पटना: पटना उच्च न्यायालय के न्यायधीश जस्टिस राकेश के फैसले से विवाद खड़ा हो गया है. 11 न्यायाधीशों के बीच में उनके फैसले को रद्द कर दिया गया. फिर उन्हें न्यायिक कार्यों से भी अलग कर दिया गया. बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने इस विवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायालय की विश्वसनीयता पिछले कुछ सालों में निचले स्तर पर पहुंच चुका है.
न्यायालय की विश्वसनीयता निचले स्तर पर
राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि जस्टिस राकेश के फैसले से न्यायाधीशों में घबराहट हो गई है. इसी वजह से वह इस तरह के फैसले ले रहे हैं. न्यायाधीशों को मिल-बैठकर मामले को सुलझा लेना चाहिए. ऐसे विवाद पब्लिक डोमेन में आने पर न्यायालय की निष्पक्षता प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों के दौरान न्यायालय की विश्वसनीयता लगातार घटती हुई दिख रही है. आज की तारीख में यह निचले स्तर पर पहुंच गई है.
क्या है मामला?
दरअसल, बुधवार को पटना हाईकोर्ट में जस्टिस राकेश कुमार ने राज्य की न्यायपालिका की कार्य प्रणाली पर तीखा प्रहार किया था. इसके अलावा कई दूसरे मामलों में भी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कई सख्त फैसले सुनाए. हाइकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज राकेश कुमार ने कहा था कि लगता है हाइकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है.
राकेश कुमार का आदेश रद्द
इसी बाबत हाईकोर्ट के 11 सदस्यीय जजों की फुल बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार के बुधवार का आदेश रद्द कर दिया था. चीफ जस्टिस ए पी शाही की फुल बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया था. राकेश कुमार को फिलहाल काम करने से रोक दिया गया है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने नोटिस जारी कर कहा है कि जस्टिस राकेश कुमार किसी भी केस की सुनवाई नहीं कर सकेंगे.