ETV Bharat / state

साधना और सिद्धि प्रदान करने वाली हैं मां सिद्धेश्वरी काली, अष्टमी-नवमी को होती है विशेष पूजा

पटना स्थित श्मशान भूमि पर बने सिद्धेश्वरी काली मंदिर का इतिहास पुराना है. आज भी नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कई अघोरी अपनी सिद्धि के लिए यहां पर आते हैं.

मां काली की प्रतिमा
author img

By

Published : Oct 1, 2019, 7:04 AM IST

पटना: राजधानी में तेज बारिश और आंधी के कारण नवरात्र का त्यौहार फीका नजर आ रहा है. इक्के-दुक्के लोग ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. पटना वासियों में सिद्धेश्वरी काली मंदिर की विशेष मान्यता है. यह मंदिर श्मशान भूमि पर बना हुआ है. कहा जाता है कि यहां पर नर कंकाल के ऊपर मां काली की मूर्ति स्थापित की गई है.

patna
मां काली की प्रतिमा

पटना स्थित श्मशान भूमि पर बने सिद्धेश्वरी काली मंदिर का इतिहास पुराना है. तकरीबन ढाई सौ साल पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी. पहले यहां मुर्दे जलाए जाते थे. यहां पर हमेशा अघोरियों का मेला लगा करता था. आज भी नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कई अघोरी अपनी सिद्धि के लिए यहां पर आते हैं.

patna
गर्भ गृह में स्थापित मां की मूर्ति

नवरात्र की अष्टमी, नवमी की है विशेष मान्यता
नवरात्र के दिनों में तमाम अघोरी यहां तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं. सिद्धेश्वरी काली मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित मां काली की प्रतिमा के नीचे कई नर कंकाल को रखा गया है. कई लोग यह भी कहते हैं कि इस मंदिर में दो महिलाएं सती हुई थी. जिस कारण इसका नाम दूजरा भी पड़ा है.

patna
मंदिर में स्थापित पिंड

मंगल और शनिवार को खास पूजा
सिद्धेश्वरी काली मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार को विशेष पूजा की जाती है. कई मायनों में पटना का यह सिद्धेश्वरी काली मंदिर ऐतिहासिक और आस्था से परिपूर्ण है. नवरात्रि के नौ दिनों में लाखों श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते हैं.

विशेष पैकेज

शादी की समस्या को लेकर पहुंचते हैं कुंवारे
पटना के मंदिरों में मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर का अहम स्थान है. यहां श्रद्धालु सिद्धि और अपनी मनोकामना पूर्ण के लिए पहुंचते हैं. जिन युवक और युवतियों को शादी में बाधा आती है, कहते हैं कि अगर वह यहां विधि-विधान से पूजन करें तो समस्या निश्चित ही दूर होती है.

पटना: राजधानी में तेज बारिश और आंधी के कारण नवरात्र का त्यौहार फीका नजर आ रहा है. इक्के-दुक्के लोग ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. पटना वासियों में सिद्धेश्वरी काली मंदिर की विशेष मान्यता है. यह मंदिर श्मशान भूमि पर बना हुआ है. कहा जाता है कि यहां पर नर कंकाल के ऊपर मां काली की मूर्ति स्थापित की गई है.

patna
मां काली की प्रतिमा

पटना स्थित श्मशान भूमि पर बने सिद्धेश्वरी काली मंदिर का इतिहास पुराना है. तकरीबन ढाई सौ साल पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी. पहले यहां मुर्दे जलाए जाते थे. यहां पर हमेशा अघोरियों का मेला लगा करता था. आज भी नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कई अघोरी अपनी सिद्धि के लिए यहां पर आते हैं.

patna
गर्भ गृह में स्थापित मां की मूर्ति

नवरात्र की अष्टमी, नवमी की है विशेष मान्यता
नवरात्र के दिनों में तमाम अघोरी यहां तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं. सिद्धेश्वरी काली मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित मां काली की प्रतिमा के नीचे कई नर कंकाल को रखा गया है. कई लोग यह भी कहते हैं कि इस मंदिर में दो महिलाएं सती हुई थी. जिस कारण इसका नाम दूजरा भी पड़ा है.

patna
मंदिर में स्थापित पिंड

मंगल और शनिवार को खास पूजा
सिद्धेश्वरी काली मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार को विशेष पूजा की जाती है. कई मायनों में पटना का यह सिद्धेश्वरी काली मंदिर ऐतिहासिक और आस्था से परिपूर्ण है. नवरात्रि के नौ दिनों में लाखों श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते हैं.

विशेष पैकेज

शादी की समस्या को लेकर पहुंचते हैं कुंवारे
पटना के मंदिरों में मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर का अहम स्थान है. यहां श्रद्धालु सिद्धि और अपनी मनोकामना पूर्ण के लिए पहुंचते हैं. जिन युवक और युवतियों को शादी में बाधा आती है, कहते हैं कि अगर वह यहां विधि-विधान से पूजन करें तो समस्या निश्चित ही दूर होती है.

Intro:नवरात्र स्पेशल:-
तंत्र मंत्र साधना और सिद्धि प्रदान करने वाली मां है सिद्धेश्वरी काली मंदिर,
शमशान की भूमि पर बना है यह मंदिर, नर कंकाल के ऊपर मां काली की मूर्ति की गई है स्थापना, इस मंदिर में 2 महिला हुई थी सती


Body:राजधानी पटना स्थित शमशान की भूमि पर बना यह सिद्धेश्वरी काली मंदिर का इतिहास पुराना है, तकरीबन ढाई सौ साल पुराना इस मंदिर का इतिहास रहा है, कहा जाता है कि आज जिस जमीन पर यह मंदिर बना है वहां कमी शमशान की भूमि हुआ करती थी, यानी मुर्दे जलाए जाते थे और हमेशा यहां पर अघोरियों का मेला लगा करता था, आज भी कई अघोरी नवरात्रि के नवमी और अष्टमी के दिन अपने सिद्धि प्रदान करने के लिए यहां पर आते हैं, और तंत्र मंत्र की साधना करते हैं, सिद्धेश्वरी काली मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित मां काली की प्रतिमा के नीचे कई नर कंकाल को रखा गया है, वही कहा जाता है कि इस मंदिर में दो महिलाएं सति हुई थी, जिस कारण इसका नाम दूजरा भी पड़ा है, हर शनिवार और मंगलवार को यहां पर विशेष पूजन किया जाता है
कई मायनों में यह पटना का सिद्धेश्वरी काली मंदिर ऐतिहासिक और आस्था से परिपूर्ण है, नवरात्रि पर्व में लाखों के श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते हैं


Conclusion:राजधानी पटना का यह मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर पटना के विभिन्न मंदिरों में इसका एक अलग और अहम स्थान है, जहां पर श्रद्धालु सिद्धि और हर मनोकामना पूर्ण के लिए यहां पर आते हैं, नवरात्र के महीने में श्रद्धालुओं की काफी संख्या में भीड़ यहां उमडती है
सिद्धि प्रदान करने वाली है मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर जहां पर लोग दूर-दूर से अपने सिद्धि और तंत्र मंत्र साधना के लिए यहां आते हैं, शमशान भूमि पर बना हुआ या मंदिर अपने आप में एक अद्वितीय है और ऐतिहासिक भी जिसकी कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं


बाईट:-महिला श्रद्धालु
बाईट:-आचार्य शशि, मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर
पी टू सी
शशि तुलस्यान
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.