ETV Bharat / state

कोरोना संकट के कारण 'मिनी सूरत' का साड़ी कारोबार ठप, चहल-पहल रहने वाले बाजार में छायी विरानी

author img

By

Published : May 20, 2020, 2:06 PM IST

Updated : May 20, 2020, 3:07 PM IST

कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन के कारण सोहसराय का साड़ी व्यापार ठप है. मार्च से लेकर जून-जुलाई तक कारोबारी काफी व्यस्त रहते थे और इस सीजन में जबरदस्त मांग होने के कारण बिक्री भी खूब होती थी. लेकिन इस लॉकडाउन ने कोरोबारी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

saree business
saree business

नालंदा: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने जहां आम जनजीवन को झकझोर कर रख दिया है. वहीं, व्यापार पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. बिहार शरीफ का सोहसराय इलाका मिनी सूरत के नाम से प्रसिद्ध है. यहां कपड़ा का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन विगत दो महीनों से इस लॉकडाउन के कारण कारोबार काफी प्रभावित हुआ है.

बताया जाता है कि यहां कपड़ा व्यापार के माध्यम से सलाना 500 करोड़ रुपये के टर्न ओवर होते हैं. वहीं, लॉकडाउन के कारण यहां 150 करोड़ से अधिक का नुकसान होने की बात कही जा रही है.

saree business
कारोबार पर लॉकडाउन की मार

साड़ियों की थोक में होती है बिक्री
बता दें कि बिहारशरीफ के सोहसराय कपड़ा मंडी को मिनी सूरत कहा जाता है. यहां साड़ियों की थोक बिक्री की जाती है. कारोबारी सूरत से कपड़ा लाते हैं और यहां से बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असाम यहां तक कि नेपाल के कारोबारी भी आकर साड़ी खरीदकर ले जाते हैं. इसके बाद उसे बाजारों में बेचने का काम करते हैं.

saree business
साड़ी दूकानों पर लटका ताला

लॉकडाउन के कारण साड़ी कोरोबार प्रभावित
सोहसराय में छोटी और बड़ी कपड़े की कुल 397 दुकानें रजिस्टर्ड हैं और इन सभी दुकानों में कम से कम 50 लाख से 15 करोड़ तक का कारोबार होता है. इस कपड़ा मंडी में शादी के सीजन में रौनक देखने को मिलती थी. मार्च से लेकर जून-जुलाई तक कारोबारी काफी व्यस्त रहते थे और इस सीजन में जबरदस्त मांग होने के कारण बिक्री भी खूब होती थी. लेकिन इस लॉकडाउन ने कोरोबारी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

कारोबारियों को सरकार से मदद की उम्मीद
कारोबारियों की मानें तो इस लॉकडाउन के कारण कई प्रकार का नुकसान हुआ है. साड़ी कारोबार में सर्वाधिक परेशानी डिजाइन की होती है. अगर इस सीजन में साड़ी की बिक्री नहीं हो पाई. तो व्यापारियों के डिजाइन मार खा जाएंगे और उसके बाद साड़ी की बिक्री नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि ज्यादातर कोरोबारी बैंक से लोन लेकर कारोबार करते हैं. ऐसे में कारोबारियों को चिंता सता रही है. अब इन कारोबारियों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

पेश है रिपोर्ट

सूरत में करते हैं मैन्यूफैक्चरिंग का काम
बताया जाता है कि सोहसराय निवासी हरी साव, कैलाश साव और रामचंद्र साव के गरीब के लिए सस्ते दर पर सूरत से कपड़ा खरीद कर लाते थे और बाजारों में काफी कम कीमत पर लोगों को कपड़ा उपलब्ध कराते थे. इसके बाद बाद धीरे-धीरे यह बड़ा व्यापार का स्वरूप ले लिया और वर्ष 1990 में ये पूरी तरह से स्थापित हो गया. आज एक मिनी सूरत के रूप में अपनी पहचान बन चुका है. इतना ही नहीं सोहसराय के कारोबारियों ने न सिर्फ सोहसराय बल्कि सूरत में भी अपनी धाक जमाने का काम किया है. यहां के करीब 60 से 70 कारोबारी सूरत में मैन्यूफैक्चरिंग करने का काम कर रहे हैं.

