पटना: बाढ़ नगर परिषद में इलेक्टेड बॉडी और सलेक्टेड बॉडी के बीच चल रही 'शीत युद्ध' ने शहर की आबोहवा खराब कर के रख दी है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच सभी का नकाब उतरते दिख रहा है. न तो यहां के कोई कर्मचारी खुश है, न यहां के सफाई कर्मी. विकास का तो दूर-दूर तक नामोनिशान भी नहीं है.
बाढ़ नगर परिषद बिहार का पहला 'नगर परिषद' है. जहां विकास कम और हड़ताल ज्यादा होता है. फिर यहां के सफाई कर्मियों ने अपने 3 माह का बकाए वेतन भुगतान और अंतरिम वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. जिससे सफाई व्यवस्था को लेकर शहर के सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. सफाई कर्मियों के बकाए वेतन के मुद्दे पर मुख्य पार्षद से लेकर कार्यपालक पदाधिकारी हाथ उठाते नजर आ रहे हैं.
लिखित समझौता के बावजूद नहीं मिल रही वेतन
सफाई कर्मी का कहना है कि पिछले हड़ताल के समय स्थानीय विधायक से लेकर बाढ़ के तमाम आला अधिकारियों के बीच समय पर वेतन उपलब्ध कराने की लिखित समझौता हुआ था. बावजूद इसके हम लोगों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. इस बार सफाई कर्मियों ने ठान रखी है कि जब तक वेतन संबंधी समस्या का समाधान नहीं होगा, तब तक शहर में सफाई व्यवस्था शुरू नहीं होगी.
नगर परिषद की निष्क्रियता
सफाई कर्मी हड़ताल पर हैं. इसकी जानकारी जहां मुख्य पार्षद को नहीं है. वहीं, कार्यपालक पदाधिकारी फोन उठाना भी उचित नहीं समझते है. इस मुद्दे पर कोई कुछ बोलना नहीं चाहते. बाढ़ नगर परिषद की निष्क्रियता इससे भी जाहिर होती है कि परिसर में रखे लाखों के उपकरण यूं ही सड़ रहे हैं. लेकिन उसे बनवा कर काम में लाने की कवायद नहीं हो रही है.