पटना: शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने और सभी को बेहतर शिक्षा देने के लिए केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं चलाकर सभी को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं. लेकिन इन दिनों बिहार के विभिन्न जिलों से आकर पटना में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र सरकार के एक फैसले से काफी निराश हैं.
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दरअसल, कारगिल चौक से एनआईटी तक फ्लाईओवर का निर्माण होना है जिससे लोगों को आवागमन में आसानी हो. इसी क्रम में पटना के अशोक राजपथ स्थित खुदाबख्श लाइब्रेरी सहित विभिन्न इमारतों के कुछ हिस्सों को तोड़ा जाएगा.
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लाइब्रेरी के थोड़े हिस्से का होना है अधिग्रहण
पथ निर्माण विभाग का कहना है कि खुदाबख्श लाइब्रेरी के 64 मीटर लंबे और पांच से छह मीटर चौड़े हिस्से का उपयोग एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए किया जाना है. जिस हिस्से की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है वह लाइब्रेरी के मुख्य भवन व नवनिर्मित बहुमंजिले भवन का हिस्सा नहीं है. केवल कर्जन रीडिंग रूम के लगभग पांच गुना बारह मीटर हिस्से का अधिग्रहण होना है.
'खुदाबख्श लाइब्रेरी में हजारों छात्र आकर पढ़ाई करते हैं. यहां पर विभिन्न प्रकार की दुर्लभ पुस्तकें भी उपलब्ध हैं. यहां एक सांस्कृतिक वातावरण है और छात्र यहां शांतिपूर्ण तरीके से पढ़ाई करते हैं'.सरकार लोगों को सुविधा देना चाहती है. लेकिन देश के ऐतिहासिक धरोहर और छात्रों का पुस्तकालय तोड़कर फ्लाईओवर बनाना चाहती है. इस फैसले से हम बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं।- नीरज यादव, छात्र, सुपौल
![सुपौल](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-pat-01-bihar-students-on-kudhabaks-library-pkg-bh10042_13042021171322_1304f_1618314202_145.jpg)
'खुदाबख्श लाइब्रेरी ऐतिहासिक धरोहर तो है ही, साथ ही हमारा इस लाइब्रेरी से इमोशनल रिश्ता जुड़ा हुआ है. देश के विभिन्न क्रांतिकारी लोग यहां आ चुके हैं. यहां पर ऐसी पुस्तकें हैं जिनका दूसरे जगह पर मिलना काफी मुश्किल है. छात्र यहां पर आकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में सरकार ने यह जो फैसला लिया है वह काफी गलत है. इससे निश्चित तौर पर छात्रों के पढ़ाई पर असर जरूर पड़ेगा'.- कार्तिक कुमार ,छात्र ,पटना विश्वविद्यालय
![पटना](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-pat-01-bihar-students-on-kudhabaks-library-pkg-bh10042_13042021171322_1304f_1618314202_1098.jpg)
'सरकार ऐतिहासिक धरोहर बचाने की बात करती है और वहीं बेहतर शिक्षा के लिए भी बात करती है. तो ऐसे में एक ऐतिहासिक धरोहर और एक ऐसा स्थान जहां हजारों की संख्या में छात्र आकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. उस इमारत को तोड़ा जाए यह काफी गलत है. इसके लिए हम सड़कों पर उतरेंगे सभी छात्रों को एकजुट करेंगे और सरकार के इस फैसले का विरोध करेंगे'.- कुमार दिव्यम, छात्र, छपरा
![छपरा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-pat-01-bihar-students-on-kudhabaks-library-pkg-bh10042_13042021171322_1304f_1618314202_804.jpg)
सरकार सिर्फ लाइब्रेरी नहीं तोड़ रही है बल्कि हजारों ऐसे छात्रों के सपनों को तोड़ रही है, जो पटना आकर विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. यहां पर ढ़ाई लाख से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं. वह भी ऐसी पुस्तकें जो छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. रिसर्च के छात्र हो या सिविल सर्विसेज के पीएचडी कर रहे हो या ग्रेजुएशन सभी छात्रों के लिए यहां पर पुस्तक उपलब्ध है.
खुदा बख्श लाइब्रेरी का इतिहास
पटना का खुदा बख्श लाइब्रेरी करीब 130 साल पुराना है. यूनेस्को द्वारा हेरिटेज बिल्डिंग घोषित खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी 1891 में खोला. तब अपनी तरह की ऐसी पहली लाइब्रेरी थी जिसमें आम लोग जा सकते थे. करीब 12 साल बाद भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन पटना में गंगा किनारे स्थित इस लाइब्रेरी का दौरा करने पहुंचे.
इसमें संग्रहित पांडुलिपियों को देखकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने इसके विकास के लिए धन उपलब्ध कराया. आभार जताने के लिए लाइब्रेरी की तरफ से 1905 में कर्जन रीडिंग हॉल की स्थापना की गई. तब से यह रीडिंग हॉल हमेशा चहल-पहल भरा रहा है, जहां आकर दुनियाभर के छात्र, विद्वान और शोधकर्ता अपने कैरियर को नया आयाम देने की कोशिश करते हैं.