नालंदा: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने जहां आम जनजीवन को झकझोर कर रख दिया है. वहीं, व्यापार पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. बिहार शरीफ का सोहसराय इलाका मिनी सूरत के नाम से प्रसिद्ध है. यहां कपड़ा का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन विगत दो महीनों से इस लॉकडाउन के कारण कारोबार काफी प्रभावित हुआ है.

बताया जाता है कि यहां कपड़ा व्यापार के माध्यम से सलाना 500 करोड़ रुपये के टर्न ओवर होते हैं. वहीं, लॉकडाउन के कारण यहां 150 करोड़ से अधिक का नुकसान होने की बात कही जा रही है.

saree business
कारोबार पर लॉकडाउन की मार

साड़ियों की थोक में होती है बिक्री
बता दें कि बिहारशरीफ के सोहसराय कपड़ा मंडी को मिनी सूरत कहा जाता है. यहां साड़ियों की थोक बिक्री की जाती है. कारोबारी सूरत से कपड़ा लाते हैं और यहां से बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असाम यहां तक कि नेपाल के कारोबारी भी आकर साड़ी खरीदकर ले जाते हैं. इसके बाद उसे बाजारों में बेचने का काम करते हैं.

saree business
साड़ी दूकानों पर लटका ताला

लॉकडाउन के कारण साड़ी कोरोबार प्रभावित
सोहसराय में छोटी और बड़ी कपड़े की कुल 397 दुकानें रजिस्टर्ड हैं और इन सभी दुकानों में कम से कम 50 लाख से 15 करोड़ तक का कारोबार होता है. इस कपड़ा मंडी में शादी के सीजन में रौनक देखने को मिलती थी. मार्च से लेकर जून-जुलाई तक कारोबारी काफी व्यस्त रहते थे और इस सीजन में जबरदस्त मांग होने के कारण बिक्री भी खूब होती थी. लेकिन इस लॉकडाउन ने कोरोबारी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

कारोबारियों को सरकार से मदद की उम्मीद
कारोबारियों की मानें तो इस लॉकडाउन के कारण कई प्रकार का नुकसान हुआ है. साड़ी कारोबार में सर्वाधिक परेशानी डिजाइन की होती है. अगर इस सीजन में साड़ी की बिक्री नहीं हो पाई. तो व्यापारियों के डिजाइन मार खा जाएंगे और उसके बाद साड़ी की बिक्री नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि ज्यादातर कोरोबारी बैंक से लोन लेकर कारोबार करते हैं. ऐसे में कारोबारियों को चिंता सता रही है. अब इन कारोबारियों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

पेश है रिपोर्ट

सूरत में करते हैं मैन्यूफैक्चरिंग का काम
बताया जाता है कि सोहसराय निवासी हरी साव, कैलाश साव और रामचंद्र साव के गरीब के लिए सस्ते दर पर सूरत से कपड़ा खरीद कर लाते थे और बाजारों में काफी कम कीमत पर लोगों को कपड़ा उपलब्ध कराते थे. इसके बाद बाद धीरे-धीरे यह बड़ा व्यापार का स्वरूप ले लिया और वर्ष 1990 में ये पूरी तरह से स्थापित हो गया. आज एक मिनी सूरत के रूप में अपनी पहचान बन चुका है. इतना ही नहीं सोहसराय के कारोबारियों ने न सिर्फ सोहसराय बल्कि सूरत में भी अपनी धाक जमाने का काम किया है. यहां के करीब 60 से 70 कारोबारी सूरत में मैन्यूफैक्चरिंग करने का काम कर रहे हैं.

Last Updated : May 20, 2020, 3:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.