पटना: भारतीय जनता पार्टी ने बिहार को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है. बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी को भी आत्मनिर्भर बनाने की ठान ली है. पार्टी ने यूथ ब्रिगेड बनाने की कवायद शुरू कर दी है, मंत्रिमंडल गठन उसकी एक बानगी है.
30 साल से तिकड़ी के सहारे चल रही थी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी बिहार में पिछले 30 साल से तिकड़ी के सहारे चल रही थी. पार्टी का बोझ सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार के कंधों पर था. मिशन 2020 को फतह करने के लिए तीनों नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था.
सुशील मोदी कोरोना संक्रमित हुए थे, लेकिन सातवें दिन रोड शो करने निकल गए. सुशील मोदी को यह पता था कि चुनाव उनके लिए करो या मरो जैसी है. सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से बेदखल होना होगा.
दूसरी पंक्ति की लीडरशिप तैयार करना चाहती है भाजपा
भाजपा के सामने चुनौती यह थी कि तीनों नेताओं के रहते हुए बिहार में दूसरी पंक्ति की लीडरशिप तैयार नहीं हुई थी. केंद्रीय नेतृत्व ने इसी समय को माकूल समझा और दूसरी पंक्ति के नेताओं को तैयार करने के लिए बड़ा बदलाव किया. इसके साथ ही एक ही झटके में तीनों नेता किनारे कर दिए गए.
सुशील मोदी पिछले 15 साल में बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे. उन्हें नीतीश कुमार का संरक्षण भी लंबे समय से मिलता रहा. उनकी पकड़ पार्टी और सरकार पर बराबर थी. केंद्रीय नेतृत्व को यह लगा कि तीनों नेताओं के बाद बिहार में पार्टी का क्या होगा? हालात से निपटने के लिए अमित शाह, जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह ने कमान संभाला. मंत्रिमंडल में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया.
"सुशील मोदी बड़े नेता हैं. वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने बेहतर काम किया है. संभव है कि पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दे."- वशिष्ठ नारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू