पटना: देश में कोरोना का कहर जारी है. अब प्रतिदिन एक लाख नए मरीजों की पुष्टि हो रही है. पीएम से लेकर सीएम तक लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर बैठक कर रहे हैं. गृह मंत्रालय से लेकर राज्य के गृह विभाग की तरफ से गाइडलाइन जारी किए जा रहे हैं. प्रशासन सड़क पर उतर कर मास्क चेकिंग अभियान चला रहा है. कोरोना के बढ़ते मामलों और सरकारी बैठकों ने रेहड़ी-फेहड़ी वालों के चेहरों पर मायूसी ला दी है.
मजदूरों और रेहड़ी-फहड़ी वालों को लॉकडाउन का डर
कोरोना काल में लॉकडाउन ने न सिर्फ जीडीपी को खाई में धकेल दिया था बल्कि उन मजदूरों और रेहड़ी-फहड़ी वालों के 'दो जून' की रोटी पर भी ग्रहण लगा दी थी. वक्त के साथ धीरे-धीरे अब रेहड़ी वालों की जिंदगी पटरी पर ठीक से लौटी भी नहीं है कि फिर से लॉकडाउन का डर सताने लगा है. पटना में दिहाड़ी लगाने वाले, सब्जी बेचने वाले, फल बेचने वालों की निगाहें पीएम मोदी और सीएम नीतीश की तरफ टिकी है. उन्हें डर है कि कहीं पिछली बार की तरह इस बार भी सरकार उन्हें 'घरों में कैद' न कर दें.
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए रेहड़ी-फहड़ी वालों ने कहा, 'जब लॉकडाउन लगा था, तब नौ महीने घर में बैठना पड़ा था. धंधा बिल्कुल चौपट हो गया था. अब एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. अगर सरकार ने फिर से लॉकडाउन लगाती है तो उनका जीना दुभर हो जाएगा'.
'बड़े-बड़े व्यापारियों पर असर नहीं पड़ता है लेकिन जो छोटे-छोटे दुकानदार हैं. जो दिन भर में 200 से ₹300 कमाते हैं उनपर लॉकडाउन का बड़ा असर पड़ता है. इसलिए सरकार को लॉकडाउन से इतर कोई और रास्ता तलाशना चाहिए. नहीं तो हम गरीब बेमौत मारे जाएंगे'.- कमलजीत सिंह, फटे पुराने नोट बदले वाले व्यवसायी
'1 साल से पूरी जिंदगी ठप पड़ी हुई थी. दो-तीन महीने से दुकान लगाकर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. परिवार में चार लोग हैं साहब. दो लड़के हैं वह भी मजदूरी का काम करते हैं. अगर लॉकडाउन फिर से लगा तो घर का चूल्हा भी जलना काफी मुश्किल हो जाएगा. हम लोग गरीब हैं, साहब रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं. लॉकडाउन लगेगा तो भूखे मरना पड़ेगा'. -सोना देवी , सब्जी विक्रेता
'सरकार लॉकडाउन लगाती है तो हम लोगों पर असर तो पड़ेगा ही कमाएंगे नहीं तो घर पर जो लोग बैठे हैं उनको खिलाएंगे कहां से, पिछले साल जिस तरह से लॉकडाउन लगाया गया था उस तरह से इस बार नहीं लगाया जाए. क्योंकि तब घर परिवार चलाना काफी मुश्किल होता है. 2 जून की रोटी के लिए सोचना पड़ता है. प्रतिदिन ठेला घुमा घुमा कर बेचने पर 200 से 300 रुपये ही कमा पाते हैं. इसी में अपना खर्च के साथ-साथ घर में 4 से 5 लोग हैं उनको भी देखना पड़ता है, बच्चों को पढ़ाना-लिखाना है, उसके लिए भी पैसा की जरूरत है, और कमाएंगे नहीं तो पूरा परिवार भूखे मर जाएगा'.- कौशल, नमकीन विक्रेता
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