पटना: बिहार में मुख्मंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) लगातार चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. बीजेपी को छोड़ आरजेडी और महागठबंधन के घटक दलों के साथ सरकार अगस्त में बना ली थी और अब आरजेडी और जदयू के बीच मर्जर की चर्चा (Merger of JDU and RJD in Bihar) खूब हो रही है. दिल्ली में आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी बड़े फैसले लिए गए हैं. पार्टी के सिंबल और नाम बदलने को लेकर आरजेडी के संविधान में संशोधन कर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy Chief Minister Tejashwi Yadav) और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को अधिकृत कर दिया गया है. इसके कारण भी आरजेडी और जदयू के मर्जर को लेकर हो रही चर्चा को बल मिल रहा है.
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जेडीयू-आरजेडी मर्जर पर खड़े हुए दो खेमे: आरजेडी के संविधान में संशोधन के बाद अब जदयू में भी संगठन स्तर पर नीतीश कुमार बड़े फैसले ले सकते हैं. पार्टी के अंदर इसको लेकर चर्चा हो रही है, क्योंकि जदयू में इन दिनों सदस्यता अभियान चल रहा है. नवंबर से संगठन चुनाव शुरू हो जाएगा और दिसंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव होना है. जदयू और आरजेडी मर्जर को लेकर जदयू में दो खेमा है. एक खेमा पार्टी का अलग अस्तित्व बनाए रखने के पक्ष में है तो दूसरा खेमा चाहता है कि मर्जर हो जाए.
मर्जर पर क्या कहती है आरजेडी और जेडीयू: वहीं महागठबंधन की सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता मदन सहनी ने इन चर्चाओं को बेकार की बात करार दिया. उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि बीजेपी इस तरह की अनर्गल बयानबाजी करती है. वहीं आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि महागठबंधन की सरकार अपने उद्देश्य के साथ आगे पढ़ रही है. राष्ट्रीय स्तर पर क्या कुछ होगा इसके लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अधिकृत किया जा चुका है. इधर बीजेपी इसी मुद्दे पर निशाना साध रही है.
''जदयू और आरजेडी में मर्जर की जो चर्चा है उसमें सच्चाई है. यदि ऐसा नहीं होता तो आरजेडी के संविधान में संशोधन करने की जरूरत नहीं होती. लेकिन जदयू में इसको लेकर काफी नाराजगी है''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता बीजेपी
सरकार बनने से पहले ही हुई महागठबंधन में डील: जदयू और आरजेडी मर्जर को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच डील महागठबंधन की सरकार बनाने से पहले हुई है. जिस पर लालू प्रसाद यादव की भी सहमति है. इस पर लगातार काम भी हो रहा है. चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार देश के समाजवादियों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. एक दल बनाकर पूरे देश में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं. हालांकि अब तक जो प्रयास हुए हैं उसमें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है.
''नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी है और अपने उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ रही है. जहां तक राष्ट्रीय स्तर पर और पार्टी के स्तर पर कोई फैसला लेना है, तो उसके लिए पहले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव को अधिकृत कर दिया गया है. इसलिए जो भी फैसला लेना होगा वही लेंगे''- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी
मर्जर हुआ तो विरोध तय: बिहार में जदयू और आरजेडी 2015 में एक साथ चुनाव लड़े थे और विधानसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन हुआ था. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जेडीयू और आरजेडी यदि एक हो गए तो बिहार में इसका जबरदस्त असर पड़ेगा यह तय है. लेकिन समस्या महत्वपूर्ण पदों पर सहमति कैसे बनेगी यह देखने वाली बात होगी. जदयू के अंदर कई नेता इसका विरोध भी कर सकते हैं. जिसमें उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह का गुट शामिल है.
''यह बेकार की बात है और दूर-दूर तक इसकी कोई संभावना नहीं है. आरजेडी में जो भी फैसला हुआ वह पार्टी का उनका फैसला था और बीजेपी के नेता तो इसी तरह बोलते रहते हैं''-मदन सहनी, मंत्री, जेडीयू
चक्र उठाएंगे नीतीश?- जेडीयू और आरजेडी के मर्जर को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है नीतीश कुमार का महागठबंधन बनाने के पीछे मकसद यही है कि केंद्र में जाएं और वहां बीजेपी को सत्ता से बाहर करें. इसके लिए किसी तरह से देशभर के समाजवादियों को एक छतरी के नीचे लाया जाए. जनता दल के समय जो चक्र चुनाव चिह्न था उसे चुनाव आयोग से प्राप्त किया जाए. 9 और 10 अक्टूबर को दिल्ली में आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम बदलने को लेकर तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव को अधिकृत किया गया है.
नीतीश के फैसले का विरोध जेडीयू में असंभव: नीतीश कुमार जदयू के एकमात्र सर्वमान्य नेता हैं. अब तक नीतीश जो भी फैसला लेते रहे हैं उसके विरोध में पार्टी के नेता जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं. किसी ने पार्टी के अंदर भी विरोध जताया है तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है. इसलिए संगठन स्तर पर नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेते हैं तो उसका विरोध होगा, इसकी संभावना कम है. लेकिन जेडीयू आरजेडी मर्जर पर विरोध होना तय है. ऐसे में पार्टी के नेता क्या कुछ फैसला लेते हैं वह देखना दिलचस्प होगा.