पटना: मुजफ्फरपुर बालिकागृह कांड में सीबीआई की भूमिका और जांच पर उठ रहे सवालों का जबाव देते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में राज्य सरकार ने जब विरोधी दलों की मांग पर सीबीआई को जांच सौंपी थी, तब इसकी रिपोर्ट पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है?
'सरकार को बदनाम करने पर तुला विपक्ष'
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने वहां जो गडबड़ी पायी, उसके लिए दो दर्जन से ज्यादा अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है, लेकिन विपक्ष जिन 35 लड़कियों की हत्या के मनगढंत आरोप लगाकर सरकार को बदनाम करने पर तुला था, उसे बेबुनियाद भी बताया है.
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मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में राज्य सरकार ने जब विरोधी दलों की मांग पर सीबीआई को जांच सौंपी थी, तब इसकी रिपोर्ट पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है?
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डिप्टी CM ने RJD पर साधा निशाना
आगे उन्होंने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि दरअसल राजद केवल तभी न्याय प्रक्रिया पर भरोसा करता है, जब कोई फैसला उसके अनुकूल होता है या लालू यादव को जमानत मिलती है.
'जिन्हें शर्मसार होना चाहिए वे CBI पर कर रहे शक'
मोदी ने कहा कि सीबीआई ने बालिका गृह मामले में गहन जांच के बाद सच को सामने रखा और झूठ को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी. विडम्बना यह कि अब जिन्हें झूठा साबित होने पर शर्मसार होना चाहिए वे सीबीआई पर शक कर रहे हैं. राज्य सरकार इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर पीड़ितों को न्याय दिलाएगी.
'नहीं हुई किसी लड़की की हत्या'
दरअसल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि वहां पर किसी भी लड़की की हत्या नहीं हुई है. जिनके मर्डर का शक था, वे सब बाद में जिंदा मिली हैं. कोर्ट में सीबीआई की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल पेश हुए. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है. सभी 35 लड़कियों को जीवित पाया गया जिनकी हत्या का शक था. वहां से जो हड्डियां मिली हैं, जो कुछ अन्य व्यस्कों की हैं. दावा किया गया है कि सीबीआई जांच में साफ हो गया है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में किसी भी नाबालिक की हत्या नहीं की गई है.
आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला साक्ष्य नहीं मिला- CBI
बता दें, सीबीआई ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न के 17 मामलों में जांच पूरी हो गई है और जिलाधिकारियों सहित संलिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दायर कर दी गई है. उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने कहा कि चार प्रारंभिक जांच में किसी आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला साक्ष्य नहीं मिला और इसलिए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.