पटना: एलजेपी में टूट (LJP) के साथ ही पार्टी और परिवार में तलवारें खिंच गई हैं. चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने जहां भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को तानाशाह करार दिया, वहीं भतीजे ने चाचा को विश्वासघाती बताया है. इस बीच चिराग समर्थकों ने राजधानी के इनकम टैक्स चौराहे पर ऐसा पोस्टर लगाया है, जिसमें लोगों से 'गद्दार चाचा से सावधान' रहने की अपील की गई है.
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'बाहुबली और कटप्पा' की संज्ञा
इस पोस्टर में फिल्म बाहुबली के उस सीन को दिखाने की कोशिश की गई है, जिसे देखते ही लोगों के जेहन में बरबस ही सवाल आता है कि आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? चिराग समर्थकों द्वारा लगाए गए इस पोस्टर में चिराग पासवान को 'बाहुबली' और पशुपति पारस को 'कटप्पा' बताया गया है. फिल्म में 'कटप्पा' ने 'बाहुबली' के पीठ में खंजर खोंप दिया था. समर्थकों का कहना है कि असल जिंदगी में भी चाचा ने भतीजे पर पीछे से वार किया है.
'चाचा ने भतीजे को खंजर घोंपा'
चिराग समर्थकों का आरोप है कि पशुपति ने चिराग को धोखा दिया है. फिल्म की तरह ही चाचा ने पीछे से वार किया है. उनके पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है. इनके मुताबिक पूरा प्रदेश और देश देख रहा है कि चिराग पासवान काफी दिनों से बीमार थे. जब वह बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहे थे, तभी उनके चाचा ने अपने राजनीतिक लालच में आकर पार्टी को तोड़ दिया. जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी.
'पारस को पहले बात करनी चाहिए'
चिराग समर्थकों का ये भी कहना है कि अगर पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता ही बनना था तो पहले उन्हें चिराग पासवान से बैठकर बात करनी चाहिए थी. चिराग पासवान भी कह चुके हैं कि अगर चाचा को पद ही चाहिए थी तो मुझे एक बार बोलकर तो देखेत, मैं खुशी-खुशी उन्हें पद सौंप देता.
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'पोस्टर पर पोती थी कालिख'
दरअसल जब से पशुपति पारस की अगुवाई में पांचों सांसदों ने मोर्चा खोला है, तब से ही चिराग समर्थक इन लोगों का विरोध कर रहे हैं. पिछले दिनों भी समर्थकों ने पटना स्थित कार्यालय पहुंचकर जमकर बवाल काटा था. न केवल बागी सांसदों के खिलाफ नारेबाजी की थी, बल्कि उनके पोस्टरों पर कालिख भी पोती थी.
पारस बन गए एलजेपी अध्यक्ष
गुरुवार को सांसद पशुपति पारस को एलजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिा गया है. चुनाव प्रभारी सूरजभान सिंह की निगरानी में हुए चुनाव में वे निर्विरोध चुने गए हैं. हालांकि पारस का अध्यक्ष बनना पहले से ही तय माना जा रहा था. क्योंकि चिराग पासवान गुट का कोई सदस्य इस चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ था.