पटना: बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) ने सीएम नीतीश कुमार के फिर से अलग रेल बजट पेश करने के सुझाव पर पलटवार करते हुए कहा कि रेल बजट को आम बजट में मिलाने से बिहार में रेलवे का बजट अनुदान यूपीए सरकार की तुलना में 6 गुना बढ़ कर 6,606 करोड़ रुपये हो गया. उन्होंने कहा कि भारत के अलावा किसी देश में अलग से रेल बजट नहीं होता था. इसके साथ बीजेपी नेता ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ साल में 3.74 लाख लोगों को रेलवे में नौकरी मिली है.
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रेल बजट पर नीतीश कुमार और सुशील मोदी में बहस: सुशील मोदी ने अलग रेल बजट की परिपाटी समाप्त करने के ऐतिहासिक कदम के लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हुए इसके फायदे गिनाए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के समय अलग रेल बजट के दौर (2003-04) में रेलवे को बजट सहायता 7 हजार करोड़ रुपये मिलती थी, जो बढ़कर आम बजट ( 2022-23) के जरिये 1.59 लाख करोड़ हो गई. बिहार के पूर्व वित्त मंत्री रहे सुशील मोदी ने कहा कि अलग रेल बजट के जमाने में हर रेल मंत्री बिना बजट प्रावधान के लोकलुभावन घोषणाएं कर देते थे, लेकिन वे संसाधन के अभाव में घोषणाएं लागू नहीं करा पाते थे.
नीतीश कुमार को बदलाव नहीं दिखते: सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार दस-बीस साल पहले की रेलवे संबंधी घोषणाएं को भी लागू करा रही है, क्योंकि अब बजट सहायता राशि में 484 फीसद की वृद्धि हो चुकी है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार को ये बदलाव और काम नहीं दिखते. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय रेलवे का विद्युतीकरण 14 किलोमीटर सालाना था, जो मोदी-सरकार के समय 1750 फीसदी बढ़कर 245 किलोमीटर सालाना हो गया. उन्होंने कहा कि पहले साल में केवल तीन आरओबी बनते थे, लेकिन अब हर साल रेलवे 40 आरओबी बनवा रहा है.
नीतीश कुमार ने अलग रेल बजट की मांग की: दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को संसद में भारतीय रेलवे के लिए अलग बजट पेश करने की मांग करते हुए कहा था कि इसका बहुत महत्व है. नीतीश कुमार, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में रेल मंत्री के रूप में कार्य किया, उन्होंने कहा कि सरकार पहले एक अलग रेल बजट के माध्यम से कई नौकरियां प्रदान करती थी और सभी समाचार पत्रों में इसकी चर्चा होती थी.
"जब मैं रेल मंत्री था, हम लोगों को कई नौकरियां देते थे. जब संसद में रेल बजट पेश किया गया था, तो सभी समाचार पत्रों में चर्चा हुई थी. मैं सदन में एक अलग रेल बजट पेश करना चाहता हूं, क्योंकि इसका बहुत महत्व है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
रेल बजट अलग से होना चाहिए'-आरजेडी: वहीं रेल बजट को अलग से कराने की मांग आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी की है. उन्होंने कहा कि-'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रेल मंत्री रह चुके हैं. उन्हें सब कुछ पता है. और यही कारण है कि उन्होंने इस जायज मांग को सामने रखा है. राष्ट्रीय जनता दल उनकी मांग का समर्थन करता है. साथ ही केंद्र सरकार से हम लोग मांग करते हैं कि जिस तरह पहले रेल बजट अलग से पेश होता था, इस बार भी केंद्र सरकार रेल बजट को अलग से पेश करें.'
2017 से नहीं पेश हो रहा है अलग रेल बजट: रेल बजट को 2017 में केंद्रीय बजट के साथ मिला दिया गया था और तब से इसे वित्त मंत्री द्वारा मुख्य बजट के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. बता दें कि केंद्र सरकार 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक बजट तैयार करने की औपचारिक कवायद 10 अक्टूबर से शुरू हुई. 2024 के अप्रैल-मई में अगले लोकसभा चुनाव होने हैं. आगामी बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होने की संभावना है.