पटना (बिहटा): राजधानी से सटे बिहटा के तारानगर के रहने वाले जवान सुनील कुमार भारत-चीन सेनाओं के झड़प में शहीद हो गए. सुनील बिहार रेजिमेंट के जवान थे. लद्दाख के एलएएसी पर चीनी सैनिक से झड़प में उन्होंने अपनी शहादत दी. इसकी सूचना से गांव में मातम का माहौल है.
गांव में पसरा मातमी सन्नाटा
जवान के शहादत की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव तारानगर पहुंची उनके बीच मातमी सन्नाटा पसर गया. शहीद जवान सुनील कुमार के गांव वाले उनपर काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. वहीं लोगों में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा है. लोग भारत सरकार से चीन और उनके सैनिकों पर जल्द कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.
2002 में बिहार रेजिमेंट से ज्वाइन की सेना
शहीद सुनील कुमार के परिजनों का कहना है कि 2002 में बिहार रेजिमेंट से सेना ज्वाइन की थी. एक साल पहले ही इनकी लद्दाख में पोस्टिंग हुई थी. उससे पहले वे दानापुर में ही तैनात थे. सुनील कुमार के बड़े भाई अनिल कुमार भी 2009 में सेना से सेवानिवृत्त हुए. परिवार फिलहाल दानापुर में रहता है.
चीन के खिलाफ गुस्से से भरे हैं परिजन
चीन के खिलाफ गुस्से से भरे शहीद सुनिल के बड़े भाई अनिल कुमार कहते हैं कि उसकी शहादत पर गर्व है. उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. हमने ही उसे पढ़ाया-लिखाया. 2002 में वह इंडियन आर्मी का हिस्सा बना. तारानगर सिकरिया पंचायत के सुनील कुमार की शादी 2003 में हुई. शहीद अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं.
शहीद सुनील के पार्थिव शरीर का इंतजार
एलएसी पर दो दिन पहले चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई थी. इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे. इन शहीदों में बिहार रेजिमेंट के सुनील कुमार भी शामिल थे. पूरे गांव को अब शहीद सुनील के पार्थिव शरीर का इंतजार है.