पटना: केंद्र सरकार ने बिहार के 4 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चुना था. इस साल मार्च महीने तक पूरा डीपीआर बनाकर केंद्र को देना था. लेकिन, लापरवाही के कारण 3 सालों बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है. ऐसे में तय शर्त के मुताबिक अगर डीपीआर नहीं सौंपा गया तो पूरा पैसा केंद्र सरकार को वापस हो जाएगा. इसको लेकर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है.
आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि ये सरकार केवल चेहरा चमकाना जानती है, स्मार्ट सिटी का इनका कोई लक्ष्य नहीं है. वहीं, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने दावा किया है कि काम जारी है. तय समय से पहले डीपीआर सौंप दिया जाएगा.
स्मार्ट सिटी के नाम पर हो रही है लूट- भाई वीरेंद्र
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लेटलतीफी को लेकर विपक्ष ने नीतीश कुमार को घेरा है. आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि ये सरकार कोई काम नहीं कर रही है. ये सरकार सिर्फ आरसीपी टैक्स जानती है और वही काम पूरा किया जा रहा है. काम के नाम पर सिर्फ एस्टीमेट घोटाला किया जा रहा है.
मंत्री का दावा- तय समय पर काम होगा पूरा
मामले को तूल पकड़ता देख नगर विकास मंत्री ने कहा है कि काम जारी है. अधिकारियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि डीपीआर और टेंडर देने में काफी देरी हुई है. यदि अब कोताही की जाएगी तो सरकार अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी. नगर विकास मंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर और भागलपुर को लेकर बैठक हो चुकी है. पटना और बिहार शरीफ को लेकर बैठक होनी बाकी है. बैठक के बाद सभी को हिदायत दे दी जाएगी कि 15 फरवरी तक डीपीआर बनाकर टेंडर की प्रक्रिया मार्च तक पूरा कर लें.
साल 2017 में हुआ था काम
बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2017 में देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए रकम स्वीकृत की थी. इसके तहत अलग-अलग राज्यों को पैसे मिले थे. उस समय 2021 तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करने की भी सलाह राज्यों को दी गई थी. उस समय ये भी कहा गया था कि यदि राज्य सरकार मार्च तक स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्टों का डीपीआर बनाकर टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं करती है तो केंद्र सरकार की ओर से मिली राशि मार्च महीने के बाद वापस हो सकती है.
बिहार में काफी धीमी गति से चल रहा काम
बिहार में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम काफी धीमी रफ्तार से चल रहा है. ऐसे में यदि बिहार सरकार काम का पूरा डीपीआर बनाकर टेंडर रिपोर्ट मार्च तक केंद्र सरकार को नहीं देती है तो स्मार्ट सिटी का पैसा वापस हो सकता है. ऐसी स्थिति में विपक्ष नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. हालांकि, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि सभी कामों को तय समय सीमा के अनुसार पूरा कर लिया जाएगा और केंद्र को रिपोर्ट भेज दी जाएगी.
इस शहर के लिए मिले इतने रुपये :
स्मार्ट सिटी के रूप में 4 शहरों को विकसित करने के लिए जितनी राशि का भुगतान किया गया है, उसकी सूची निम्नलिखित है-
- पटना के लिए केंद्र सरकार ने दिए 2400 करोड़
- मुजफ्फरपुर के लिए 1580 करोड़
- बिहार शरीफ के लिए मिले 1517 करोड़
- भागलपुर को मिले हैं 1500 करोड़