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लॉकडाउन : बस से लाए जाएंगे दूसरे राज्यों में फंसे छात्र और मजदूर

बिहार के बाहर फंसे छात्र-छात्राओं और मजदूरों के लिए राहत की खबर है. केंद्र सरकार ने कहा कि कुछ शर्तो को पूरा करने के बाद लॉकडाउन में फंसे अपने लोगों को वापस लिया जाएगा.

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Published : Apr 30, 2020, 7:29 AM IST

पटना: केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि को उनके गृह राज्य में जाने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी है. गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान अंतरराज्यीय परिवहन की छूट के संबंध में बुधवार को आदेश जारी किया है. केंद्र के इस फैसले के बाद बिहार सरकार कोटा में फंसे छात्रों और देश के विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने की दिशा में काम कर रही है.

दरअसल, बिहार सरकार पर लॉकडाउन में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए राजनीतिक दबाव पड़ना शुरू हो गया था. वहीं, राजस्थान के कोटा शहर में फंसे बिहार के छात्रों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ज्यादातर राज्य सरकारी बसें भेजकर अपने छात्रों को घर वापस ला रहे हैं. लेकिन बिहारी छात्रों को ऐसी कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

नीतीश ने छूट के लिए PM मोदी का जताया आभार
इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओं, श्रद्घालुओं, पर्यटकों और अन्य लोगों के आवागमन को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में दी गई छूट के लिए केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया है.

17 लाख 20 हजार अप्रवासियों को मिली 1000 रुपये की मदद
सूचना जन-सम्पर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के कारण बिहार के बाहर फंसे बिहार के लोगों के अब तक 27 लाख 27 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 17 लाख 28 हजार आवेदकों के खाते में 1000 रूपये की राशि भेज दी गई है. वहीं, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बिहार फाउंडेशन के जरिये बिहार के बाहर फंसे 9 राज्यों के 12 शहरों में 55 राहत केन्द्र चलाए जा रहे हैं, जिससे 13 लाख 27 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं.

लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई
लॉक डाउन का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. पुलिस मुख्यालय ने आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि कुल 1671 एफआईआर और 1602 लोगों की गिरफ्तारी लॉक डाउन के दौरान हो चुकी है. सरकार के लाख मना करने के बावजूद भी लोग अपने घरों से निकलने से परहेज नहीं कर रहे हैं. जबकि कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस बनाए रखने की अपील की जा रही है.

सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां
जिला प्रशासन के कई प्रयासों के बाद भी राजधानी की सब्जी मंडी में लोग सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करते दिख रहे हैं. सब्जी मंडी में लगी भीड़ के कारण दीघा राजेंद्रनगर और मीठापुर सब्जी मंडी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. साथ ही छोटे मंडियों में भी बैरिकेडिंग लगा दी गई है ताकि भीड़ को कंट्रोल किया जा सके.

लॉकडाउन इफेक्ट: खरीदारों की राह देख रहा जर्दालु आम
लॉकडाउन के कारण फलों की बिक्री कम हो गई है. भागलपुर शहर के प्रसिद्ध जर्दालु आम की बिक्री न के बराबर हो रही है. 25 हजार किसान आम के खेतों में बैठकर खरीददार का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी है. बता दें कि ये वही आम है जो पिछले 14 सालों से प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश जैसे बड़े अधिकारी को भेजे जाते हैं.

पटना: केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि को उनके गृह राज्य में जाने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी है. गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान अंतरराज्यीय परिवहन की छूट के संबंध में बुधवार को आदेश जारी किया है. केंद्र के इस फैसले के बाद बिहार सरकार कोटा में फंसे छात्रों और देश के विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने की दिशा में काम कर रही है.

दरअसल, बिहार सरकार पर लॉकडाउन में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए राजनीतिक दबाव पड़ना शुरू हो गया था. वहीं, राजस्थान के कोटा शहर में फंसे बिहार के छात्रों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ज्यादातर राज्य सरकारी बसें भेजकर अपने छात्रों को घर वापस ला रहे हैं. लेकिन बिहारी छात्रों को ऐसी कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

नीतीश ने छूट के लिए PM मोदी का जताया आभार
इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओं, श्रद्घालुओं, पर्यटकों और अन्य लोगों के आवागमन को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में दी गई छूट के लिए केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया है.

17 लाख 20 हजार अप्रवासियों को मिली 1000 रुपये की मदद
सूचना जन-सम्पर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के कारण बिहार के बाहर फंसे बिहार के लोगों के अब तक 27 लाख 27 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 17 लाख 28 हजार आवेदकों के खाते में 1000 रूपये की राशि भेज दी गई है. वहीं, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बिहार फाउंडेशन के जरिये बिहार के बाहर फंसे 9 राज्यों के 12 शहरों में 55 राहत केन्द्र चलाए जा रहे हैं, जिससे 13 लाख 27 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं.

लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई
लॉक डाउन का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. पुलिस मुख्यालय ने आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि कुल 1671 एफआईआर और 1602 लोगों की गिरफ्तारी लॉक डाउन के दौरान हो चुकी है. सरकार के लाख मना करने के बावजूद भी लोग अपने घरों से निकलने से परहेज नहीं कर रहे हैं. जबकि कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस बनाए रखने की अपील की जा रही है.

सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां
जिला प्रशासन के कई प्रयासों के बाद भी राजधानी की सब्जी मंडी में लोग सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करते दिख रहे हैं. सब्जी मंडी में लगी भीड़ के कारण दीघा राजेंद्रनगर और मीठापुर सब्जी मंडी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. साथ ही छोटे मंडियों में भी बैरिकेडिंग लगा दी गई है ताकि भीड़ को कंट्रोल किया जा सके.

लॉकडाउन इफेक्ट: खरीदारों की राह देख रहा जर्दालु आम
लॉकडाउन के कारण फलों की बिक्री कम हो गई है. भागलपुर शहर के प्रसिद्ध जर्दालु आम की बिक्री न के बराबर हो रही है. 25 हजार किसान आम के खेतों में बैठकर खरीददार का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी है. बता दें कि ये वही आम है जो पिछले 14 सालों से प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश जैसे बड़े अधिकारी को भेजे जाते हैं.

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