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सवाल : बिहार में अस्पताल खुद ही है बीमार, फिर कैसे होगा इलाज!

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में बिहार की मौजूदा स्थिति देखकर यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यहां सिस्टम अगर इसी तरह अपनी जवाबदेहियों से बचता रहा तो आनेवाले दिनों में ये तस्वीरें और भी भयावह होंगी.

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Published : Jul 21, 2020, 9:23 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 6:24 PM IST

hospital
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पटना: कोरोना से जंग में बिहार आखिर जीते तो जीते कैसे, जब राज्य के अस्पताल खुद ही बीमार हो. बिहार के अस्पतालों के हालात बता रहे हैं कि यहां अगर मरीज भर्ती हो जाएं तो फिर वो भगवान भरोसे ही घर वापस हो पाएंगे. पूरा का पूरा सिस्टम ही कोरोना संक्रमित हो गया है. तो वही होता है जो इस अस्पताल में हो रहा है. राजधानी के सबसे बड़े कोविड अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज में कोरोना से मरने वाले शवों को दो-दो दिनों तक अंतिम संस्कार का इंतजार करना पड़ता है.

समय पर इलाज के अभाव में मरीज की मौत
एम्स के हालात भी कुछ ऐसे ही है. यहां राज्य के वीवीआईपी अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. यहां की हालत तो इतनी बद्तर है कि जीवित शख्स भी खुद अपनी मौत की कामना करने लगे. इसी एम्स में 7 दिन पहले भी पूर्व अंडर सेक्रेट्री उमेश रजक की समय पर इलाज के अभाव में मौत हो गई. उनके परिजन अस्पतालों के चक्कर काटते रहे और एम्स में भर्ती करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने सुध तक नहीं ली.

देखें विशेष रिपोर्ट.

ग्राउंड रिएलिटी बेहद चिंताजनक
अगर राज्य की राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था खुद बीमार हो, तो जरा सोचिए की गांवों या मुफस्सिल इलाकों में सिस्टम का क्या हाल होगा. भागलपुर, कटिहार, नालंदा लगभग सभी जिलों में चिकित्सा व्यवस्था शायद खुद ही वेंटिलेटर पर है तभी ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं. राज्य के विभिन्न इलाकों से चिकित्सा व्यवस्था की ग्राउंड रिएलिटी बेहद चिंताजनक है.

भयावह है सच्चाई
ये किस्से यही खत्म नहीं होता, कहानी के दूसरे पहलू भी हैं और यकीन मानिए वो भी बेहद डरावने हैं. राजधानी के अस्पताल में कोविड से अपने परिजनों को खोने वाले लोगों का गुस्सा और उस गुस्से में निकला सच आपकी और हमारी रुह तक को कंपा सकता है. अगर वाकई ये सच्चाई है तो इससे भयावह शायद और कुछ नहीं हो सकता.

बिहार की मौजूदा स्थिति खस्ताहाल
फिलहाल, कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में बिहार की मौजूदा स्थिति देखकर यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यहां सिस्टम अगर इसी तरह अपनी जवाबदेहियों से बचता रहा तो आनेवाले दिनों में ये तस्वीरें और भी भयावह होंगी.

पटना: कोरोना से जंग में बिहार आखिर जीते तो जीते कैसे, जब राज्य के अस्पताल खुद ही बीमार हो. बिहार के अस्पतालों के हालात बता रहे हैं कि यहां अगर मरीज भर्ती हो जाएं तो फिर वो भगवान भरोसे ही घर वापस हो पाएंगे. पूरा का पूरा सिस्टम ही कोरोना संक्रमित हो गया है. तो वही होता है जो इस अस्पताल में हो रहा है. राजधानी के सबसे बड़े कोविड अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज में कोरोना से मरने वाले शवों को दो-दो दिनों तक अंतिम संस्कार का इंतजार करना पड़ता है.

समय पर इलाज के अभाव में मरीज की मौत
एम्स के हालात भी कुछ ऐसे ही है. यहां राज्य के वीवीआईपी अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. यहां की हालत तो इतनी बद्तर है कि जीवित शख्स भी खुद अपनी मौत की कामना करने लगे. इसी एम्स में 7 दिन पहले भी पूर्व अंडर सेक्रेट्री उमेश रजक की समय पर इलाज के अभाव में मौत हो गई. उनके परिजन अस्पतालों के चक्कर काटते रहे और एम्स में भर्ती करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने सुध तक नहीं ली.

देखें विशेष रिपोर्ट.

ग्राउंड रिएलिटी बेहद चिंताजनक
अगर राज्य की राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था खुद बीमार हो, तो जरा सोचिए की गांवों या मुफस्सिल इलाकों में सिस्टम का क्या हाल होगा. भागलपुर, कटिहार, नालंदा लगभग सभी जिलों में चिकित्सा व्यवस्था शायद खुद ही वेंटिलेटर पर है तभी ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं. राज्य के विभिन्न इलाकों से चिकित्सा व्यवस्था की ग्राउंड रिएलिटी बेहद चिंताजनक है.

भयावह है सच्चाई
ये किस्से यही खत्म नहीं होता, कहानी के दूसरे पहलू भी हैं और यकीन मानिए वो भी बेहद डरावने हैं. राजधानी के अस्पताल में कोविड से अपने परिजनों को खोने वाले लोगों का गुस्सा और उस गुस्से में निकला सच आपकी और हमारी रुह तक को कंपा सकता है. अगर वाकई ये सच्चाई है तो इससे भयावह शायद और कुछ नहीं हो सकता.

बिहार की मौजूदा स्थिति खस्ताहाल
फिलहाल, कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में बिहार की मौजूदा स्थिति देखकर यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यहां सिस्टम अगर इसी तरह अपनी जवाबदेहियों से बचता रहा तो आनेवाले दिनों में ये तस्वीरें और भी भयावह होंगी.

Last Updated : Jul 22, 2020, 6:24 PM IST
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