पटना: उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी 13वीं बार मंगलवार को विधान मंडल में साल 2020-21 का बजट पेश करेंगे. इससे पहले प्रेस रिलीज जारी कर उन्होंने कहा कि 2005 में एनडीए सरकार के गठन के बाद वोट ऑन अकाउंट की जगह 31 मार्च से पहले पूरे साल का बजट पारित करने की परम्परा शुरू की गई.
सुशील मोदी ने बताया कि पहले 4 महीने के लिए मार्च में और फिर जुलाई में साल के शेष 8 महीने के लिए लेखानुदान पारित कराया जाता था. परिणामतः एक ही व्यय के लिए दो-दो बार विधानमंडल की अनुमति लेनी पड़ती थी.
आम लोगों और एक्सपर्ट से ली गई राय
वित्त मंत्री ने कहा कि बजट बनाने की प्रक्रिया के लोकतांत्रिकरण के लिए 2006 में शुरू की गई 'बजट पूर्व परिचर्चा' की परिपाटी के तहत इस साल भी 9 अलग-अलग प्रक्षेत्रों के करीब 900 लोगों के साथ बजट के पहले विमर्श किया गया. उसके बाद उनके सुझाव संकलित किए गए. इसके अलावा समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर ऑनलाइन सुझाव भी आमंत्रित कर आम लोगों को बजट निर्माण में सहभागी बनाया गया.
ये भी पढ़ें: पटना में चल रही है NDA की बैठक, नीतीश कुमार भी पहुंचे
बढ़ गया बजट का आकार
सुशील मोदी ने कहा कि 2005-06 में जब पहली बार एनडीए की सरकार बनी थी, तो राज्य का बजट मात्र 22,568 करोड़ का था. बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण ही पिछले वर्ष 2019-20 में करीब 10 गुना वृद्धि के साथ बजट का आकार 2 लाख 501 करोड़ का रहा.