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'RSS लेटर बम' पर ADG की सफाई- सरकार को नहीं थी इसकी जानकारी, जांच कर होगी कार्रवाई - bihar news

आरएसएस सहित 19 संगठनों की विस्तृत जानकारी की मांग पर सियासत तेज हो गई है. इस पूरे मामले में बीजेपी ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोला है. इसी बीच स्पेशल ब्रांच के एडीजी ने इस पत्र को लेकर बयान दिया है.

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Published : Jul 17, 2019, 8:01 PM IST

पटना: आरएसएस की जांच का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले पर स्पेशल ब्रांच के एडीजी ने सफाई दी है. एडीजी जेएस गंगवार ने कहा कि इस चिट्ठी की खबर किसी वरीय अधिकारी को नहीं थी. उन्होंने बताया कि इनपुट के आधार पर लेटर जारी हुआ था. सरकार को भी इस मामले में कुछ पता नहीं था. पत्र की जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

बीजेपी ने जताई आपत्ति
वहीं, बीजेपी विधायक नितिन नवीन ने इस मसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी क्या मुसीबत आ गई कि आरएसएस सहित कई संगठनों की जांच करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि आरएसएस एक खुली किताब है. जिसे जो जांच करना है, कर लें. लेकिन, पार्टी के कई नेताओं को इससे आपत्ति है.

पेश है रिपोर्ट

JDU का सरकार पर निशाना
इस मामले में जेडीयू ने सरकार पर निशाना साधा है. बिहार के पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने भी नीतीश कुमार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि बिहार में आरएसएस को मजबूत करने में सीएम का हाथ है. वहीं, आरजेडी प्रवक्ता रामानुज यादव ने कहा कि सबसे पहले नीतीश कुमार की जांच की जाए कि वो कितनी खुली किताब हैं. सीएम कभी आरएसएस को हटाने में लग जाते हैं तो कभी उसको मजबूत करने में, ये दोहरा रवैया से कुछ स्पष्ट नहीं होता है.

भवन निर्माण मंत्री ने किया सरकार का बचाव
इस पूरे मामले में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने सरकार का बचाव किया है, उन्होंने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि इंटेलिजेंस की टीम अपने तरीके से काम कर रही है. इंटेलिजेंस का काम ही है कि पब्लिक डोमेन में जितनी भी पॉलिटिकल पार्टी या संस्था हैं, उनकी जानकारी रखना. इसमें किसी को आपत्ति जताने की जरुरत नहीं है.

सरकार ने मांगा ADG से जवाब
विवादों के दौर में स्पेशल ब्रांच के एडीजी की मुश्किलें बढ़ गई है. सरकार ने एडीजी जेएस गंगवार से संघ के पत्र को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले में कहा गया कि सरकार की अनुमति के बगैर आखिर पत्र कैसे जारी किया गया. इसमें सरकार को पूरी जानकारी चाहिए.

क्या है मामला?
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से दो दिन पहले स्पेशल ब्रांच के एसपी की ओर से एक चिट्ठी जारी की गई थी. जिसमें कुल 19 संगठनों के नाम शामिल है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण समन्वय समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र संगठन के पदाधिकारियों का नाम और पता मांगा गया. इसके बाद से ही सियासत के गलियारों में खलबली मच गई है.

पटना: आरएसएस की जांच का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले पर स्पेशल ब्रांच के एडीजी ने सफाई दी है. एडीजी जेएस गंगवार ने कहा कि इस चिट्ठी की खबर किसी वरीय अधिकारी को नहीं थी. उन्होंने बताया कि इनपुट के आधार पर लेटर जारी हुआ था. सरकार को भी इस मामले में कुछ पता नहीं था. पत्र की जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी.

बीजेपी ने जताई आपत्ति
वहीं, बीजेपी विधायक नितिन नवीन ने इस मसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी क्या मुसीबत आ गई कि आरएसएस सहित कई संगठनों की जांच करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि आरएसएस एक खुली किताब है. जिसे जो जांच करना है, कर लें. लेकिन, पार्टी के कई नेताओं को इससे आपत्ति है.

