पटनाः बिहार के अररिया में भूकंप के झटके महसूस (Araria Earthquake) किए गए. मौसम वैज्ञानिक ऐसे छोटे छोटे भूकंप को भविष्य के लिए अच्छा मानते हैं. मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि इस तरह छोटे छोटे भूकंप नहीं आते हैं तो आने वाले समय के लिए बड़ा खतरा हो जाएगा. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर बुधवार को आए भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई. इसका सेंटर बनमंखी बाजार से 8 किलोमीटर दूर जमीन में 10 किलोमीटर की गहराई में था.
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भूकंप को अच्छा संकेत मान रहे वैज्ञानिकः बुधवार को अररिया में आए भूकंप से पहले रविवार और सोमवार को भी अंडमान निकोबार दीप समूह में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. मंगलवार को पश्चिम बंगाल और नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. जिसकी तीव्रता 4.1 थी. आज जो 4.3 का भूकंप आया है, वह दीवारों पर टंगी फ्रेम को गिराने में सक्षम होता है, लेकिन विशेषज्ञ इस तीव्रता के भूकंप को अच्छा संकेत मान रहे हैं. पटना मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार ने इसकी जानकारी दी.
बिहार में भूकंप इलाके के तीन जोनः आशीष कुमार ने बताया कि भूकंप का असली वजह टेक्टोनिक प्लेटों में तेज हलचल का होंना है. भूगर्भ में प्लेट तैरते रहते हैं और इससे ऊर्जा उत्पन्न होती है. यही ऊर्जा अधिक होती है तो भूकंप के झटकों के माध्यम से भूगर्भ से बाहर निकलती है. पूरा बिहार भूकंप को लेकर 3 सीस्मिक जोन में बटा हुआ है. पहला है वेरी हाई रिस्क जोन जिसमें सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया हैं. साथ ही किशनगंज, सहरसा, दरभंगा और मधेपुरा के कुछ हिस्से आते हैं. दूसरा हाई रिस्क जोन जिसमें पूरा उत्तर बिहार और दक्षिण पूर्व बिहार के जिले आते हैं. तीसरा है मॉडरेट रिस्क जोन जिसमें प्रदेश के दक्षिण पश्चिम के 8 जिले नवादा, गया, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद आते हैं.
कम तीव्रता के भूकंप आने से इलाका सेफः बुधवार को अररिया में जो भूकंप आया है, उसका केंद्र अररिया में जमीन से 10 किलोमीटर अंदर मिला है. अररिया, सुपौल, मधुबनी, सीतामढ़ी के इलाके वेरी हाईरिस्क जोन में आते हैं. 9 तीव्रता या उससे अधिक तक का भूकंप आ सकता है. इस तीव्रता के भूकंप आ रहे हैं तो यह अच्छा संकेत है. क्योंकि भूगर्भ की उर्जा बाहर निकल जा रही है. यदि अधिक समय तक भूकंप के झटके महसूस ना हो तो भविष्य में बड़े भूकंप आने की चेतावनी होती है. हाई रिस्क जोन में यदि निरंतर कम तीव्रता के भूकंप आते हैं तो वह इलाका सेफ रहता है.
भूकंप के समय खुले मैदान में जाएंः मौसम विज्ञानिक आशीष कुमार ने बताया कि भूकंप में सबसे अधिक नुकसान बिल्डिंग का होता है. बिल्डिंग धराशाई होने से ही मौतें की घटनाएं होती है. ऐसे में जरूरी है कि बिहार में लोग भूकंपरोधी मकान बनवाए जो सीस्मिक पैमाने पर खरा उतरे. क्योंकि पूरा बिहार हिमालयन बेल्ट में होने के कारण भूकंप के लिए रिस्क जोन में है. जब भूकंप आए तो मकान से बाहर निकले और किसी भी दीवार के बगल में खड़ा ना हो. भूकंप के समय खुले मैदान में जाना चाहिए.
"इस बार जो भूकंप आया है, उसकी तीव्रता 4.3 मापी गई है. इस तरह के भूकंप आने से हाई रिस्क वाले इलाकों के लिए अच्छा साबित है. ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में खतरा बना रहता है. धरती के अंदर जो उर्जा बनती है, वह इस छोटे छोटे भूकंप से निकलते रहते हैं. वह नहीं निकला तो कुछ दिन बाद काफी तीव्रता से भूकंप आ सकता है." - आशीष कुमार, मौसम वैज्ञानिक, पटना मौसम विज्ञान केंद्र