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नरक चतुर्दशी 2019: जानें इस दिन क्या करने से होगी शुभ फल की प्राप्ति

दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. नरक चतुर्दशी को नरक चौद, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी के नाम से भी लोग जानते हैं.

पटना
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Published : Oct 26, 2019, 7:16 AM IST

पटना: दीपावली से एक दिन पहले चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इसे नरक चौदस और छोटी दीपावली भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्‍ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है.

मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में तेल लगाकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. वहीं, इस दिन शाम को दीपदान की प्रथा है, जिसे यमराज के लिए किया जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा विधि-विधान से की जाती है.

नरक चतुर्दशी का है विशेष महत्व

स्नान और दीपक दान का शुभ मुहूर्त

  • पूजा से पहले स्नान का शुभ मुहूर्त : सुबह 05.16 से 06.30 तक
  • शाम को 6 बजे से लेकर 7 बजे तक यम को दीप दान का करने समय शुभ है.
  • पूजा करने की अवधि : 1 घंटा 13 मिनट
    पटना
    यमराज के लिए होती है दीपदान

नरक चतुर्दशी : पूजा विधि
मान्यता है कि, नरक चतुर्दशी पर नरक से बचने के लिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठाकर तेल की अच्छे से मालिश करने के बाद ही स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और पूरे विधि विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करें. शाम को 5 या 7 दीपक जलाएं और घर के चारों कोनों में रखें.

पटना
दैत्य नरकासुर का संहार

ऐसे पड़ा नरक चतुर्दशी नाम
पौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने दैत्य नरकासुर का संहार किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त किया था. इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में भी मनाते हैं. कहा जाता है जो इस दिन यमराज की पूजा करता है उसके घर कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है. मृत्योपरांत भी उस घर का व्यक्ति नरक में नहीं जाता है.

पटना: दीपावली से एक दिन पहले चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इसे नरक चौदस और छोटी दीपावली भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्‍ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है.

मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में तेल लगाकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. वहीं, इस दिन शाम को दीपदान की प्रथा है, जिसे यमराज के लिए किया जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा विधि-विधान से की जाती है.

नरक चतुर्दशी का है विशेष महत्व

स्नान और दीपक दान का शुभ मुहूर्त

  • पूजा से पहले स्नान का शुभ मुहूर्त : सुबह 05.16 से 06.30 तक
  • शाम को 6 बजे से लेकर 7 बजे तक यम को दीप दान का करने समय शुभ है.
  • पूजा करने की अवधि : 1 घंटा 13 मिनट
    पटना
    यमराज के लिए होती है दीपदान

नरक चतुर्दशी : पूजा विधि
मान्यता है कि, नरक चतुर्दशी पर नरक से बचने के लिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठाकर तेल की अच्छे से मालिश करने के बाद ही स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और पूरे विधि विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करें. शाम को 5 या 7 दीपक जलाएं और घर के चारों कोनों में रखें.

पटना
दैत्य नरकासुर का संहार

ऐसे पड़ा नरक चतुर्दशी नाम
पौराणिक कथा है कि इसी दिन कृष्ण ने दैत्य नरकासुर का संहार किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त किया था. इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में भी मनाते हैं. कहा जाता है जो इस दिन यमराज की पूजा करता है उसके घर कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है. मृत्योपरांत भी उस घर का व्यक्ति नरक में नहीं जाता है.

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दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. नरक चतुर्दशी को नरक चौद, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना हैं.




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