पटना: बिहार सरकार बजट पेश करने की तैयारी में है. इसके लिए उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी कई समीक्षा बैठक भी कर चुके हैं. गुजरे हुए सालों पर नजर डालें तो 2 साल पहले बजट में किन्नरों के कल्याण के लिए भी सरकार ने बजट में घोषणा की थी. इसके बाद 2019 में किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया गया, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.
2019 में योजना पर शुरू हुआ काम
सामाजिक बदलाव की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के कल्याण का दावा करने वाली सरकार की योजनाओं की क्या है, इसका उदाहरण हम किन्नर समाज के लिए बनी योजनाओं से समझ सकते हैं. बजट की घोषणा को इस तरह अमली जामा पहनाया गया कि ये कल्याण सरकारी फाइलों तक दब कर रह गया. छिटपुट काम के इतर कोई ठोस पहल नहीं की गई.
21 सदस्यों में 5 किन्नरों को जगह
बिहार सरकार ने 2019 में जब किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया तो इसके 21 सदस्यों में से पांच किन्नरों को जगह दी गई. बोर्ड की सदस्य रेशमा का कहना है कि अब तक ऐसी कोई योजना हमारे लिए नहीं बनाई गई, जिससे हमारा सामाजिक उत्थान हो सके.
सरकार ने दिए 50 करोड़ रुपए
दूसरी तरफ समाज कल्याण मंत्री राम सेवक सिंह ने कहा कि हाल ही में किन्नर कल्याण बोर्ड की एक बैठक हुई है. सरकार ने 50 करोड़ रुपए किन्नर कल्याण बोर्ड के लिए दिए हैं. मंत्री ने दावा किया कि हम बहुत जल्द किन्नरों के कल्याण की योजनाएं लागू करेंगे. केंद्र सरकार ने सबसे पहले किन्नरों के कल्याण की योजना की घोषणा बजट में की थी. अब तक किन्नर समाज बाट जोह रहा है कि उनके लिए आवाज उठाएगा.