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टूट सकता है बिहार के शहरों को स्मार्ट बनाने का सपना, ये है वजह

बिहार में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी धीमी रफ्तार से चल रहा है. ऐसे में यदि बिहार सरकार काम का पूरा डीपीआर बनाकर टेंडर रिपोर्ट मार्च तक केंद्र सरकार को नहीं देती है तो स्मार्ट सिटी का पैसा वापस हो सकता है. ऐसी स्थिति में विपक्ष नीतीश कुमार पर हमलावर हैं.

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
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Published : Jan 24, 2020, 9:54 PM IST

पटना: केंद्र सरकार ने बिहार के 4 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चुना था. इस साल मार्च महीने तक पूरा डीपीआर बनाकर केंद्र को देना था. लेकिन, लापरवाही के कारण 3 सालों बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है. ऐसे में तय शर्त के मुताबिक अगर डीपीआर नहीं सौंपा गया तो पूरा पैसा केंद्र सरकार को वापस हो जाएगा. इसको लेकर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.

आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि ये सरकार केवल चेहरा चमकाना जानती है, स्मार्ट सिटी का इनका कोई लक्ष्य नहीं है. वहीं, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने दावा किया है कि काम जारी है. तय समय से पहले डीपीआर सौंप दिया जाएगा.

स्मार्ट सिटी के नाम पर हो रही है लूट- भाई वीरेंद्र
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लेटलतीफी को लेकर विपक्ष ने नीतीश कुमार को घेरा है. आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि ये सरकार कोई काम नहीं कर रही है. ये सरकार सिर्फ आरसीपी टैक्स जानती है और वही काम पूरा किया जा रहा है. काम के नाम पर सिर्फ एस्टीमेट घोटाला किया जा रहा है.

patna
भाई वीरेंद्र, आरजेडी नेता

मंत्री का दावा- तय समय पर काम होगा पूरा
मामले को तूल पकड़ता देख नगर विकास मंत्री ने कहा है कि काम जारी है. अधिकारियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि डीपीआर और टेंडर देने में काफी देरी हुई है. यदि अब कोताही की जाएगी तो सरकार अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी. नगर विकास मंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर और भागलपुर को लेकर बैठक हो चुकी है. पटना और बिहार शरीफ को लेकर बैठक होनी बाकी है. बैठक के बाद सभी को हिदायत दे दी जाएगी कि 15 फरवरी तक डीपीआर बनाकर टेंडर की प्रक्रिया मार्च तक पूरा कर लें.

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सुरेश शर्मा, नगर विकास मंत्री

साल 2017 में हुआ था काम
बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2017 में देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए रकम स्वीकृत की थी. इसके तहत अलग-अलग राज्यों को पैसे मिले थे. उस समय 2021 तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करने की भी सलाह राज्यों को दी गई थी. उस समय ये भी कहा गया था कि यदि राज्य सरकार मार्च तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्टों का डीपीआर बनाकर टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं करती है तो केंद्र सरकार की ओर से मिली राशि मार्च महीने के बाद वापस हो सकती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

बिहार में काफी धीमी गति से चल रहा काम
बिहार में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी धीमी रफ्तार से चल रहा है. ऐसे में यदि बिहार सरकार काम का पूरा डीपीआर बनाकर टेंडर रिपोर्ट मार्च तक केंद्र सरकार को नहीं देती है तो स्मार्ट सिटी का पैसा वापस हो सकता है. ऐसी स्थिति में विपक्ष नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. हालांकि, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि सभी कामों को तय समय सीमा के अनुसार पूरा कर लिया जाएगा और केंद्र को रिपोर्ट भेज दी जाएगी.

इस शहर के लिए मिले इतने रुपये :
स्मार्ट सिटी के रूप में 4 शहरों को विकसित करने के लिए जितनी राशि का भुगतान किया गया है, उसकी सूची निम्नलिखित है-

  • पटना के लिए केंद्र सरकार ने दिए 2400 करोड़
  • मुजफ्फरपुर के लिए 1580 करोड़
  • बिहार शरीफ के लिए मिले 1517 करोड़
  • भागलपुर को मिले हैं 1500 करोड़

पटना: केंद्र सरकार ने बिहार के 4 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चुना था. इस साल मार्च महीने तक पूरा डीपीआर बनाकर केंद्र को देना था. लेकिन, लापरवाही के कारण 3 सालों बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है. ऐसे में तय शर्त के मुताबिक अगर डीपीआर नहीं सौंपा गया तो पूरा पैसा केंद्र सरकार को वापस हो जाएगा. इसको लेकर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.

आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि ये सरकार केवल चेहरा चमकाना जानती है, स्मार्ट सिटी का इनका कोई लक्ष्य नहीं है. वहीं, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने दावा किया है कि काम जारी है. तय समय से पहले डीपीआर सौंप दिया जाएगा.

स्मार्ट सिटी के नाम पर हो रही है लूट- भाई वीरेंद्र
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लेटलतीफी को लेकर विपक्ष ने नीतीश कुमार को घेरा है. आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि ये सरकार कोई काम नहीं कर रही है. ये सरकार सिर्फ आरसीपी टैक्स जानती है और वही काम पूरा किया जा रहा है. काम के नाम पर सिर्फ एस्टीमेट घोटाला किया जा रहा है.

patna
भाई वीरेंद्र, आरजेडी नेता

मंत्री का दावा- तय समय पर काम होगा पूरा
मामले को तूल पकड़ता देख नगर विकास मंत्री ने कहा है कि काम जारी है. अधिकारियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि डीपीआर और टेंडर देने में काफी देरी हुई है. यदि अब कोताही की जाएगी तो सरकार अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी. नगर विकास मंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर और भागलपुर को लेकर बैठक हो चुकी है. पटना और बिहार शरीफ को लेकर बैठक होनी बाकी है. बैठक के बाद सभी को हिदायत दे दी जाएगी कि 15 फरवरी तक डीपीआर बनाकर टेंडर की प्रक्रिया मार्च तक पूरा कर लें.

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सुरेश शर्मा, नगर विकास मंत्री

साल 2017 में हुआ था काम
बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2017 में देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए रकम स्वीकृत की थी. इसके तहत अलग-अलग राज्यों को पैसे मिले थे. उस समय 2021 तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करने की भी सलाह राज्यों को दी गई थी. उस समय ये भी कहा गया था कि यदि राज्य सरकार मार्च तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्टों का डीपीआर बनाकर टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं करती है तो केंद्र सरकार की ओर से मिली राशि मार्च महीने के बाद वापस हो सकती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

बिहार में काफी धीमी गति से चल रहा काम
बिहार में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी धीमी रफ्तार से चल रहा है. ऐसे में यदि बिहार सरकार काम का पूरा डीपीआर बनाकर टेंडर रिपोर्ट मार्च तक केंद्र सरकार को नहीं देती है तो स्मार्ट सिटी का पैसा वापस हो सकता है. ऐसी स्थिति में विपक्ष नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. हालांकि, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि सभी कामों को तय समय सीमा के अनुसार पूरा कर लिया जाएगा और केंद्र को रिपोर्ट भेज दी जाएगी.

इस शहर के लिए मिले इतने रुपये :
स्मार्ट सिटी के रूप में 4 शहरों को विकसित करने के लिए जितनी राशि का भुगतान किया गया है, उसकी सूची निम्नलिखित है-

  • पटना के लिए केंद्र सरकार ने दिए 2400 करोड़
  • मुजफ्फरपुर के लिए 1580 करोड़
  • बिहार शरीफ के लिए मिले 1517 करोड़
  • भागलपुर को मिले हैं 1500 करोड़
Intro:बिहार सरकार की काम में कोताही से टूट सकता है ए स्मार्ट सिटी का सपना 26 सौ करोड रुपए क्या सकते हैं।पटना ,भागलपुर, मुजफ्फरपुर और बिहार शरीफ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी धीमा हो गया है अगर काम मार्च तक बिहार सरकार ने डीपीआर तैयार करके टेंडर रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास जमा नहीं करती है तो केंद्र सरकार से स्वीकृत पैसा हो जाएगा वापस-


Body:पटना-- केंद्र सरकार देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए हर राज्य को अलग-अलग पैसे देने की स्वीकृति 2017 में की थी और 2021 तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने की भी सलाह राज्यों को दी गई थी। यदि राज्य मार्च तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्टों का डीपीआर बनाकर टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं करती है तो केंद्र सरकार द्वारा मिली राशि मार्च महीने के बाद वापस हो सकती है

