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Bihar Flood: जब हर साल खड़े हो रहे तटबंध और बांध, तो फिर लोगों को क्यों गंवानी पड़ती है जान

बिहार के लोग दशकों से बाढ़ की तबाही झेल रहे हैं. हर साल भारी मात्रा में जान माल का नुकसान होता है. हर साल मानसून के बाद सरकार बड़े-बड़े दावें करती है, लेकिन परिणाम वही हर बार की तरह शून्य होता है. फिर अगले साल लोगों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. देखें रिपोर्ट...

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Published : Jul 13, 2021, 6:24 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 6:34 PM IST

पटना: बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित वाला राज्य है. उत्तर बिहार में 76% आबादी बाढ़ के खतरे में रहती है. देश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5% बिहार में है. उत्तर बिहार के जिले में मानसून (Monsoon In Bihar) के दौरान कम से कम पांच प्रमुख नदियों महानंदा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक और गंडक लगभग हर साल बाढ़ लाती हैं. इसके अलावा दक्षिण बिहार भी पुनपुन और फल्गु नदी से बाढ़ की चपेट में आ जाता है.

ये भी पढ़ें: Muzaffarpur Flood: बाढ़ ने उड़ाई ग्रामीणों की नींद, पूरी रात जगकर कर रहे बांध की पहरेदारी

बिहार में वर्तमान समय में 10 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. जिनमें 293 पंचायत और 858 गांव बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित हैं. नाव के सहारे लोगों को घरों से बाहर निकाला जा रहा है. वहीं कई लोग ऐसे हैं जो घरों में पानी भर जाने के बाद अपने घर के छत ऊपर रहने को मजबूर हैं. कई जिलों के शहरों में बाढ़ के पानी भर जाने की वजह से सड़कों पर वाहन के बजाय नाव चल रहा है. बाढ़ प्रवाहित जिलों के लाइफ लाइन कहे जाने वाले बांध और रोड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

ईटीवी भारत GFX
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समस्तीपुर के बूढ़ी गंडक (Burhi Gandak River In Samastipur) के जलस्तर में वृद्धि होने की वजह से रेल पुल संख्या एक पर पानी का दबाव बढ़ते ही रेल प्रशासन ने समस्तीपुर दरभंगा डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया है. जिस वजह से कई ट्रेनों के रूटों में भी बदलाव किया गया है.

ये भी पढ़ें: नदियों के उफान से लखनदेई नदी का जमींदारी बांध टूटा, पानी रोकने में जुटे ग्रामीण

आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के 10 जिले के 858 गांव में 149 कम्युनिटी किचन राज्य सरकार की ओर से चलाया जा रहा है. अब तक 1,05,652 लोगों तक आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से भोजन सामग्री मुहैया करवाया गया है. वहीं बाढ़ के मद्देनजर एनडीआरएफ (NDRF) की 7 और एसडीआरएफ (SDRF) की 7 टीमों को तैनात किया गया है.

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आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से करीबन 71,000 लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थल या राहत शिविर में पहुंचाया गया है. जहां प्रतिदिन लगभग हजारों की संख्या में लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. अब तक की बाढ़ में कितने लोगों की मौत हुई है, यह आंकड़ा आपदा प्रबंधन विभाग के पास मौजूद नहीं हैं.

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पश्चिम चंपारण जिले में बगहा, पिपरासी, मझौलिया, मैनाटांड़, सिकटा, लोरिया, चनपटिया प्रखंड बाढ़ से पूर्ण रूप से प्रभावित हैं. वहीं, गोपालगंज जिले में गोपालगंज, बैकुंठपुर, बरौली, कुचायकोट, मांझा, सिधवलिया प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं. पूर्वी चंपारण का अरेराज, संग्रामपुर, केसरिया, सुगौली, बंजरिया, चिरैया, मोतिहारी, पिपराकोठी, पकड़ीदयाल, तेतरिया, मधुवन प्रखंड प्रभावित हैं.

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सारण जिले के पानापुर, मकेर, तरैया प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं. शिवहर जिले के पुनरहिया, पिपराही तरियानी शिवहर डुमरी कटसरी प्रखंड प्रभावित है. मुजफ्फरपुर जिले के कटरा, औराई ,कांटी, मीनापुर, मोतीपुर, बोचहा, बंदरा, मुसहरी गायघाट, मुरौल प्रखंड प्रभावित हैं. सीतामढ़ी के सुप्पी, सुरसंड बाराचट्टी, डुमरा, बेलसंड, चोरौत सोनबरसा प्रखंड प्रभावित हैं. साथ ही दरभंगा के घनश्यामपुर, हायाघाट, हनुमाननगर, गोराबौराम कुशेश्वरअस्थान पूर्वी और केवटी प्रखंड प्रभावित हैं. समस्तीपुर के कल्याणपुर विधान और हसनपुर प्रखंड प्रभावित है और मधुबन का मधेपुरा प्रखंड प्रभावित है.

ईटीवी भारत GFX
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'संभावित बाढ़ के मद्देनजर आपदा विभाग की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. पुलों और बांधों की मरम्मती के साथ-साथ सुरक्षित स्थलों को चिन्हित किया गया है. जहां मनुष्य के साथ-साथ पशुओं को अलग रहने की व्यवस्था भी की गई है. सामुदायिक भवनों को भी चिन्हित किया गया है, जहां लोगों को रखा जा रहा है. आवश्यकतानुसार कम्युनिटी किचन भी चलाए जा रहे हैं.' - रेणु देवी, उपमुख्यमंत्री

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ईटीवी भारत की टीम ने जब बाढ़ प्रभावित लोगों को राज्य सरकार की तरफ से आपदा राहत मुहैया करवाने की बात की, तो उनके पास इसका कोई हिसाब नहीं था. उन्होंने कहा कि नियम है कि जिस गांव में एक हफ्ते तक पानी जमा रहता है, उन्हीं लोगों को आपदा राशि मुहैया करायी जाती है, जिसका आकलन किया जा रहा है.

