पटनाः 10 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार लौट चुके हैं. बिहार सरकार मजदूरों के लिए रोजगार को लेकर चिंतित है. मजदूरों के स्किल मैपिंग कराए जा रहे हैं. साथ ही राज्य के अंदर उद्योग लगाने की कवायद शुरू की जा रही है. राज्य सरकार केंद्र से भी मदद की उम्मीद लगाए बैठी है. बिहार सरकार अब तक 3 लाख 39 हजार 188 मजदूरों की क्षमता का आंकलन करा चुकी है.
साढ़े तीन लाख मजदूरों की स्किल मैपिंग
प्रवासी मजदूरों को लेकर बिहार सरकार चिंतित है. प्रवासी मजदूरों को रोजगार कैसे मिले, उसे लेकर सरकार लगातार मशक्कत कर रही है. अब तक लगभग 3 लाख 39 हजार 188 प्रवासी मजदूरों के स्किल की मैपिंग कराई जा चुकी है.
किन क्षेत्रों में कितने प्रवासी मजदूर स्किल्ड:
कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में स्किल्ड मजदूर- 84366
दक्ष राजमिस्त्री-30711
दक्ष दर्जी-17920
दक्ष कारपेंटर-9548
अस्थाई मजदूर कंस्ट्रक्शन क्षेत्र-7361
पेंटर-6290
रसोईया-5999
सड़क पुल और डैम निर्माण क्षेत्र में-5050
ड्राइवर-5015
अन्य- 15168
जिन प्रवासी मजदूरों के स्किल मैपिंग की गई है उसमें सबसे ज्यादा कटिहार- 26,296 पूर्वी चंपारण- 24,933 पूर्णिया- 20.333 पश्चिम चंपारण- 17,700 14 मधेपुरा-16,532 समस्तीपुर- 16,361 गया- 15,216 अररिया- 3,596 दरभंगा- 13,515 रोहतास- 12,547 और अन्य 16489 हैं.
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सहकारी समिति को सशक्त बनाने की जरूरत
बिहार में कृषि आधारित उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं हैं. कच्चा माल भी यहां पर्याप्त है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए सरकार प्रयास कर रही है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उत्पादकों को तभी उनके उत्पादन का लाभ मिल पाएगा जब व्यवस्था बिचौलियों से मुक्त हो.
उद्योग के लिए किसी चीज की कमी नहीं- श्याम रजक
बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्याम रजक का कहना है कि हमारे पास कच्चा माल पर्याप्त है. बिजली पानी सड़क और विधि व्यवस्था के कोई समस्या नहीं है. क्लस्टर बनाकर हम मजदूरों को सहायता देने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार भी सहयोग करे. सरकार ने हर जिले को चिन्हित कर लिया है. किस जिले में किस सेक्टर के प्रवासी मजदूर दक्ष हैं.
बिचौलियों के प्रभाव को कम करने की जरूरत
वहीं, अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का मानना है कि प्रवासी मजदूर सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. राज्य और केंद्र सरकार अगर मिलकर उत्पादकों के सहकारी समिति बनाए और उसमें पूंजी लगाए तो कुछ हद तक समस्या का समाधान हो सकता है. इसके अलावा औद्योगिक करण की मैपिंग कराने की भी जरूरत है. उपलब्धता और साधन के गैप को भी भरा जाना महत्वपूर्ण होगा. साथ ही साथ बिचौलियों के प्रभाव को भी कम करना सरकार की चुनौती होगी.