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मजदूरों का दर्द: लॉकडाउन में भोजन के इंतजार में चौराहे पर कटता है दिन - patna news

मजदूर आनंद ने बताया कि रोजाना सुबह के समय सभी लोग यहां आकर बैठ जाते हैं. दोपहर तक कोई आता है और खाना दे जाता है, जिससे हमारी भूख मिटती है. अगर किसी दिन कोई नहीं आया तो हमें भूखे सोना पड़ता है.

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Published : Jul 26, 2020, 4:26 PM IST

पटना: राज्य में लॉकडाउन का पांचवां चरण लागू है. इस संकट की घड़ी में कई वर्ग ऐसे हैं, जिन्हें एक वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है. ये लोग रोजाना सड़कों पर किसी रहनुमा के इंतजार में रहते हैं. हर सुबह ये अपने घरों से काम की तलाश में बाहर निकलते हैं, लेकिन दिन भर घूमने के बाद भी इन्हें कोई रोजगार नहीं मिलता. अंत में चौराहे पर बंटने वाले भोजन से ये अपना पेट भरते हैं.

पटना के गोलघर चौराहे पर अक्सर ये नजारा देखने को मिलता है. गोलघर के सामने फुटपाथ पर रोजाना सैकड़ों मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ भूखे पेट किसी रहनुमा के इंतजार में खड़े रहते हैं. दोपहर तक कोई रहनुमा पहुंचता है और उनके द्वारा दिए गए खाद सामग्री को खाकर इन मजदूरों की भूख शांत होती है.

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भोजन के इंतजार में बैठे मजदूर

भोजन का करते हैं इंतजार
ईटीवी भारत संवाददाता ने जब इन लोगों से बातचीत की तो इन्होंने बताया कि रोज बड़ी संख्या में मजदूर यहां भोजन और काम की तलाश में पहुंचते हैं. दोपहर को यहां कई लोगों की से भोजन का वितरण होता है, जिससे उनका पैट भर ता है. इम मजदूरों ने बताया कि गर उन्हें ये भोजन मिलना बंद को जाएगा तो वे लोग भूखमरी के शिकार हो जाएंगे.

आर्थिक तंगी की चपेट में कई वर्ग
गौरतलब हो लॉकडाउन के कारण कई लोग आर्थिक तंगी की चपेट में आ चुके हैं. रोजगार ठप हो जाने के कारण इन लोगों के सामने परिवार पालने की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. सरकार का ध्यान इन गरीबों की तरफ अब तक नहीं गया है. यही कारण है कि ये लोग रोजगार और भोजन की तलाश में सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं.

पटना: राज्य में लॉकडाउन का पांचवां चरण लागू है. इस संकट की घड़ी में कई वर्ग ऐसे हैं, जिन्हें एक वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है. ये लोग रोजाना सड़कों पर किसी रहनुमा के इंतजार में रहते हैं. हर सुबह ये अपने घरों से काम की तलाश में बाहर निकलते हैं, लेकिन दिन भर घूमने के बाद भी इन्हें कोई रोजगार नहीं मिलता. अंत में चौराहे पर बंटने वाले भोजन से ये अपना पेट भरते हैं.

पटना के गोलघर चौराहे पर अक्सर ये नजारा देखने को मिलता है. गोलघर के सामने फुटपाथ पर रोजाना सैकड़ों मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ भूखे पेट किसी रहनुमा के इंतजार में खड़े रहते हैं. दोपहर तक कोई रहनुमा पहुंचता है और उनके द्वारा दिए गए खाद सामग्री को खाकर इन मजदूरों की भूख शांत होती है.

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भोजन के इंतजार में बैठे मजदूर

भोजन का करते हैं इंतजार
ईटीवी भारत संवाददाता ने जब इन लोगों से बातचीत की तो इन्होंने बताया कि रोज बड़ी संख्या में मजदूर यहां भोजन और काम की तलाश में पहुंचते हैं. दोपहर को यहां कई लोगों की से भोजन का वितरण होता है, जिससे उनका पैट भर ता है. इम मजदूरों ने बताया कि गर उन्हें ये भोजन मिलना बंद को जाएगा तो वे लोग भूखमरी के शिकार हो जाएंगे.

आर्थिक तंगी की चपेट में कई वर्ग
गौरतलब हो लॉकडाउन के कारण कई लोग आर्थिक तंगी की चपेट में आ चुके हैं. रोजगार ठप हो जाने के कारण इन लोगों के सामने परिवार पालने की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. सरकार का ध्यान इन गरीबों की तरफ अब तक नहीं गया है. यही कारण है कि ये लोग रोजगार और भोजन की तलाश में सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं.

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