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सुशील मोदी ने बिहार पर नीति आयोग की रिपोर्ट को दी चुनौती - ईटीवी भारत

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (MP Sushil Modi) ने नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट (NITI Aayog report on Bihar) को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि ये रिपोर्ट जमीनी हकीकत पर आधारित नहीं है.

सांसद सुशील कुमार मोदी
सांसद सुशील कुमार मोदी
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Published : Nov 29, 2021, 2:08 PM IST

पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (MP Sushil Modi) ने नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में बिहार (NITI Aayog report on Bihar) को सभी मानकों में सबसे निचले पायदान पर रखने को चुनौती दी है. अन्य कैबिनेट मंत्रियों के विचारों को प्रतिध्वनित करते हुए, राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने रविवार शाम को दावा किया कि आयोग संबंधित राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना रिपोर्ट तैयार करता है. इसलिए यह जमीनी हकीकत पर आधारित नहीं है.

ये भी पढ़ेंः नीति आयोग की रिपोर्ट हम नहीं जानते लेकिन बिहार का विकास हुआ है, विपक्ष को दिखता नहीं तो क्या करें : अशोक चौधरी

नीतीश कुमार के करीबी मोदी ने कहा, "नीति आयोग ने किसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क के बुनियादी ढांचे से संबंधित रिपोर्ट तैयार की और बिहार को सबसे नीचे रखा. इसके अधिकारियों ने गलत चीजों का मूल्यांकन करने के लिए एक पुराने तंत्र का विकल्प चुना है. उन्हें संबंधित राज्य सरकारों से परामर्श करना चाहिए और सुविधाओं का मूल्यांकन करना चाहिए. पिछले 10 से 15 वर्षों के विकास को ध्यान में रखें."

मोदी ने कहा, "यदि हम शिक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य, सड़क के बुनियादी ढांचे, प्रति व्यक्ति आय का विश्लेषण करते हैं, तो बिहार शीर्ष पर होगा. मेरा मानना है कि नीति आयोग को रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले विश्लेषण प्रक्रिया को बदलना चाहिए." उन्होंने कहा, "आयोग का विश्लेषण कार्यक्रम 2015-16 पर आधारित है, जिसे अपडेट करने की जरूरत है."

मोदी ने कहा, "नीति आयोग पंजाब, गुजरात जैसे विकसित राज्यों का बिहार और ओडिशा जैसे पिछड़े राज्यों या गोवा और उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों की तुलना में मूल्यांकन कैसे कर सकता है. इसे किसी विशेष राज्य की आबादी, क्षेत्रों और संसाधनों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए."

ये भी पढ़ेंः नीति आयोग की रिपोर्ट पर विपक्ष ने सरकार को दिखाया आइना, अर्थशास्त्रियों का सुझाव- नीति में बदलाव की जरूरत

दरअसल पिछले दिनों आई नीति आयोग की रिपोर्ट (Report Of NITI Aayog) के अनुसार बिहार में 51.91% लोग गरीबी रेखा से नीचे है. बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा है. स्कूली शिक्षा समेत दूसरे कई इंडेक्स में भी बिहार फिसड्डी साबित हुआ है. हालांकि बिहार विकास दर के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल है.

2020-21 में स्थिर मूल्य पर राज्य की आर्थिक विकास दर 10.5 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. वर्तमान मूल्य पर यह दर 15.4% है. इसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में लगा है. लेकिन बीजेपी और जेडीयू के नेता रिपोर्ट को सही नहीं मानते. इन नेताओं का कहना है कि आयोग राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना रिपोर्ट तैयार करता है. जो सही नहीं है.

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पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (MP Sushil Modi) ने नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में बिहार (NITI Aayog report on Bihar) को सभी मानकों में सबसे निचले पायदान पर रखने को चुनौती दी है. अन्य कैबिनेट मंत्रियों के विचारों को प्रतिध्वनित करते हुए, राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने रविवार शाम को दावा किया कि आयोग संबंधित राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना रिपोर्ट तैयार करता है. इसलिए यह जमीनी हकीकत पर आधारित नहीं है.

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नीतीश कुमार के करीबी मोदी ने कहा, "नीति आयोग ने किसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क के बुनियादी ढांचे से संबंधित रिपोर्ट तैयार की और बिहार को सबसे नीचे रखा. इसके अधिकारियों ने गलत चीजों का मूल्यांकन करने के लिए एक पुराने तंत्र का विकल्प चुना है. उन्हें संबंधित राज्य सरकारों से परामर्श करना चाहिए और सुविधाओं का मूल्यांकन करना चाहिए. पिछले 10 से 15 वर्षों के विकास को ध्यान में रखें."

मोदी ने कहा, "यदि हम शिक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य, सड़क के बुनियादी ढांचे, प्रति व्यक्ति आय का विश्लेषण करते हैं, तो बिहार शीर्ष पर होगा. मेरा मानना है कि नीति आयोग को रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले विश्लेषण प्रक्रिया को बदलना चाहिए." उन्होंने कहा, "आयोग का विश्लेषण कार्यक्रम 2015-16 पर आधारित है, जिसे अपडेट करने की जरूरत है."

मोदी ने कहा, "नीति आयोग पंजाब, गुजरात जैसे विकसित राज्यों का बिहार और ओडिशा जैसे पिछड़े राज्यों या गोवा और उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों की तुलना में मूल्यांकन कैसे कर सकता है. इसे किसी विशेष राज्य की आबादी, क्षेत्रों और संसाधनों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए."

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दरअसल पिछले दिनों आई नीति आयोग की रिपोर्ट (Report Of NITI Aayog) के अनुसार बिहार में 51.91% लोग गरीबी रेखा से नीचे है. बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा है. स्कूली शिक्षा समेत दूसरे कई इंडेक्स में भी बिहार फिसड्डी साबित हुआ है. हालांकि बिहार विकास दर के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल है.

2020-21 में स्थिर मूल्य पर राज्य की आर्थिक विकास दर 10.5 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. वर्तमान मूल्य पर यह दर 15.4% है. इसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में लगा है. लेकिन बीजेपी और जेडीयू के नेता रिपोर्ट को सही नहीं मानते. इन नेताओं का कहना है कि आयोग राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना रिपोर्ट तैयार करता है. जो सही नहीं है.

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