पटना: पटना के मसौढ़ी में इन दिनों प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है. किसान धड़ल्ले से खेतों में पराली जलाई जा रही है. किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है बल्कि वातावरण मे प्रदूषण का खतरा बढ़ता है.यह प्रशासन के लिए चुनौती बन गई है.
मसौढ़ी में जलाई जा रही पराली: जिला प्रशासन की लाख प्रयास के बाद भी किसान पराली जलाना नहीं छोड़ रहे हैं. प्रखंड के विभिन्न गांव में खेतों में किसान खुलेआम पराली जलाते हुए नजर आ रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड कृषि कार्यालय के द्वारा लगातार किसानों को पराली प्रबंधन के गुर भी बताए जा रहे हैं. वैज्ञानिकों द्वारा पराली न जलाने और उन्हें प्रबंधन के तौर-तरीके भी सिखाए जाते हैं. बावजूद लगातार सभी किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं.
"लगातार किसानों को जन जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें समझाया जा रहा है. इसके लिए किसान सलाहकार किसानों का जागरूक कर रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है बल्कि वातावरण मे प्रदूषण का खतरा बढ़ता है." -शकिल, अहमद खां, कृषि पदाधिकारी, मसौढ़ी
मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है : किसानों को शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि लगातार पराली जलाने से कितनी हानियां हो रही है. पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है बल्कि वातावरण पर भी खतरा मंडराने लगता है. जिसको लेकर सरकार द्वारा लगातार पराली जलाने को लेकर जन जागरूकता अभियान और उन सबके बीच कार्रवाई करने की चेतावनी दी जाती है. हालांकि इस बीच प्रखंड कृषि पदाधिकारी द्वारा सभी किसान सलाहकारों के माध्यम से उन किसानों के बीच जागरूकता भी फैलाई जा रही है.
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