पटना: राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर स्पष्ट किया है कि उन्होंने बिहार में समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) लागू करने की बात कभी नहीं कही. उन्होंने कहा कि मैंने वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव पर अपने भाषण में गृह मंत्री अमित शाह के इस वक्तव्य की चर्चा की थी कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी.
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स्पष्ट है कि मैंने बिहार में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कभी नहीं कही।
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मैंने वीर कुवँर सिंह विजयोत्सव पर अपने भाषण में गृह मंत्री अमित शाह के इस वक्तव्य की चर्चा की थी कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।
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— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 26, 2022
मैंने वीर कुवँर सिंह विजयोत्सव पर अपने भाषण में गृह मंत्री अमित शाह के इस वक्तव्य की चर्चा की थी कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।स्पष्ट है कि मैंने बिहार में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कभी नहीं कही।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 26, 2022
मैंने वीर कुवँर सिंह विजयोत्सव पर अपने भाषण में गृह मंत्री अमित शाह के इस वक्तव्य की चर्चा की थी कि भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।
पार्टी के अगले कदम को बताया थाः उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने राम मंदिर निर्माण की बाधाएं दूर करने और जम्मू-कश्मीर में धारा-370 को निष्प्रभावी करने जैसे फैसलों के बाद भाजपा शासन वाले राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने को पार्टी का अगला कदम बताया था. उत्तराखंड में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. सुशील मोदी ने कहा कि राम मंदिर, धारा-370, तीन तलाक और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर भाजपा की अलग राय स्पष्ट है, लेकिन जहां पार्टी दूसरे दलों के साथ सत्ता में है, वहां केवल आम सहमति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार की एनडीए सरकार इस प्रयोग का सफल उदाहरण है.
क्या है कॉमन सिविल कोडः समान नागरिक संहिता में देश में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे एक समान कानून के तहत आ जाएंगे. इसमें धर्म के आधार पर कोई कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होगी. कॉमन सिविल कोड को लागू करने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी है. गौरतलब है कि आजादी से पहले हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग कानून लागू किए गए थे. भाजपा ने कॉमन सिविल कोड को अपने तीन मुख्य एजेंडे में शामिल किया था. 2014 के लोकसभा चुनाव के भाजपा के घोषणा पत्र में भी यह मुद्दा शामिल था.
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