इसी क्रम में बिहार में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी धीमी रफ्तार से चल रहा है ऐसे में यदि काम का पूरा डीपीआर बनकर टेंडर की रिपोर्ट मार्च तक बिहार सरकार केंद्र सरकार के पास जमा नहीं करती है तो स्मार्ट सिटी का पैसा वापस हो सकता है हम आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने बिहार के 4 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चयनित किया था जिसके लिए बिहार सरकार को केंद्र सरकार ने 26 सौ करोड रुपए दिए हैं ऐसी स्थिति में विपक्ष और नीतीश कुमार पर हमलावर हैं हालांकि नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि सभी कामों को तय समय सीमा के अनुसार पूरा कर लिया जाएगा और केंद्र को रिपोर्ट भेज दी जाएगी

ना डीपीआर बना और ना ही टेंडर दिया गया

बिहार के पटना भागलपुर मुजफ्फरपुर और बिहार शरीफ को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना है ऐसी स्थिति में स्मार्ट सिटी लिमिटेड का काम इतना धीमा चल रहा है कि अभी तक अधिकतर कामों का डीपीआर नहीं बना है और ना ही टेंडर ही पूरा हो पाया है ऐसी स्थिति में मार्च 2020 तक यदि राज्य सरकार डीपीआर और टेंडर का रिपोर्ट केंद्र सरकार को नहीं भेजती है तो पैसा वापस जा सकता है ।

स्मार्ट सिटी के नाम पर लूट-- भाई बिरेंद्र

इस मामले को लेकर विपक्ष पूरी तरह राजनीति करें कि मूड में है आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि यह सरकार कोई काम नहीं कर रही है क्योंकि इस सरकार में सिर्फ आरसीपी टैक्स के नाम पर ही सरकार पैसा कलेक्ट कर रही है वही काम को पूरा किया जा रहा है काम के नाम पर सिर्फ स्टीमेट घोटाला किया जा रहा है इसलिए यह सरकार कोई काम करने वाली नहीं है बल्कि चेहरा चमकाने वाली यह सरकार है।

तय समय सीमा के अंदर स्मार्ट सिटी का काम होगा पूरा-- सुरेश शर्मा

अब इस मामले को तूल पकड़ता देख नगर विकास मंत्री ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं अधिकारियों पर अपनी नाराजगी जाहिर की है उन्होंने कहा है कि इन लोगों ने डीपीआर और टेंडर देने में काफी देरी की है यदि अब कोताही की जाएगी तो सरकार उन अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी जो काम में कोताही बरत रहे हैं नगर विकास मंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर और भागलपुर को लेकर बैठक हो चुकी है पटना और बिहार शरीफ को लेकर बैठक होनी बाकी है बैठक के बाद सभी को हिदायत दे दी जाएगी कि 15 फरवरी तक डीपीआर बनाकर टेंडर की प्रक्रिया मार्च तक पूरा कर ले नहीं तो काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को सरकार उन पर बड़ी कार्रवाई कर सकती हैं काम की मॉनिटरिंग के लिए नगर विकास मंत्री ने सचिव लेवल अधिकारियों की एक कमेटी बनाई है जो कमेटी पूरे काम को देखरेख करेगी।

स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पैसे


स्मार्ट सिटी के रूप में पटना को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने पटना को 24 सौ करोड़ तो 1580 करोड़ मुजफ्फरपुर के लिए, बिहार शरीफ का 1517 करोड़ ,1500 सौ करोड़ भागलपुर का है इन सभी पैसों का उपयोग राज सरकार इन चारों शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए तय समय सीमा के अंदर पूरा कर लेगी और इन शहरों को स्मार्ट सिटी विकसित कर लिया जाएगा।


बाइट---भाई बीरेंद्र नेता RJD

बाइट--सुरेश शर्मा ,नगर विकास मंत्री



Conclusion:हम आपको बता दें कि सरकार भी चाहती है कि बिहार के इन चार शहर पटना बिहार शरीफ मुजफ्फरपुर और भागलपुर और स्मार्ट हो और यह शहर स्मार्ट सिटी के रूप में जाना जाए यह सब की इच्छा है लेकिन 3 साल बीत गए अब तक इस प्रोजेक्ट में कुछ भी काम नहीं हो पाया है बिहार सरकार के अधिकारी इस काम को लेकर कछुए की रफ्तार से काम कर रहे हैं जिसको लेकर केंद्र सरकार लगातार बिहार सरकार पर यह दबाव बना रही है कि काम में तेजी लाई है अब देखने वाली बात है कि केंद्र सरकार के दबाव के बाद राज सरकार काम की रफ्तार कितना तेज करती है

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