पटना: अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी (Illegal Bangladeshi immigrants) महिलाओं से संबंधी याचिका पर मंगलवार को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई की. बांग्ला देश से बिहार में अवैध रूप से आई तीन अप्रवासी महिलाओं को वापस बांग्ला देश वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है.
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चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मरियम खातून की याचिका पर सुनवाई की. केंद्र और राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया गया कि इन अवैध रूप से रह रही महिलाओं को बांग्लादेश वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इस संबंध में औपचारिकताएं लगभग पूरी की जा चुकी हैं.
गौरतलब है कि बांग्लादेश से अवैध रूप से बिहार आई तीनों महिलाओं को नारी निकेतन में रखा गया था. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार को यह बताने को कहा कि राज्य में ऐसे अवैध रूप से आने वालों को डिटेंशन सेंटर में क्यों नहीं रखा जाता है. राज्य में डिटेंशन सेंटर (Detention Center) क्यों नहीं बनाया गया है. 22 जुलाई को इस मामले पर फिर सुनवाई की जाएगी.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अब तक हुई कार्रवाई के बारे में केंद्र सरकार से ब्यौरा मांगा था, लेकिन मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा कार्रवाई का ब्यौरा रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया. कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि इन बांग्लादेशी महिलाओं को डिटेंशन सेंटर की जगह नारी निकेतन में क्यों रखा गया है.
पिछली सुनवाई ने कोर्ट ने साफ कहा था कि इन्हें बेऊर जेल में रखने के लिए अलग व्यवस्था है. कोर्ट ने जानना चाहा कि राज्य में डिटेंशन सेंटर क्यों नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जेल में डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया जा सकता है. कोर्ट ने अलग से डिटेंशन सेंटर बनाए जाने के बारे में जवाब मांगा था. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए पूछा था कि इन्हें वापस भेजने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है.
गौरतलब है कि बिहार में अवैध विदेशी घुसपैठियों को रखने के लिए कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है. अवैध विदेशी घुसपैठियों को जेल में ही अलग से रखा जाता है. बिहार की सीमा बांग्लादेश से लगती है. बिहार में गैरकानूनी ढंग से आए बांग्लादेशी नागरिकों की बड़ी तादाद है. विदेशी घुसपैठियों की समस्या कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया में अधिक है.