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पटनाः राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन का चौथा टीकाकरण शुरू, अबतक 1100 बच्चों को हुआ टीकाकरण

यह टीका साल में 1 बार बच्चों को दिया जाता है और इसे 6 वर्ष तक लेना होता है. इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इस टीका से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है.

स्वर्ण प्राशन टिका
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Published : Oct 23, 2019, 8:24 AM IST

पटनाः केंद्र सरकार राज्य में चमकी बुखार के खतरे को कम करने के लिए स्वर्ण प्राशन टीका अभियान की शुरुआत की गई है. इसके तहत राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन का चौथा टीकाकरण शुरू हुआ. इसके लिए अस्पताल में बच्चे और उनके अभिभावकों की खासी भीड़ देखी जा रही है. स्वर्णप्राशन टीका 0 से 16 वर्ष तक के बच्चों को दिया जाने वाला एक आयुर्वेदीय टीका है. यह पटना राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरटीका में होती है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता

चिकित्सकों ने बताया कि स्वर्ण प्राशन एक पूर्ण आयुर्वेदिक विधि है. जो हजारों वर्षों से उपयोग में लाई जा रही है. यह बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक विकास के लिए आयुर्वेदिक सुरक्षित व्यवस्था है. यह शुद्ध स्वर्ण, गाय का घी, शहद, अश्वगंधा, ब्राह्मी, वचा, गिलोय, शंखपुष्पी जैसी औषधियों से निर्मित किया जाता है. इस टीका को पुष्य नक्षत्र में लेने की मान्यता है. इस दवा की चंद बूंदें ही बच्चों को पिलाई जाती है. चल रहे अभियान के तहत को पटना में 300 बच्चों को यह टीका पिलाया जाएगा. वहीं, अभियान के तहत अब तक ग्यारह सौ बच्चों का टीकाकरण हो चुका हैं.

patna
पटना आयुर्वेदिक अस्पताल

'अभिभावकों का मिल रहा अच्छा रिस्पॉन्स'

यह टीका साल में 1 बार बच्चों को दिया जाता है और इसे 6 वर्ष तक लेना होता है. इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इस टीका से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है. राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि अभिभावकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. अभी तक जितने भी बच्चों को स्वर्ण प्राशन दिया गया है. उन बच्चों को लेकर किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई है. वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद में नवजात शिशु से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चे को स्वर्ण प्राशन दिया जाता है. लेकिन अभी हमारे यहां 6 साल से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चे को स्वर्ण प्राशन कराया जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

स्वर्ण प्राशन के गुण

स्वर्ण प्राशन को उपयोग में लेने से बच्चों में बार-बार होने वाली बीमारियां जैसे खासी, सर्दी, जुकाम, सिर दर्द, शरीर में दर्द जैसी अन्य समस्याएं समाप्त हो जाती है. इसके साथ ही बच्चों में शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है. यह टीका खासकर बच्चों मे होने वाले चमकी बुखार, जापानी इंसफलाइटीस, डेंगू, मलेरिया समेत कई बीमारियों में कारगर है.

अपडेट

  • आयुर्वेदिक अस्पताल में शुरू हुआ स्वर्ण प्राशन का चौथा टीकाकरण
  • अब तक ग्यारह सौ बच्चों का हुआ टीकाकरण
  • आज तीन सौ बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन

पटनाः केंद्र सरकार राज्य में चमकी बुखार के खतरे को कम करने के लिए स्वर्ण प्राशन टीका अभियान की शुरुआत की गई है. इसके तहत राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन का चौथा टीकाकरण शुरू हुआ. इसके लिए अस्पताल में बच्चे और उनके अभिभावकों की खासी भीड़ देखी जा रही है. स्वर्णप्राशन टीका 0 से 16 वर्ष तक के बच्चों को दिया जाने वाला एक आयुर्वेदीय टीका है. यह पटना राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरटीका में होती है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता

चिकित्सकों ने बताया कि स्वर्ण प्राशन एक पूर्ण आयुर्वेदिक विधि है. जो हजारों वर्षों से उपयोग में लाई जा रही है. यह बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक विकास के लिए आयुर्वेदिक सुरक्षित व्यवस्था है. यह शुद्ध स्वर्ण, गाय का घी, शहद, अश्वगंधा, ब्राह्मी, वचा, गिलोय, शंखपुष्पी जैसी औषधियों से निर्मित किया जाता है. इस टीका को पुष्य नक्षत्र में लेने की मान्यता है. इस दवा की चंद बूंदें ही बच्चों को पिलाई जाती है. चल रहे अभियान के तहत को पटना में 300 बच्चों को यह टीका पिलाया जाएगा. वहीं, अभियान के तहत अब तक ग्यारह सौ बच्चों का टीकाकरण हो चुका हैं.

