगे.
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नई नियमावली लाकर नियुक्ति में विलंब करना चाहती है सरकार: एसटीईटी 2019 उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी संघ के सचिव अभिषेक कुमार झा ने बताया कि नई नियमावली आई है उसमें कुछ प्रावधान अच्छे हैं. लेकिन उन लोगों के लिए जो परीक्षा की व्यवस्था की गई है इससे उन लोगों की आपत्ति है. उन्होंने कहा कि वह लोग 2019 एसटीटी परीक्षा उत्तीर्ण किए थे, परीक्षा के समय जो नोटिफिकेशन था उसमें साफ था कि यह कोई पात्रता परीक्षा नहीं है और इस परीक्षा में सीटें निर्धारित थी. उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों को जल्द स्कूल भेजने का प्रावधान करें ना कि दोबारा से फिर से उन लोगों की परीक्षा लेने की तैयारी करें. उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रकार की नियमावली लाकर शिक्षक बहाली को और विलंब करना चाहती है और सरकार चाहती है कि इसे लोकसभा चुनाव या अगले विधानसभा चुनाव तक ले जाया जाए लेकिन सरकार ध्यान से सुन ले कि ऐसा कुछ शिक्षक अभ्यर्थी बर्दाश्त नहीं करेंगे.
'सरकार चेत जाए नहीं तो बड़ा आंदोलन होगा' : अभिषेक कुमार झा ने कहा कि सरकार अविलंब इस फैसले को वापस ले क्योंकि वह जीवन भर परीक्षा देते नहीं रहेंगे, वह लोग परीक्षा उत्तीर्ण हो चुके हैं, और एसटीईटी, सीटेट, बीटेट सभी को मिलाकर एक मेरिट लिस्ट तैयार करते हुए शिक्षकों की बहाली करें. सरकार ऐसा नहीं करती है तो वह लोग फिर से सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को विवश होंगे और सभी मंत्रियों के आवास का घेराव होगा और पटना में बड़ा आंदोलन होगा.
'दोबारा परीक्षा देने की शर्त गलत': टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने बताया कि नई शिक्षक नियमावली से उन लोगों को घोर आपत्ति है. किसी भी विभाग में प्रमोशन के लिए अलग से बीपीएससी, यूपीएससी की परीक्षा नहीं होती, कोई डीएसपी प्रमोट करके आईपीएस बनता है तो उसे यूपीएससी परीक्षा नहीं देनी होती. उन लोगों की शुरू से मांग थी कि उन्हें राज्य कर्मियों का दर्जा दिया जाए और इसके लिए महागठबंधन के सभी घटक दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में उनके मांगों को शामिल किया था. लेकिन अब नई शर्त की इस राज्य कर्मी का दर्जा लेने के लिए सभी शिक्षकों को परीक्षा देनी होगी और वह भी शिक्षक अभ्यर्थियों के समकक्ष परीक्षा, यह सरासर गलत है.
जो शिक्षक बनकर पढ़ा रहे वो जीएस जीके की तैयारी कैसे करें? : TET उत्तीर्ण शिक्षक संघ ने कहा कि जो शिक्षक है उनका जीके जीएस की तैयारी करने का समय वर्षों पीछे छूट गया है. कंपटीशन की तैयारी करके वह शिक्षक बन चुके हैं, वर्षों से अब वह बच्चों को पढ़ाने के लिए शैक्षणिक कार्यों में लगे हुए हैं. ऐसे में उन लोगों की विभागीय स्तर पर अंदरूनी शिक्षक दक्षता परीक्षा हो, उन लोगों का बच्चों से मूल्यांकन कराया जाए कि कैसे पढ़ाते हैं.
''प्रदेश के सभी शिक्षकों में इस बात को लेकर के रोष है कि उन्हें दोबारा सरकार परीक्षा देने की बात कह रही है. सभी शिक्षक इसका विरोध करते हैं और इस विरोध के तहत सभी जिलों में प्रखंड स्तर पर इस नई नियमावली की प्रतिलिपि जलाई जाएगी. सरकार इससे भी नहीं चेतती है तो पटना की सड़कों पर आने वाले दिनों में आंदोलन किया जाएगा. इसके बाद भी अगर सरकार नियम नहीं बदलती है तो सभी शिक्षक स्कूलों में शैक्षणिक कार्य ठप करेंगे और पठन-पाठन बंद करके हड़ताल करेंगे.''- अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी उत्तीरण शिक्षक संघ