पटनाः कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए बिहार सरकार पल्स पोलियो के तर्ज पर डोर टू डोर सर्वे का काम कर रही है. जिसमें आंगनबाड़ी के सेविका और सहायिका के साथ आशा, जीविका दीदियों को भी लगाया गया है.
डोर टू डोर किया जा रहा सर्वे
समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह ने ईटीवी से बातचीत के दौरान कहा कि सर्वे के माध्यम से सरकार को यह लोग सूचना देंगे कि लोगों की स्थिति क्या है, कौन लोग बाहर से आए हैं, कितने लोग जिले के बाहर से आए हैं, यह सभी वस्तु स्थिति सर्वे के माध्यम से सरकार को बतानी है.
सूचना के आधार पर स्वास्थ्य विभाग कर रही पहल
वहीं, उन्होंने कहा कि इसी सूचना के आधार पर स्वास्थ्य विभाग पहल कर रही है और उस व्यक्ति को क्वॉरेंटाइन सेंटर में ले जाकर जांच कराई जा रही है. उन्हें 21 दिनों तक रखा जा रहा है. इसलिए संक्रमण से राज्य देश और लोगों को बचाने के लिए समाज कल्याण विभाग का एक अहम रोल है.
कर्मचारियों को दी गई ट्रेनिंग
वहीं, जो भी कर्मचारी डोर टू डोर सर्वे के लिए जाते हैं. उनको संक्रमण से बचाने के लिए विभाग की तरफ से उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई है कि वह संक्रमण से कैसे बच सकते हैं. उन्हें बताया गया है कि मास्क ग्ल्वस के साथ सैनिटाईजर का भी प्रयोग करें. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर ही सर्वे का काम करें.
कर्मचारी को उपलब्ध कराई जा रही सामग्री
समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी में जितने भी कर्मचारी काम कर रहे हैं. उन्हें बचाव के साथ काम तो करना है. इसलिए वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने कामों को करें. उनके बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग के तरफ से उन्हें हर सामग्री उपलब्ध भी कराई गई है. वहीं, आंगनबाड़ी के तरफ से राज्य में जितने भी गर्भवती महिला हैं. उनका भी सूचीबद्ध करना है और सूचीबद्ध करके स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट देनी है, ताकि स्वास्थ्य विभाग एएनएम के माध्यम से उन सभी महिलाओं को टीकाकरण का काम समय पर पूरा कर सके.
सर्वे का काम जारी
संक्रमण को लेकर किए जा रहे डोर टू डोर आंकड़े को लेकर जब हमने मंत्री से सवाल पूछा कि क्या आपके पास अभी तक जितने भी सर्वे हुए हैं. उसकी संख्या क्या है. इस सवाल के जवाब में मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि वे हमें किसी तरह का कोई आंकड़ा प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन सर्वे का काम जारी है.