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पटना आयुर्वेदिक अस्पताल

'अभिभावकों का मिल रहा अच्छा रिस्पॉन्स'

यह टीका साल में 1 बार बच्चों को दिया जाता है और इसे 6 वर्ष तक लेना होता है. इससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इस टीका से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है. राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि अभिभावकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. अभी तक जितने भी बच्चों को स्वर्ण प्राशन दिया गया है. उन बच्चों को लेकर किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं आई है. वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद में नवजात शिशु से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चे को स्वर्ण प्राशन दिया जाता है. लेकिन अभी हमारे यहां 6 साल से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चे को स्वर्ण प्राशन कराया जा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

स्वर्ण प्राशन के गुण

स्वर्ण प्राशन को उपयोग में लेने से बच्चों में बार-बार होने वाली बीमारियां जैसे खासी, सर्दी, जुकाम, सिर दर्द, शरीर में दर्द जैसी अन्य समस्याएं समाप्त हो जाती है. इसके साथ ही बच्चों में शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है. यह टीका खासकर बच्चों मे होने वाले चमकी बुखार, जापानी इंसफलाइटीस, डेंगू, मलेरिया समेत कई बीमारियों में कारगर है.

अपडेट

  • आयुर्वेदिक अस्पताल में शुरू हुआ स्वर्ण प्राशन का चौथा टीकाकरण
  • अब तक ग्यारह सौ बच्चों का हुआ टीकाकरण
  • आज तीन सौ बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन
Intro:डेंगू, चिकनगुनिया, चमकी बुखार के लिए संजीवनी है स्वर्णप्रशान टीकाकरण


Body:बिहार में आयुर्वेदिक अस्पताल में आज शुरू हुआ स्वर्णप्रशान का चौथी टीकाकरण,
अब तक ग्यारह सौ बच्चों का हुआ टीकाकरण, आज तीन सौ बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन

स्वर्ण प्राशन बच्चों के लिए संजीवनी है, जिसमें 16 तरह के बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है बच्चों के शरीर में होने वाले विभिन्न बिमारियों से लडने की क्षमता को बढाती है,स्वर्णप्रशान टीका खास कर बच्चों मे होनेवाले चमकी बुखार, जापानी इंसफलाइटीस,डेंगू, मलेरिया समेत विभिन्न रोगों में कारगर है,
आयुर्वेद में यह पहला ऐसा टीका है जिसे आयुष मंत्रालय ने सभी आयुर्वेदिक अस्पताल मे शुरू किया है,जिसमें बच्चों में 16 तरह के बिमारियों से निजात पाने के लिए यह टीकाकरण किया जा रहा है,आज राजधानी पटना के आयुर्वेदिक अस्पताल कॉलेज मे चौथी टीकाकरण की गई है जहाँ तीन सौ बच्चों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है और बच्चों के बीच टीका दिया गया, चिकित्सकों की माने तो यह टीका बच्चों के लिए कई मायनो में खास है,इस टीके में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के अलावा बच्चों के शाररिक विकास बढाने एवं विभिन्न बिमारियों से लडने की क्षमता को बढाता है


Conclusion:स्वर्ण प्राशन बच्चों के संपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक पूर्णत: सुरक्षित व्यवस्था है, जिसमें 0 से लेकर 16 वर्ष तक की आयु के बच्चे को पूरे 1 वर्ष तक प्रतिमाह संयुक्त दवा की ड्राप पिलाई जाती हैं, जो स्वाद मे मिठी होने के कारण बच्चे से आसानी से ले लेते हैं
स्वर्ण प्राशन एक पूर्ण का आयुर्वेदिक विधि है जो हजारों वर्षों से उपयोग में लाई जा रही है, वर्तमान में आयुर्वेद की सभी प्राचीन पद्धती को संयुक्त रूप से कई जड़ी बूटियों को मिलाकर इसे उपयोग में लाई जा रही है

स्वर्णप्रशान के गुण:-

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, बच्चों में बार-बार होने वाली बीमारियां जैसे खासी सर्दी जुकाम सिर दर्द, शरीर में दर्द समेत समस्या धीरे-धीरे कम हो कर समाप्त हो जाती है, बुद्धि मेमोरी का विकास होता है, संपूर्ण शरीर एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक सभी तत्वों को पूर्ति करने में सक्षम है शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने के कारण त्वचा को बेहतर बनाता है आंखों कानों की कार्यशैली में सुधार करता है बाजार उपलब्ध केमिकल युक्त सप्लीमेंट एवं चिकित्सक द्वारा बच्चे के स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होती हैं



बाईट:-प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल
बाईट:-डॉ अरविंद ,शिशु रोग विशेषज्ञ, आयुर्वेदिक अस्पताल पटना
बाईट:-डॉ शिल्पी गुप्ता, शिशु रोग,आयुर्वेदिक अस्पताल पटना
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