पटना: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट आ गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में बजट पेश की. इस बजट के आने के बाद से कई लोगों ने अपने-अपने सुझाव भी देने शुरू कर दिए. जिले के समाजशास्त्री और ए एन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डी एम दिवाकर ने इस बजट को निराशाजनक बताया है.
भाषण से अलग बजट
डी एम दिवाकर का कहना है कि जिस प्रकार सदन में वित्त मंत्री का भाषण था. उससे मन काफी प्रसन्न हुआ. उनकी बातों से यह झलक रहा था कि इस बार का बजट गरीबों के लिए लाभदायक होगा. लेकिन, वित्त मंत्री का भाषण और बजट काफी अलग निकला. उन्होंने कहा कि युवा और किसानों के पक्ष में भले ही बात कही गई हो. लेकिन, इस बजट से इन्हें कहीं से लाभ पहुंचते नहीं दिख रहा है.
'मध्यम वर्ग को राहत नहीं'
डी एम दिवाकर ने कहा कि मध्यम वर्ग के लिए भाषण में कुछ कहा गया और बजट में कुछ और निकला. यह बजट खासकर अमीर वर्गों के लिए बना है. इस बजट में युवा वर्ग पर ध्यान नहीं दिया गया है. युवाओं को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण देने की बात कही गई थी. लेकिन, 18-19 में जो बजट प्रशिक्षण के लिए रखा गया था. उसे 19-20 में कम कर दिया गया है. वहीं, हर घर नल-जल देने की घोषणा की गई थी. लेकिन, ड्रिंकिंग वाटर और सैनिटेशन का बजट भी पिछले साल के मुताबिक कम कर दिया गया है.
हेल्थ सेंटर में ध्यान देने की जरुरत
समाजशास्त्री दिवाकर के मुताबिक हेल्थ सेक्टर में भी खास सुविधा नहीं दी गई है. एईएस सिंड्रोम के लिए विशेष व्यवस्था की घोषण भी नहीं की गई. इस क्षेत्र में घोषणा की गई होती तो बिहार के लिए बेहतर होता. वहीं, उन्होंने बढ़ते पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी आलोचना की. उन्होंने कहा डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाने से मंहगाई और बढ़ेगी.