पेश है रिपोर्ट

JDU का सरकार पर निशाना
इस मामले में जेडीयू ने सरकार पर निशाना साधा है. बिहार के पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने भी नीतीश कुमार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि बिहार में आरएसएस को मजबूत करने में सीएम का हाथ है. वहीं, आरजेडी प्रवक्ता रामानुज यादव ने कहा कि सबसे पहले नीतीश कुमार की जांच की जाए कि वो कितनी खुली किताब हैं. सीएम कभी आरएसएस को हटाने में लग जाते हैं तो कभी उसको मजबूत करने में, ये दोहरा रवैया से कुछ स्पष्ट नहीं होता है.

भवन निर्माण मंत्री ने किया सरकार का बचाव
इस पूरे मामले में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने सरकार का बचाव किया है, उन्होंने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि इंटेलिजेंस की टीम अपने तरीके से काम कर रही है. इंटेलिजेंस का काम ही है कि पब्लिक डोमेन में जितनी भी पॉलिटिकल पार्टी या संस्था हैं, उनकी जानकारी रखना. इसमें किसी को आपत्ति जताने की जरुरत नहीं है.

सरकार ने मांगा ADG से जवाब
विवादों के दौर में स्पेशल ब्रांच के एडीजी की मुश्किलें बढ़ गई है. सरकार ने एडीजी जेएस गंगवार से संघ के पत्र को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले में कहा गया कि सरकार की अनुमति के बगैर आखिर पत्र कैसे जारी किया गया. इसमें सरकार को पूरी जानकारी चाहिए.

क्या है मामला?
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से दो दिन पहले स्पेशल ब्रांच के एसपी की ओर से एक चिट्ठी जारी की गई थी. जिसमें कुल 19 संगठनों के नाम शामिल है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, धर्म जागरण समन्वय समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गा वाहिनी, स्वेदशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू पुत्र संगठन के पदाधिकारियों का नाम और पता मांगा गया. इसके बाद से ही सियासत के गलियारों में खलबली मच गई है.

Intro:एंकर विशेष शाखा के एडीजी जे एस गंगवार ने कहा कि जिस तरह का पत्र मीडिया में दिखाया जा रहा है निश्चित तौर पर इस पत्र की जानकारी गृह विभाग विशेष शाखा के किसी भी अधिकारी को नहीं है उन्होंने कहा कि यह पत्र पुलिस अधीक्षक ने अपने स्तर पर लिखा था निश्चित तौर पर उसकी जानकारी मुख्यालय को नहीं है क्या कारण था और क्यों लिखा गया था यह भी जानकारी मुख्यालय पर नहीं है और इस पूरे मामले की जांच होगी जांच करने के बाद भी हम बिंदु पर पहुंचेंगे कि आखिर पुलिस अधीक्षक ने क्यों यह पत्र लिखा था


Body:उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी हमें मीडिया के माध्यम से ही मिला पर यही कारण है कि मीडिया के सामने मुखातिब है उन्होंने कहा कि यह पत्र मुख्यालय कोड नहीं प्राप्त हुआ है और क्यों नहीं प्राप्त हुआ है कैसे भेजा गया है इसकी भी पूरी जांच होगी और किस हालात में यह पत्र लिखे गए हैं पुराने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इतना जरूर कहा कि कुछ इनपुट ऐसे आए थे कि आर एस एस और बजरंग दल के कुछ नेताओं पर खतरा है हो सकता है इसी को लेकर यह पत्र तैयार किया गया हो जानकारी लेने की कोशिश की गई हो लेकिन अभी कुछ मामला स्पष्ट नहीं है इसलिए हम इसके बारे में कुछ कह नहीं सकते हैं


Conclusion:कुल मिलाकर कर देखा जाए तो आनन-फानन में एक बार फिर से विशेष शाखा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इस पत्र के मामले पर स्पष्टीकरण तो दे दिया है लेकिन जिस तरह का पत्र विशेष शाखा के द्वारा निर्गत किया गया था निश्चित तौर पर यह एक सवाल खड़ा करता है आखिर एक पत्र लिखने की मंशा क्या थी भले ही विशेष शाखा गरीब विभाग इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक का नाम लेकर अपना पल्ला झाड़ रहा हो लेकिन कहीं ना कहीं कुछ सच्चाई और है क्योंकि इस पत्र को लेकर आज सदन में भी बीजेपी के कई विधायक और विधान पार्षद ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था आपको बता दें कि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी ट्वीट करके कहा है कि इस पत्र के मामले में ना ही मुख्यमंत्री को ना ही पुलिस मुख्यालय को किसी तरह की जानकारी है
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