पटना: राजधानी में तेज बारिश और आंधी के कारण नवरात्र का त्यौहार फीका नजर आ रहा है. इक्के-दुक्के लोग ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. पटना वासियों में सिद्धेश्वरी काली मंदिर की विशेष मान्यता है. यह मंदिर श्मशान भूमि पर बना हुआ है. कहा जाता है कि यहां पर नर कंकाल के ऊपर मां काली की मूर्ति स्थापित की गई है.
पटना स्थित श्मशान भूमि पर बने सिद्धेश्वरी काली मंदिर का इतिहास पुराना है. तकरीबन ढाई सौ साल पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी. पहले यहां मुर्दे जलाए जाते थे. यहां पर हमेशा अघोरियों का मेला लगा करता था. आज भी नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कई अघोरी अपनी सिद्धि के लिए यहां पर आते हैं.
नवरात्र की अष्टमी, नवमी की है विशेष मान्यता
नवरात्र के दिनों में तमाम अघोरी यहां तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं. सिद्धेश्वरी काली मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित मां काली की प्रतिमा के नीचे कई नर कंकाल को रखा गया है. कई लोग यह भी कहते हैं कि इस मंदिर में दो महिलाएं सती हुई थी. जिस कारण इसका नाम दूजरा भी पड़ा है.
मंगल और शनिवार को खास पूजा
सिद्धेश्वरी काली मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार को विशेष पूजा की जाती है. कई मायनों में पटना का यह सिद्धेश्वरी काली मंदिर ऐतिहासिक और आस्था से परिपूर्ण है. नवरात्रि के नौ दिनों में लाखों श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते हैं.
शादी की समस्या को लेकर पहुंचते हैं कुंवारे
पटना के मंदिरों में मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर का अहम स्थान है. यहां श्रद्धालु सिद्धि और अपनी मनोकामना पूर्ण के लिए पहुंचते हैं. जिन युवक और युवतियों को शादी में बाधा आती है, कहते हैं कि अगर वह यहां विधि-विधान से पूजन करें तो समस्या निश्चित ही दूर होती है.