पटना: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से बचाव के लिए बिहार में टीकाकरण अभियान चल रहा है. अभियान चलाने के बाद भी बिहार में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) की रफ्तार कम है. चिकित्सा जगत के लोग कोरोना टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
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बिहार की अनुमानित आबादी करीब 13 करोड़ है. 18 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 8 करोड़ से अधिक है. 8 करोड़ वयस्कों में से अब तक 1,95,90,415 को ही टीका लगा है. 1,95,90,415 लोगों को टीका का पहला डोज और 36,59,901 लोगों को दूसरा डोज मिला है.
वैक्सीनेशन की रफ्तार पर चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की तीसरी और चौथी लहर से बचना है तो टीकाकरण की रफ्तार और तेज करनी होगी. इसी रफ्तार से वैक्सीनेशन हुआ तो बिहार के सभी 18 साल से अधिक लोगों को टीका लगाने में 2 साल लगेंगे.
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा, 'कोरोना से बचाव का एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन है. कोरोना की तीसरी लहर से पहले वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज करना जरूरी है. वैक्सीनेशन अभियान को और व्यापक बनाने की आवश्यकता है. सरकार को इस प्रकार की व्यवस्था करनी चाहिए कि जिसे भी वैक्सीन लेना है वह जिस समय चाहे वैक्सीनेशन सेंटर जाकर वैक्सीन ले सके.'
"अभी जिस रफ्तार से वैक्सीनेशन हो रहा है आगे भी इसी रफ्तार से हुआ तो 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाने में कम से कम 2 साल लगेंगे. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते वैक्सीनेशन अभियान को गति दिया जाए और वैक्सीन की कमी दूर की जाए."- डॉ दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
बता दें कि राजधानी पटना में अब तक 19,99,599 लोगों ने कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लिया है और 6,49,394 लोगों ने दूसरा डोज भी ले लिया है. बिहार में कोरोना टीकाकरण की धीमी रफ्तार की मुख्य वजह टीका की कमी है. वैक्सीन की कमी के चलते राजधानी में ही सरकार कोरोना टीकाकरण अभियान सुचारू रूप से नहीं चला पा रही है. टीका की कमी के चलते वैक्सीनेशन रोकना पड़ता है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छह माह में छह करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगाने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए महाअभियान की शुरुआत की गई थी, लेकिन टीका की कमी के चलते इस अभियान पर भी ब्रेक लगा है. पहले सप्ताह के सातों दिन कोरोना का टीका लगाया जा रहा था. बाद में इसे घटाकर 5 दिन कर दिया गया.
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