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आर्थिक पैकेज पर बोले डिप्टी CM- 2% कर्ज की सीमा बढ़ाने से बिहार 12,922 करोड़ ले सकेगा अतिरिक्त ऋण

उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आर्थिक पैके पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि कर्ज लेने की सीमा को सकल घरेलू उत्पाद में 3 से बढ़ाकर 5 फीसदी करने से बिहार 12,922 करोड़ का अतिरिक्त ऋण ले सकेगा.

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Published : May 17, 2020, 10:14 PM IST

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी केंद्र सरकार की ओर से जारी आर्थिक पैकेज पर चर्चा की. केंद्र सरकार की ओर से कोरोना संकट में 20 लाख करोड़ के पैकेज पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक पैकेज के घोषणा के पांचवे दिन सरकार ने बिहार सहित अन्य राज्यों की मांग पर कर्ज लेने की सीमा को सकल घरेलू उत्पाद में 3 से बढ़ाकर 5 फीसदी करने से बिहार 12,922 करोड़ का अतिरिक्त ऋण ले सकेगा.

सुशील मोदी ने कहा कि पहले के प्रावधान के अनुसार बिहार को एसजीडीपी के 3 प्रतिशत के दायरे में 39,341 करोड़ के ऋण लेने की अनुमति थी. कर्ज की सीमा 5 फीसदी करने से अब बिहार कुल 52,263 करोड़ की उगाही कर सकता है.

मनरेगा के तहत मिलेगा मजदूरों को लाभ
डिप्टी सीएम ने कहा कि केन्द्र की ओर से बिना किसी शर्त के 0.5 प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति के तहत बिहार अतिरिक्त 3,230 करोड़ं और निर्घारित 4 शर्तों मसलन ‘एक देश, एक राशन कार्ड’, ऊर्जा वितरण, शहरी निकाय और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करके अतिरिक्त 1.5 प्रतिशत के अन्तर्गत 6,661 करोड़ का कर्ज ले सकेगा. वहीं, उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र की ओर से मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए 40 हजार करोड़ के अतिरिक्त आवंटन का लाभ भी बिहार को मिलेगा. वैसे, बिहार को 2020-21 का 1,124 करोड़ का आंवटन पिछले महीने मिल चुका है. सुशील मोदी ने बताया कि मनरेगा के तहत राज्य में 3.50 लाख योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है और 2.17 लाख प्रवासी मजदूरों के नए जाॅब कार्ड बनाए जा चुके हैं.

डिप्टी सीएम ने दी जानकारी
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि लाॅकडाउन के कारण स्कूल-काॅलेजों के बंद रहने के बावजूद कक्षा 1 से 12 के लिए समर्पित चैनल, डिजिटल प्लेटफाॅर्म और सामुदायिक रेडियो के व्यापक विस्तार के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा से भी बिहार लाभान्वित होगा. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के लिए की गई धोषणाओं के तहत प्रत्येक जिलों में संक्रामक रोग अस्पताल और प्रत्येक प्रखंड में टेस्ट लैब आदि की स्थापना का लाभ बिहार को मिलेगा. इसके अलावा नई सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति, काॅर्पोरेट्स के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, कंपनी अधिनियम की डिफॉल्ट्स का डिक्रिमिनलाईजेशन जैसी सुधारात्मक घोषणाओं से भी लाॅकडाउन की वजह से ठप्प पड़ी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगी.

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी केंद्र सरकार की ओर से जारी आर्थिक पैकेज पर चर्चा की. केंद्र सरकार की ओर से कोरोना संकट में 20 लाख करोड़ के पैकेज पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक पैकेज के घोषणा के पांचवे दिन सरकार ने बिहार सहित अन्य राज्यों की मांग पर कर्ज लेने की सीमा को सकल घरेलू उत्पाद में 3 से बढ़ाकर 5 फीसदी करने से बिहार 12,922 करोड़ का अतिरिक्त ऋण ले सकेगा.

सुशील मोदी ने कहा कि पहले के प्रावधान के अनुसार बिहार को एसजीडीपी के 3 प्रतिशत के दायरे में 39,341 करोड़ के ऋण लेने की अनुमति थी. कर्ज की सीमा 5 फीसदी करने से अब बिहार कुल 52,263 करोड़ की उगाही कर सकता है.

मनरेगा के तहत मिलेगा मजदूरों को लाभ
डिप्टी सीएम ने कहा कि केन्द्र की ओर से बिना किसी शर्त के 0.5 प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति के तहत बिहार अतिरिक्त 3,230 करोड़ं और निर्घारित 4 शर्तों मसलन ‘एक देश, एक राशन कार्ड’, ऊर्जा वितरण, शहरी निकाय और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करके अतिरिक्त 1.5 प्रतिशत के अन्तर्गत 6,661 करोड़ का कर्ज ले सकेगा. वहीं, उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र की ओर से मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए 40 हजार करोड़ के अतिरिक्त आवंटन का लाभ भी बिहार को मिलेगा. वैसे, बिहार को 2020-21 का 1,124 करोड़ का आंवटन पिछले महीने मिल चुका है. सुशील मोदी ने बताया कि मनरेगा के तहत राज्य में 3.50 लाख योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है और 2.17 लाख प्रवासी मजदूरों के नए जाॅब कार्ड बनाए जा चुके हैं.

डिप्टी सीएम ने दी जानकारी
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि लाॅकडाउन के कारण स्कूल-काॅलेजों के बंद रहने के बावजूद कक्षा 1 से 12 के लिए समर्पित चैनल, डिजिटल प्लेटफाॅर्म और सामुदायिक रेडियो के व्यापक विस्तार के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा से भी बिहार लाभान्वित होगा. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के लिए की गई धोषणाओं के तहत प्रत्येक जिलों में संक्रामक रोग अस्पताल और प्रत्येक प्रखंड में टेस्ट लैब आदि की स्थापना का लाभ बिहार को मिलेगा. इसके अलावा नई सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति, काॅर्पोरेट्स के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, कंपनी अधिनियम की डिफॉल्ट्स का डिक्रिमिनलाईजेशन जैसी सुधारात्मक घोषणाओं से भी लाॅकडाउन की वजह से ठप्प पड़ी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगी.

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