पटना: सूचना का अधिकार कानून प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के अंदर कानून सशक्त होने के दावे करते हैं. लेकिन दावों की पोल तब खुलती है जब लोगों को यह मालूम चलता है कि साइट भी 2 साल से बंद पड़े हैं. ऑनलाइन जानकारी नहीं मिलने की वजह से दूसरे राज्यों से भी लोगों को चक्कर लगाने सूचना आयोग आना पड़ता है.
सूचना आयोग सरकार और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए अहम भूमिका निभाता है. सूचना क्रांति के दौर में बिहार का राज्य सूचना आयोग सफेद हाथी बन कर रह गया है. ऑनलाइन साइट पिछले 2 साल से बंद पड़ी है. कोई भी जानकारी के लिए लोगों को दफ्तर का चक्कर लगाने पड़ते हैं. लोग अधिकारियों की लालफीताशाही से परेशान हैं.
अधिकारियों के रवैये से लोग परेशान
आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय अधिकारियों के रवैया से परेशान हैं. शिव प्रकाश राय ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. शिव प्रकाश राय ने कहा कि पिछले 3 साल का बजट भी आयोग ने अब तक पेश नहीं किया है. सूचना मांगने पर लोगों को प्रताड़ित किया जाता है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से ऑनलाइन साइट भी बंद पड़ी है. छोटी से छोटी जानकारी के लिए भी लोगों को आयोग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. पूरे मामले पर आयोग से जुड़े अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि इस संदर्भ में क्या सत्य है, इसको समझना पड़ेगा. कारण का पता लगाकर जिम्मेदारी तय की जाएगी.
ये हैं सूचना आयोग के अधिकारी
राज्य सूचना आयोग के अध्यक्ष फिलहाल मुख्य सचिव रह चुके अशोक कुमार सिन्हा हैं. सदस्य के रूप में बिहार सरकार से अवकाश प्राप्त कर चुके आईएस नरेंद्र कुमार सिन्हा के अलावा पूर्व डीजीपी पीके ठाकुर भी राज्य सूचना आयोग की शोभा बढ़ा रहे हैं.