पटना: आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) को चारा घोटाले के 5 मामलों में अब तक सजा मिल चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने चुटकी लेते हुए कहा कि लालू यादव के खिलाफ एफआईआर करने वाले आज उन्हीं के साथ है. इस पर शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जॉर्ज फर्नांडीस के कहने पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी और ये फैसला उस वक्त पार्टी का था.
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शिवानंद तिवारी ने कहा कि जॉर्ज फर्नांडीस ने नीतीश कुमार से याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. उनके इनकार के बाद जॉर्ज फर्नांडीस ने मुझे याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा. मैं दिल्ली में था. उन्होंने मुझे एक हवाई टिकट भेजा था. मैं पटना लौट आया और रविशंकर प्रसाद के घर में याचिका पर हस्ताक्षर किए. मेरे अलावा, सरयू राय, सुशील कुमार मोदी ने याचिका पर हस्ताक्षर किए. मैं तब जेडीयू में था और पार्टी की ओर से हस्ताक्षर किए थे, क्योंकि नीतीश कुमार ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था.
आरजेडी ने बताया कि रविशंकर प्रसाद के घर में तैयार की गई पहली याचिका हताशा में अदालत में दायर की गई थी. भाजपा नेता इसका श्रेय लेना चाहते थे और जनता के सामने दिखाना चाहते थे कि वे लालू प्रसाद के खिलाफ लड़ रहे हैं. दूसरी याचिका पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दायर की थी. उस याचिका में ललन सिंह, वृषण पटेल और जीतन राम मांझी याचिकाकर्ता थे. दोनों याचिकाओं में हमने सीबीआई जांच की मांग की है. अब नीतीश कुमार कह रहे हैं कि लालू प्रसाद के खिलाफ व्यक्तिगत नेताओं ने याचिका दायर नहीं की है. यह पार्टी का फैसला था.
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राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चारा घोटाले में शामिल थे और उन्होंने घोटाले के सरगना श्याम बिहारी सिन्हा से पैसे लिए थे. तिवारी का यह बयान नीतीश कुमार के यह कहने के बाद आया है कि जो नेता लालू प्रसाद के खिलाफ याचिका दायर करने में शामिल थे, वे पार्टी के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं और उनके करीब बैठे हैं.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि विपक्ष में नेताओं को अनियमितताएं नहीं मिलीं. यह चाईबासा के डिप्टी कलेक्टर द्वारा पाया गया था. भाजपा और जदयू नेताओं ने लालू प्रसाद पर प्रभुत्व दिखाने के लिए इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया था. उस समय, जॉर्ज फर्नांडीस जदयू के अध्यक्ष थे, उन्होंने कहा था कि अगर हमारी पार्टी चारा घोटाले में लालू प्रसाद के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करेगी, तो बिहार के लोग उनकी पार्टी को कैसे वोट देंगे और यह जॉर्ज फर्नांडीस की एक राजनीतिक रणनीति थी. वह इस मामले में आगे बढ़े, क्योंकि सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद और अन्य जैसे भाजपा नेता इसमें नेतृत्व करने की कोशिश कर रहे थे.
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'लालू प्रसाद उस समय बिहार के सबसे मजबूत नेता थे. जदयू में उन्हें हराने की हिम्मत नहीं थी. लालू प्रसाद को अदालत में घसीटना भाजपा और जदयू की रणनीति थी, क्योंकि वे ऐसा करने में असमर्थ थे. लालू प्रसाद के खिलाफ मामला दर्ज करने का असली मकसद उन्हें सत्ता से हटाना और नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना था.' - शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजद
शिवानंद तिवारी ने कहा कि गोपालगंज और मुजफ्फरपुर की चुनावी सभाओं में उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और घोटाले के 22 आरोप गिनाए थे. उन आरोपों का क्या हुआ? क्या वे ही आरोप नीतीश कुमार के पाला बदलकर प्रधानमंत्री वाले गठबंधन में चले जाने का कारण तो नहीं बने थे. शिवानंद तिवारी ने कहा कि विडंबना देखिए. जिन पीएम मोदी ने नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार और घोटालों का आरोप लगाया था, वे ही आज उनको सच्चा समाजवादी का प्रमाणपत्र दे रहे हैं. यह भी देखिए. नीतीश कुमार ने कभी कहा था कि जिस आदमी का नाम लेने से करोड़ों अल्पसंख्यकों के मन में भय समा जाता है, उसके साथ मैं हाथ मिलाऊंगा? वहीं नीतीश कुमार पीएम मोदी से सच्चे समाजवादी का प्रमाणपत्र उनकी कृपा मानकर ग्रहण कर रहे हैं.
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'नीतीश कुमार इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें समाजवादी नेता का प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद मुखर हो गए हैं. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार भी चारा घोटाले में शामिल थे और झारखंड (तब बिहार का हिस्सा था) के खजाने से अवैध निकासी के बाद पैसे लेते थे. क्या नीतीश कुमार में सुशील कुमार मोदी द्वारा लगाए गए आरोप को स्वीकार करने की हिम्मत है. मैं सुशील कुमार मोदी को फिर से नीतीश कुमार पर लगाए गए आरोपों को दोहराने के लिए चुनौती दे रहा हूं.' - शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजद
शिवानंद तिवारी ने कहा कि श्याम बिहारी सिन्हा चारा घोटाले के सरगना थे. क्या नीतीश कुमार इस बात से इनकार कर सकते हैं कि वह अपने पूरे जीवन में श्याम बिहारी सिन्हा से नहीं मिले हैं. मैं चुनौती दे रहा हूं कि श्याम बिहारी के साथ उनके करीबी संबंध थे और उन्होंने इस मामले में रिश्वत ली थी. उन्होंने कहा कि उन्हें यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि वह मामले की सीबीआई जांच की मांग करने के लिए अदालत में लालू प्रसाद के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में से एक थे.
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आरजेडी नेता ने कहा कि चारा घोटाले का पता पहली बार 1996 की पहली तिमाही में चाईबासा जिले के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट (अब झारखंड में) ने लगाया था. उन्होंने पाया कि पशुपालन विभाग द्वारा जिला कोषागार से कुछ अवैध निकासी की गई थी. मामला बिहार के वित्त सचिव बीएस दुबे तक पहुंचा. उस समय लालू प्रसाद सत्ता में थे, उन्होंने मामले की जांच के निर्देश दिए थे. उनके निर्देश के बाद, बीएस दुबे ने विभिन्न कोषागारों की जांच शुरू की और दुमका, डोरंडा और चाईबासा कोषागारों से अवैध निकासी पाई.
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