पटना: बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना जारी (Caste Census In Bihar) है. जिसपर रोक लगाने के लिए हिन्दू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर किया था, जिसपर आज सुनवाई होनी है. बता दें कि बिहार में जातीय आधारित जनगणना पर नीतीश सरकार ने 500 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई हुई है.
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जातीय जनगणना के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग: नीतीश के फैसले के खिलाफ हिन्दू सेना की याचिका पर सुनवाई पर अगर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा देता है तो ये नीतीश सरकार के लिए बड़ा झटका होगा. हिन्दू सेना ने जातीय जनगणना कराने के 6 जून 2022 वाले नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है. सर्वोच्च अदालत ने उनकी याचिका को मुख्य याचिका के साथ नत्थी करने की परमीशन दिया है.
क्या है याचिकाकर्ता का दावा: हिन्दू सेना का दावा है कि जातिगत जनगणना के जरिए मुख्मंत्री नीतीश कुमार भारत की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहते हैं. इससे पहले बिहार के ही रहने वाले अखिलेश कुमार ने जातीय जनगणना के नोटिफिकेशन को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि जाती आधारित जनगणना का नोटिफिकेशन मूल भावन और मूल ढांचे का उल्लंघन है.
7 जनवरी से जारी है सर्वे का काम: गौरतलब है कि बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना का सर्वे जारी है. पहले चरण में मकानों की गिनती की जा रही है. राज्य सरकार की ओर से यह सर्वे कराने की जिम्मेदारी सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दी गई है. दूसरे चरण की जनगणना का काम 1 से 30 अप्रैल तक होगा. इस दौरान जनगणना में शामिल लोगों की जाति , उपजाति और धर्म से जुड़ी जानकारी दर्ज की जाएगी.