पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि जातीय सर्वे के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को संशोधित शपथ देकर केंद्र सरकार में बिहार में जातीय सर्वेे का मार्ग प्रशस्त कर दिया. राजद और जदयू के मनगढ़ंत आरोपों की हवा निकाल दी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट कर दिया कि वह बिहार में जातीय सर्वे कराने के विरुद्ध नहीं है. इससे राजद और जदयू की मंशा पर पानी फिर गया है.
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"बिहार सरकार ने भाजपा सहित सभी दलों की इच्छा के अनुरूप हाल में 17 सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर जो सर्वेक्षण कराया, वह राज्य सरकार का अधिकार है. केंद्र सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया. राजद और जदयू के मनगढ़ंत आरोपों की हवा निकाल दी" - सुशील मोदी, राज्यसभा सदस्य, भाजपा
केंद्र और राज्य सरकार में कोई टकराव नहीं: उन्होंने ने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार में कोई टकराव नहीं है, लेकिन राजद और जदयू इस पर राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि राजद और जदयू का नेतृत्व उम्मीद कर रहा था कि केंद्र सरकार बिहार में हुए जातीय सर्वे का विरोध करेंगी. जिससे भाजपा और केंद्र सरकार को जातीय सर्वे के बहाने पिछड़ा- विरोधी बताने का इन्हें मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि सेंसस (जनगणना) कराना केंद्र सरकार का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन जातीय सामाजिक-आर्थिक सर्वे राज्य सरकारें भी करा सकती हैं.
जनगणना केंद्र सरकार का विषय है: उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा सहित सभी दलों की सहमति से 17 विंदुओं पर जो आंकड़े जुटाये जा रहे हैं. वह सर्वे है,जनगणना नहीं. उन्होंने कहा कि यही बात पटना हाईकोर्ट ने भी कही थी कि राज्य को सर्वेक्षण करने का अधिकार है, जनगणना करने का नहीं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने बिहार में अपने रुख के अनुरूप सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट भी पटना हाईकोर्ट की तरह जल्द ही जातीय सर्वे के समर्थन में अपना फैसला सुनाएगा. हम कभी इसके विरुद्ध नहीं रहे.