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केन्द्रीय बजट रोजगार सृजन, आमदनी बढ़ाने और मंदी का मुकाबला करने वाला : सुशील मोदी

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Published : Feb 1, 2020, 8:08 PM IST

पूरे देश में पिछले वर्ष की तुलना में 20-21 में पंचायती राज संस्थाओं के बजट में 11 हजार करोड़, नगर निकायों के लिए 4500 करोड़ और आपदा प्रबंधन अनुदान में 10062 करोड़ की बढ़ोतरी का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे राज्य को मिलेगा.

sushil modi statement on central budget
सुशील मोदी

पटना: केन्द्रीय बजट 2020-21 पर उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजन, आम लोगों की आमदनी बढ़ाने में जहां मदद मिलेगी. वहीं बेहतर तरीके से मंदी का मुकाबला भी हो सकेगा. इसके साथ ही इस बजट से 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केन्द्रीय करों में पिछले वर्ष की तुलना में बिहार की हिस्सेदारी में 15 हजार करोड़ की वृद्धि होगी.

बिहार की हिस्सेदारी में 396 प्रतिशत की बढ़ोतरी
सुशील मोदी ने कहा कि एन के सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा को 2020-21 के बजट में शामिल करने के परिणामस्वरूप केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी 396 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2019-20 की गई. यह 9.665 प्रतिशत की तुलना में बढ़ कर 2020-21 में 10.061 प्रतिशत हो गई है. इसके परिणामस्वरूप पिछले साल जहां केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी के तौर पर 63 हजार 406 करोड़ का प्रावधान था. वहीं इस साल बिहार का हिस्सा 15 हजार करोड़ की बढ़ोतरी के साथ 78 हजार 896 करोड़ होगा.

ग्राम पंचायती राज के लिए 5018 करोड़
प्रधानमंत्री और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के सिंह को धन्यवाद देते हुए सुशील मोदी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने जहां केवल ग्राम पंचायतों के लिए अनुदान का प्रावधान किया था. वहीं 2020-21 के बजट में पंचायती राज की त्रितरीय संस्थाओं ग्राम पंचायत, प्रखंड समिति और जिला परिषद के लिए अनुदान के प्रावधान से बिहार जैसे राज्य को काफी लाभ मिलेगा. वित्त आयोग की अनुशंसा पर बजट में ग्राम पंचायती राज के लिए 5018 करोड़, नगर निकायों के लिए 2416 करोड़ और आपदा प्रबंधन के लिए 1888 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

नगर निकायों के लिए 4500 करोड़
पूरे देश में पिछले वर्ष की तुलना में 20-21 में पंचायती राज संस्थाओं के बजट में 11 हजार करोड़, नगर निकायों के लिए 4500 करोड़ और आपदा प्रबंधन अनुदान में 10062 करोड़ की बढ़ोतरी का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे राज्य को मिलेगा.

बजट में आयकर का सरलीकरण, लघु और मध्यम उद्योगों, आवासीय और कृषि प्रक्षेत्रों के लिए जो अनेक प्रावधान किए गए हैं, उससे रोजगार का सृजन होगा, लोगों की आमदनी बढ़ेगी, लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा, बचत होगी जिससे आर्थिक सुस्ती का बेहतर तरीके से मुकाबला संभव होगा.

पटना: केन्द्रीय बजट 2020-21 पर उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजन, आम लोगों की आमदनी बढ़ाने में जहां मदद मिलेगी. वहीं बेहतर तरीके से मंदी का मुकाबला भी हो सकेगा. इसके साथ ही इस बजट से 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केन्द्रीय करों में पिछले वर्ष की तुलना में बिहार की हिस्सेदारी में 15 हजार करोड़ की वृद्धि होगी.

बिहार की हिस्सेदारी में 396 प्रतिशत की बढ़ोतरी
सुशील मोदी ने कहा कि एन के सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा को 2020-21 के बजट में शामिल करने के परिणामस्वरूप केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी 396 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2019-20 की गई. यह 9.665 प्रतिशत की तुलना में बढ़ कर 2020-21 में 10.061 प्रतिशत हो गई है. इसके परिणामस्वरूप पिछले साल जहां केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी के तौर पर 63 हजार 406 करोड़ का प्रावधान था. वहीं इस साल बिहार का हिस्सा 15 हजार करोड़ की बढ़ोतरी के साथ 78 हजार 896 करोड़ होगा.

ग्राम पंचायती राज के लिए 5018 करोड़
प्रधानमंत्री और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के सिंह को धन्यवाद देते हुए सुशील मोदी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने जहां केवल ग्राम पंचायतों के लिए अनुदान का प्रावधान किया था. वहीं 2020-21 के बजट में पंचायती राज की त्रितरीय संस्थाओं ग्राम पंचायत, प्रखंड समिति और जिला परिषद के लिए अनुदान के प्रावधान से बिहार जैसे राज्य को काफी लाभ मिलेगा. वित्त आयोग की अनुशंसा पर बजट में ग्राम पंचायती राज के लिए 5018 करोड़, नगर निकायों के लिए 2416 करोड़ और आपदा प्रबंधन के लिए 1888 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

नगर निकायों के लिए 4500 करोड़
पूरे देश में पिछले वर्ष की तुलना में 20-21 में पंचायती राज संस्थाओं के बजट में 11 हजार करोड़, नगर निकायों के लिए 4500 करोड़ और आपदा प्रबंधन अनुदान में 10062 करोड़ की बढ़ोतरी का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे राज्य को मिलेगा.

बजट में आयकर का सरलीकरण, लघु और मध्यम उद्योगों, आवासीय और कृषि प्रक्षेत्रों के लिए जो अनेक प्रावधान किए गए हैं, उससे रोजगार का सृजन होगा, लोगों की आमदनी बढ़ेगी, लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा, बचत होगी जिससे आर्थिक सुस्ती का बेहतर तरीके से मुकाबला संभव होगा.

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