पटना: साल 2020 में देश भर में आई कोरोना वैश्विक महामारी ने सभी की परेशानी बढ़ा दी लेकिन सबसे ज्यादा परेशान रेहड़ी पटरी वाले हुए. इन लोगों की तकलीफ को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (Pradhan Mantri Svanidhi Yojana) की शुरूआत की. इस योजना से स्ट्रीट वेंडर्स (Street Vendors) काफी खुश हैं लेकिन बैंक की तरफ से लोन देने में आनाकानी करने से चिंतित भी हैं.
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कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के दौरान लगे लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से फुटपाथी दुकानदार आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा कमजोर हो गए थे. इन फुटपाथी दुकानदारों की जिंदगी पटरी पर आ सके, इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वनिधि योजना की शुरुआत की गई थी.
इस योजना के माध्यम से ठेले, खोमचे वालों को सरकार बिना किसी गारंटी के 10,000 रुपये का लोन दे सकती है, ताकि उनकी जिंदगी संवर सके. सरकार की इस योजना से स्ट्रीट वेंडर खुश तो हैं लेकिन बैंक उन्हें लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं. इस कारण एक बार फिर वेंडर्स मायूस हो गए हैं.
स्ट्रीट वेंडर्स को स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र सरकार पीएम स्वनिधि योजना के तहत मदद करने में लगी हुई है. सरकार इन्हें 10,000 रुपये बैंक से कम ब्याज पर लोन दिलवाती है, ताकि ये अपना कारोबार कर सकें. किसान क्रेडिट कार्ड की तरह ही वेंडर भी अगर समय पर किश्त चुकाते हैं, तो उन्हें ब्याज में छूट भी देने का प्रावधान है. साथ ही यदि वेंडर समय पर अपना लोन चुकाते हैं तो उन्हें अनुदान 7 फीसदी तक मिलता है.
नगर निगम की तरफ से हम लोगों को वेंडर कार्ड मिल गया. लेकिन बैंक से लोन के लिए काफी चक्कर लगाना पड़ा. बैंक के अधिकारी लोन देने में आनाकानी कर रहे थे. लगातार भाग दौड़ करने के बाद बैंक से लोन मिला. लेकिन उसमें भी जिस एजेंसी के माध्यम से हमें लोन देने की प्रक्रिया बनाई गई है उसके कर्मी को पैसा देना पड़ा.- आशा देवी, वेंडर
बीर चंद पटेल पथ पर ठेला लगाने वाले संजीव कुमार बताते हैं कि निगम प्रशासन की तरफ से उन्हें वेंडर कार्ड तो मिल गया है. लेकिन जब बैंक से लोन लेने गए तो बैंक मैनेजर लोन देने में आनाकानी करने लगा और कई बार वे बैंक के चक्कर काट चुके हैं.
वहीं प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत कौशल्या देवी को लोन मिला है. जिसकी वजह से वह आज अपना व्यापार करने में लगी हुई है. कौशल्या देवी बताती हैं कि शुरुआती दौर में बैंक से कुछ परेशानी हुई थी, लेकिन बाद में लोन मिल गया.
निगम प्रशासन द्वारा लगभग 14 हजार से अधिक वेंडरों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. 4870 से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को लोन बैंकों से मिल चुका है. 1436 वेंडर्स का लोन मंजूर हो चुका है.
हमारा मकसद है कि इस योजना के तहत शहर में जितने भी वेंडर्स हैं उन्हें मदद पहुंचाना. बैंक लोन देने में आनाकानी कर रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. बिहार सरकार के वित्त मंत्री ने इसे लेकर सवाल उठाया था उन्होंने बैंकों को डांट फटकार लगई थी. बैंकों को निर्देश दिया जा चुका है कि किसी भी हाल में इस योजना को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाए.- आशीष सिन्हा स्टैंडिंग, सदस्य पीएमसी
आशीष सिन्हा बताते हैं कि पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) क्षेत्र में स्ट्रीट वेंडरों का सर्वे करवाया गया है. उसमें 22 हजार से अधिक वेंडरों की पहचान हो चुकी है. उन्हें वेंडर कार्ड भी दिया जा चुका है. यदि कोई वेंडर छूट गया है तो स्थानीय जनप्रतिनिधि के माध्यम से कार्ड बनाया जाएगा.
पटना में स्ट्रीट वेंडर्स की संख्या की बात करें तो 10,000 से अधिक इनकी संख्या है, जिनमें 45 सौ से अधिक फुटपाथी दुकानदार हैं. जो फुटपाथ पर ठेला लगाकर अपना कारोबार करते हैं. तो वहीं 5 हजार से अधिक फेरीवाले स्ट्रीट वेंडर हैं, जो शहर में घूम घूमकर अपना कारोबार करते हैं. बहरहाल पिछले वर्ष कोरोना महामारी के बीच खराब हुई इनकी स्थिति सुधरने लगी है. पीएम स्वनिधि योजना से लाभ मिलने से स्ट्रीट वेंडर्स काफी खुश हैं लेकिन बैंक की उदासीनता ने परेशानी बढ़ा दी है.
बहरहाल केंद्र सरकार ने भले ही प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के माध्यम से फुटपाथी दुकानदारों की मदद करने का सपना देखा हो, लेकिन सरकार जब तक उन बैंकों पर करवाई नहीं करेगी, जो बैंक इन फुटपाथी दुकानदारों को लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं. तब तक इस योजना का लाभ सही समय पर फुटपाथ दुकानदारों को नहीं मिलेगा.
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