देखें रिपोर्ट

बता दें कि पिछले 5 सालों का औसत निकाले तो बिहार के 38 जिलों में 28 जिले हर साल बाढ़ से कम या अधिक प्रभावित होते हैं. इसमें 136 प्रखंडों में लगभग 4,000 गांव हर साल प्रभावित होते हैं. औसतन 95 लाख लोग बाढ़ की परेशानी झेलते हैं और 320 लोगों की मौत बाढ़ में डूबने से हो जाती है. इस दौरान लगभग 130 करोड़ की निजी संपत्ति का नुकसान भी होता है.

सुपौल, मधेपुरा, शिवहर, सहरसा, खगड़िया, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर, वैशाली, कटिहार, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय और भागलपुर अति बाढ़ प्रभावित जिले हैं. इसके अलावा सारण, नालंदा, पूर्णिया, पश्चिम चंपारण, पटना, सिवान, गोपालगंज ,बक्सर, अररिया, शेखपुरा, किशनगंज, भोजपुर और लखीसराय जिले भी बाढ़ से प्रभावित होते हैं.

पटना: बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित वाला राज्य है. उत्तर बिहार में 76% आबादी बाढ़ के खतरे में रहती है. देश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5% बिहार में है. उत्तर बिहार के जिले में मानसून (Monsoon In Bihar) के दौरान कम से कम पांच प्रमुख नदियों महानंदा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक और गंडक लगभग हर साल बाढ़ लाती हैं. इसके अलावा दक्षिण बिहार भी पुनपुन और फल्गु नदी से बाढ़ की चपेट में आ जाता है.

ये भी पढ़ें: Muzaffarpur Flood: बाढ़ ने उड़ाई ग्रामीणों की नींद, पूरी रात जगकर कर रहे बांध की पहरेदारी

बिहार में वर्तमान समय में 10 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. जिनमें 293 पंचायत और 858 गांव बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित हैं. नाव के सहारे लोगों को घरों से बाहर निकाला जा रहा है. वहीं कई लोग ऐसे हैं जो घरों में पानी भर जाने के बाद अपने घर के छत ऊपर रहने को मजबूर हैं. कई जिलों के शहरों में बाढ़ के पानी भर जाने की वजह से सड़कों पर वाहन के बजाय नाव चल रहा है. बाढ़ प्रवाहित जिलों के लाइफ लाइन कहे जाने वाले बांध और रोड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

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ये भी पढ़ें: नदियों के उफान से लखनदेई नदी का जमींदारी बांध टूटा, पानी रोकने में जुटे ग्रामीण

आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार के 10 जिले के 858 गांव में 149 कम्युनिटी किचन राज्य सरकार की ओर से चलाया जा रहा है. अब तक 1,05,652 लोगों तक आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से भोजन सामग्री मुहैया करवाया गया है. वहीं बाढ़ के मद्देनजर एनडीआरएफ (NDRF) की 7 और एसडीआरएफ (SDRF) की 7 टीमों को तैनात किया गया है.

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पश्चिम चंपारण जिले में बगहा, पिपरासी, मझौलिया, मैनाटांड़, सिकटा, लोरिया, चनपटिया प्रखंड बाढ़ से पूर्ण रूप से प्रभावित हैं. वहीं, गोपालगंज जिले में गोपालगंज, बैकुंठपुर, बरौली, कुचायकोट, मांझा, सिधवलिया प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं. पूर्वी चंपारण का अरेराज, संग्रामपुर, केसरिया, सुगौली, बंजरिया, चिरैया, मोतिहारी, पिपराकोठी, पकड़ीदयाल, तेतरिया, मधुवन प्रखंड प्रभावित हैं.

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ईटीवी भारत की टीम ने जब बाढ़ प्रभावित लोगों को राज्य सरकार की तरफ से आपदा राहत मुहैया करवाने की बात की, तो उनके पास इसका कोई हिसाब नहीं था. उन्होंने कहा कि नियम है कि जिस गांव में एक हफ्ते तक पानी जमा रहता है, उन्हीं लोगों को आपदा राशि मुहैया करायी जाती है, जिसका आकलन किया जा रहा है.

देखें रिपोर्ट

बता दें कि पिछले 5 सालों का औसत निकाले तो बिहार के 38 जिलों में 28 जिले हर साल बाढ़ से कम या अधिक प्रभावित होते हैं. इसमें 136 प्रखंडों में लगभग 4,000 गांव हर साल प्रभावित होते हैं. औसतन 95 लाख लोग बाढ़ की परेशानी झेलते हैं और 320 लोगों की मौत बाढ़ में डूबने से हो जाती है. इस दौरान लगभग 130 करोड़ की निजी संपत्ति का नुकसान भी होता है.

सुपौल, मधेपुरा, शिवहर, सहरसा, खगड़िया, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर, वैशाली, कटिहार, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय और भागलपुर अति बाढ़ प्रभावित जिले हैं. इसके अलावा सारण, नालंदा, पूर्णिया, पश्चिम चंपारण, पटना, सिवान, गोपालगंज ,बक्सर, अररिया, शेखपुरा, किशनगंज, भोजपुर और लखीसराय जिले भी बाढ़ से प्रभावित होते हैं.

Last Updated : Jul 13, 2021, 6:34 PM IST
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